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दर्दे सितम जो डोरे दिल कमज़ोर कर गए ।
माला से दिल की टूट कर मोती बिखर गए ।

ता उम्र हमने रखा जिनको सहेज़ कर ,
हाथो से मेरे छूट कर जाने किधर गए ।

अरमा अधूरे रह गये दिल में जो प्यार के ,
बनकर के अश्क वो मेरी आँखों में भर गए ।

आये थे दिल की दास्ताँ सुन ने वो शौक से ,
गहराइयों में दिल की झाँका तो डर गए ।

दो पग भी उनके बिन चलूँ मुमकिन न हो सका ,
हमतो खड़े ही रह गए रस्ते गुज़र गए ।

ज़िंदा हमे समझ रहे उनको खबर नही ,
जिस रोज उनसे बिछड़े उस दिन ही मर गए ।

नीरज
मौलिक व अप्रकाशित

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Comment

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Comment by Neeraj Nishchal on August 10, 2013 at 8:56pm

गिरिराज जी बहुत बहुत अनुग्रह ।

Comment by Neeraj Nishchal on August 10, 2013 at 8:27pm

आदरणीय सिज्जू जी आपके सुन्दर
अनुमोदन के लिए आपको
बहुत बहुत आभार व्यक्त करता हूँ .......

Comment by Neeraj Nishchal on August 10, 2013 at 8:04pm

आदरणीय केतन परमार जी बहुत बहुत धन्यवाद ।

Comment by annapurna bajpai on August 10, 2013 at 7:13pm

adarniy Niraj bhai ji sundar gazal rachna karm ke liye apko hardik badhai .

Comment by बसंत नेमा on August 10, 2013 at 1:51pm

दो पग भी उनके बिन चलूँ मुमकिन न हो सका ,
हमतो खड़े ही रह गए रस्ते गुज़र गए ।              अति सुन्दर ,,,,,,, बधाई 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 10, 2013 at 11:31am
अच्छी रचना है भाई नीरज , ये शेरबहुत पसन्द आया --

आये थे दिल की दास्ताँ सुन ने वो शौक से ,
गहराइयों में दिल की झाँका तो डर गए ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on August 9, 2013 at 9:28pm

अच्छा प्रयास है नीरज जी ग़ज़ल की मूलभूत जानकारी से रचना और अधिक भाव पूर्ण  बन पड़ेगी, प्रयासरत रहें आपको ढेरों शुभकामनाएँ 

Comment by Ketan Parmar on August 9, 2013 at 6:59pm
waaaah sir ji umda
Comment by Neeraj Nishchal on August 9, 2013 at 2:12pm

बहुत बहुत आभार श्याम नारायण जी

Comment by Shyam Narain Verma on August 9, 2013 at 11:56am
बहुत ही सुन्दर! हार्दिक बधाई आपको!

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