For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तिरंगे को लहराता देख

लगता है

हम आज़ाद हैं

 

आज़ादी सापेक्ष होती है

 

आज़ाद हैं अंग्रेजों से

 

जिंदगी तो अब भी वैसी ही है

वही साँसें

वही चीथड़े

वहीं चाँद

टूटता तारा

वही कुआँ खोदना

फटी जेबें

वही बिवाइयाँ।

 

कहाँ बदला कुछ

राजाओं के रंग बदल गये

भाषा वही है

 

सत्ता का चेहरा बदलता है

चरित्र नहीं

आजादी का मतलब

निरंकुशता की समाप्ति तो नहीं

हिटलर मुखौटे पहन लेता है बस

 

फिर भी

इस गण के तंत्र में

जहाँ जन के मन की बात

कोई नहीं सुनता

‘जन-गण-मन’ गाना अच्छा लगता है।

-        बृजेश नीरज

(मौलिक व अप्रकाशित)

 

Views: 555

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश नीरज on August 27, 2013 at 7:15am

आदरणीय सौरभ जी आपका हार्दिक आभार! इसे और बेहतर करने का प्रयास करता  हूँ!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 25, 2013 at 11:59pm

एक सशक्त कविता के लिए हार्दिक बधाई,भाई बृजेश नीरजजी.

सार्थक कविता और शिल्प के लिहाज से समुन्नत कविता.

वैसे मुझे पूरा विश्वास है कि आप अब इसे और बेहतर कह सकते हैं.

शुभेच्छाएँ.

Comment by बृजेश नीरज on August 18, 2013 at 7:01pm

आदरणीय जितेन्द्र 'गीत' जी आपका हार्दिक आभार!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on August 18, 2013 at 6:25pm

"सत्ता का चेहरा बदलता है

चरित्र नहीं"..............रचना में इस पंक्ति को पढकर सच में  लगता है की, आज भी मानसिक रूप से हम सब गुलाम ही है,

सशक्त रचना पर बधाई स्वीकारे आदरणीय बृजेश जी

Comment by बृजेश नीरज on August 17, 2013 at 6:46pm

आदरणीय गिरिराज जी आपका हार्दिक आभार!

Comment by बृजेश नीरज on August 17, 2013 at 6:46pm

आदरणीया वंदना जी आपका हार्दिक आभार!

Comment by बृजेश नीरज on August 17, 2013 at 6:43pm

आदरणीय विजय मिश्र जी आपका हार्दिक आभार!

Comment by बृजेश नीरज on August 17, 2013 at 6:42pm

आदरणीय शिज्जू जी आपका हार्दिक आभार!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 17, 2013 at 5:22pm

वाह !!! , बृजेश भाई , सुन्दर रचना , बधाई !!!!!

फिर भी

इस गण के तंत्र में

जहाँ जन के मन की बात

कोई नहीं सुनता

‘जन-गण-मन’ गाना अच्छा लगता है।

Comment by Vindu Babu on August 17, 2013 at 4:41pm
अन्तिम पंक्तियाँ बहुत ही प्रभावी हैं आदरणीय।
अन्तर बस इतना हो गया है अंग्रेजों के जाने के बाद,पहले गैरों से त्रस्त थी भारत माँ,आज अपनी ही संतानों से।
इस सफल रचना के लिए सादर बधाई आपको!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
10 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
10 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
10 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
10 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
10 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
10 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
10 hours ago
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
13 hours ago
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
13 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी, बहुत धन्यवाद"
13 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी, बहुत धन्यवाद"
13 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी सादर नमस्कार। हौसला बढ़ाने हेतु आपका बहुत बहुत शुक्रियः"
13 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service