For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आज सच तुझसे कहूँ

बिन तेरे कैसे रहूँ

इक दिन न इक रात

अन्तरंग यह बात...

सांसों में अब मिठास है

कड़वाहट अब न पास है

जब से तू है साथ

अन्तरंग यह  बात...

जुल्फ तेरी  घनघोर घटा

लहराएँ तो सर्द हवा

प्यार तेरा बरसात

अन्तरंग यह बात...

नयन तेरे मधुशाला हैं

बाहें तेरी, मेरी माला हैं

पाक मेरे जज्बात

अन्तरंग यह  बात...

मर जाऊं मिट जाऊं मैं

तुझ संग ही जी पाऊँ मैं

यही मेरे हालात

अन्तरंग यह बात...

मेरा सब कुछ तू ही तू

तेरा सब कुछ मैं ही हूँ

अमर मिलन की रात

अन्तरंग  यह बात...

मैंने तुझसे प्रेम किया

तूने मुझसे प्रेम किया

क्या घोड़े बारात

अन्तरंग यह  बात...

यकीन तू मुझ पर कर ले

मेरे लिए जी ले, मर ले

अब न दूंगा आघात

अन्तरंग यह  बात...

                          -जितेन्द्र 'गीत'

मौलिक / अप्रकाशित

Views: 741

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on August 11, 2013 at 5:52pm

आदरणीया वंदना जी

आपने रचना के भाव को पसंद किया, रचना सार्थक हुयी, बहुत बहुत आभार आपका

सादर! 

Comment by Vindu Babu on August 11, 2013 at 5:15pm
वाह! आदरणीय जितेन्द्र जी! क्या मनमोहक भवाभ्यक्ति की है!
सादर बधाई स्वीकारें इस प्रभावी रचान के लिए।
Comment by Vindu Babu on August 11, 2013 at 5:14pm
वाह! आदरणीय जितेन्द्र जी! क्या मनमोहक भवाभ्यक्ति की है!
सादर बधाई स्वीकारें इस प्रभावी रचान के लिए।
Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on August 11, 2013 at 5:09pm

आदरणीय सौरभ जी

आपका बहुत बहुत आभार, आशीर्वाद बनाये रखियेगा

सादर!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 11, 2013 at 4:49pm

मैं मुग्ध हूँ, आपके प्रयास और आपकी रचना पर.

बधाई बधाई.. 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on August 6, 2013 at 11:48am

आदरणीय विजया मिश्र जी!

सुंदर शब्दों से सजी आपकी प्रतिक्रिया मुझे सम्बल प्रदान करती है 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on August 6, 2013 at 11:47am

आदरणीया शुभ्रा जी,

रचना को सराहने के लिए, बहुत बहुत आभार आपका

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on August 6, 2013 at 11:42am

आदरणीय अरुण अनंत जी,

बहुत समय से ,मैं रचना पर आपकी प्रतिक्रिया का इंतजार कर रहा था

मेरी पिछली रचना पर आपने मुझे कटक त्रुटी की जानकारी से अवगत कराया था, तब मुझे आपके मार्गदर्शन से बहुत अपनापन व् लेखनकर्म को मनोबल मिला ,

 ओबीओ पर  आप सभी  रचनाकारों से मुझे बहुत स्नेह मिल रहा है, समय समय पर मार्गदर्शन भी,

सादर! 

Comment by विजय मिश्र on August 6, 2013 at 11:17am
एक सुंदर आश्वस्ति से समापन और फिर उसके पूर्व की लुभाती भंगिमाएँ -वाह ,अच्छी बनी है . बधाई जितेन्द्रजी
Comment by shubhra sharma on August 6, 2013 at 10:56am

आदरणीय जीतेन्द्र जी ,यकीन तू मुझ पर कर ले मेरे लिए जी ले, मर ले अब न दूंगा आघात, बहुत बहुत बधाई 

 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna posted blog posts
40 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"कैसे क्यों को  छोड़  कर, करते रहो  प्रयास ।  .. क्या-क्यों-कैसे सोच कर, यदि हो…"
44 minutes ago
Ashok Kumar Raktale commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"  आदरणीय गिरिराज जी सादर, प्रस्तुत छंद की सराहना के लिए आपका हृदय से आभार. सादर "
1 hour ago
Ashok Kumar Raktale commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"  आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी सादर, वाह ! उम्दा ग़ज़ल हुई है. हार्दिक बधाई स्वीकारें.…"
1 hour ago
Ashok Kumar Raktale commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विविध
"  आदरणीय सुशील सरना साहब सादर, सभी दोहे सुन्दर रचे हैं आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें. सादर "
1 hour ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . उल्फत
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से अलंकृत करने का दिल से आभार"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आदरणीय नीलेश भाई , खूबसूरत ग़ज़ल के लिए बधाई आपको "
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय बाग़पतवी भाई , बेहतरीन ग़ज़ल कही , हर एक शेर के लिए बधाई स्वीकार करें "
6 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम -. . . . . शाश्वत सत्य
"आदरणीय शिज्जू शकूर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । आपके द्वारा  इंगित…"
9 hours ago
Mayank Kumar Dwivedi commented on Mayank Kumar Dwivedi's blog post ग़ज़ल
"सादर प्रणाम आप सभी सम्मानित श्रेष्ठ मनीषियों को 🙏 धन्यवाद sir जी मै कोशिश करुँगा आगे से ध्यान रखूँ…"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम -. . . . . शाश्वत सत्य
"आदरणीय सुशील सरना सर, सर्वप्रथम दोहावली के लिए बधाई, जा वन पर केंद्रित अच्छे दोहे हुए हैं। एक-दो…"
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय सुशील सरना जी उत्सावर्धक शब्दों के लिए आपका बहुत शुक्रिया"
13 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service