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एक गज़ल =
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मफ़ाईलुन मफ़ाईलुन मफ़ाईलुन मफ़ाईलुन
१२२२     १२२२    १२२२   १२२२
===============================
वही नग्मॆं वही रातॆं, वही ख़त और आँसू भी ॥
सतातॆ हैं हमॆं मिलकॆ, मुहब्बत और आँसू भी ॥१॥

कभी हँसना कभी रॊना,कभी खॊना कभी पाना,
सदा रुख़ मॊड़ लॆतॆ हैं,तिज़ारत और आँसू भी ॥२॥

हमारॆ नाम का चरचा, जहाँ दॆखॊ वहाँ हाज़िर,
नहीं जीनॆ  हमॆं दॆतॆ, शिकायत और आँसू भी ॥३॥

हमॆं इल्ज़ाम दॆता है, ज़माना बॆ-वफ़ा कह कॆ,
नहीं अब साथ दॆतॆ यॆ, इबादत और आँसू भी ॥४॥

नहीं हॊती ख़ुदा तॆरी, दुआ औ बन्दगी मुझसॆ,
भला कैसॆ सँभालूं मैं, तिलावत और आँसू भी ॥५॥

कभी तॊड़ा कभी जॊड़ा,गमॆ-दिल का यही रॊना,
हक़ीमॊं की बदौलत हैं,तिबाबत और आँसू भी ॥६॥

इरादॆ ज़िन्दगी कॆ हम, नहीं समझॆ नहीं जानॆ,
पड़ॆ भारी बगावत पर, बगावत और आँसू भी ॥७॥

निभा लॊ दुश्मनी अपनी,अभी साँसॆं बकाया हैं,
हमॆं अब रास आयॆ हैं, अदालत और आँसू भी ॥८॥

यही हम-राह अब मॆरी, इबादत जुस्तजू तॆरी,
मुझॆ  मंजूर  हैं दॊनॊं, इनायत और आँसू भी ॥९॥

वही चाहत वही उल्फ़त,वही बरसात का मौसम,
वही  उम्मीद तन्हाई, ज़ियारत  और आँसू भी ॥१०॥

हमारॆ "राज"मॆं क्या है,न दौलत है न ताक़त है,
ख़िलाफ़त मॆं खड़ॆ दॊनॊं,सियासत और आँसू भी ॥११॥

कवि-"राज बुन्दॆली"
०५/०८/२०१३

पूर्णत: मौलिक एवं अप्रकाशित रचना

Views: 727

Comment

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Comment by कवि - राज बुन्दॆली on August 6, 2013 at 8:49pm

आदरणीय,,,,,,Pankaj Trivedi  जी भाई साहब ,,बहुत बहुत धन्यवाद,,,ये स्नेह बनाये रखियेगा,,,,

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on August 6, 2013 at 8:48pm

गीतिका 'वेदिका' ,,,जी,,,,आपका स्नेह मिला रचना को,,,मै नारी शक्ति को नमन करता हूँ,,,

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on August 6, 2013 at 8:47pm

जितेन्द्र 'गीत' ,,,जी भाई साहब,,,,नमन आपके इस स्नेह को,,,,,

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on August 6, 2013 at 8:45pm

अरुन शर्मा 'अनन्त' ,,,जी ,,बह्र के मुआमले मे बिल्कुल नौसिखिया हूं आप सभी ने बहुत साहस दिया है,,,,,आपका दिल से आभार,,,,,

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on August 6, 2013 at 8:44pm
Comment by कवि - राज बुन्दॆली on August 6, 2013 at 8:43pm

Ketan Parmar ,,,,,,,,जी भाई साहब बहुत बहुत शुक्रिया इस हौसला आफ़जाई के लिये,,,,,

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on August 6, 2013 at 8:42pm

Abhinav Arun  जी ,,,भाई साहब,,,रचना को आपका स्नेह मिला,,,,,दिल से आभार आपका,,,,,,,,,

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on August 6, 2013 at 8:40pm
Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on August 6, 2013 at 8:21pm

आ0 बुन्देली सर जी, वाह! वाह! आपकी लेखनी को सादर नमन्।  शानदार, मासूमियत, सहजता और एक अलग अंदाजे बयां, बेहतरीन गजल। इस अद्भृत शैली की गजल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकारें।  सादर,

Comment by Ketan Parmar on August 6, 2013 at 8:04pm

umda ghazal hai sir ji

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