For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हे शान्त स्निग्ध जल की धारा

 

तुम कलकल कलरव की हो गान

हो लिपटे बेलों की वितान

तुम वसुन्धरा की शोभा हो

हे आन मान सरिता महान

तुझमे दिखता जीवन सारा

हे शान्त स्निग्ध जल की धारा

 

तुझमे निज-छवि लखते उडगन

यह विम्ब देख हर्षाता मन

सुषमा ऐसी नयनों मे बसा

रहता बस मे किसका तन मन

दिखता तुझमे चन्दा प्यारा

हे शान्त स्निग्ध जल की धारा

 

हे मिट्टी की सोंधी सुगन्ध

बाँधे सबको जो पाश बन्ध

तुम अद्भुत और अलौकिक हो

बाँधेगी तुमको कौन छन्द

छन्दों की नही ऐसी कारा

हे शान्त स्निग्ध जल की धारा

 

हे रश्मि प्रभा मे श्वेत जाल

अनुपम मनोहारी चन्द्रभाल

उर्वशी रेणुका सी लगती

(तुम स्वयं अप्सरा सी लगती)

यौवन धारे कंचुक विशाल

वह तुमसे कौन नही हारा

हे शान्त स्निग्ध जल की धारा

 

आशीष यादव

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 695

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Rana Pratap Singh on August 6, 2013 at 8:56pm

आशीष जी रचना भावमयी और प्रवाहमयी है| बधाई स्वीकारें| दो सुझाव हैं 

पाश और बंध दोनों एक ही चीज है 

"छंद" और "कारा" को पुल्लिंग माना गया है|

Comment by Meena Pathak on August 6, 2013 at 1:00pm

सुन्दर रचना के लिए बधाई स्वीकारें 

Comment by Vasundhara pandey on August 6, 2013 at 12:59pm

कल-कल सी अद्भुत रचना...!!

Comment by विजय मिश्र on August 6, 2013 at 12:35pm
कविता का प्रवाह भी सरिता की तरह ही मन हर्षित करता है .आभार भाई आशीषजी .
Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on August 6, 2013 at 12:24pm

हे मिट्टी की सोंधी सुगन्ध

बाँधे सबको जो पाश बन्ध

तुम अद्भुत और अलौकिक हो

बाँधेगी तुमको कौन छन्द

छन्दों की नही ऐसी कारा

हे शान्त स्निग्ध जल की धारा

 

सुंदर शब्दों से सुसज्जित रचना पर, हार्दिक बधाई आदरणीय आशीष जी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Dec 13

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service