For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तुम स्त्री हो ...

सावधान रहो

सतर्क रहो

किस किस से

कब कब

कहाँ कहाँ

हमेशा रहो

हरदम रहो

जागते हुए भी

सोते हुए भी

क्या कहा ?

ख्वाब देखती हो

किसने कहा था

बंद करो

कल्पना की कूची से

आसमान में रंग भरना

उड़ना चाहती हो ?

क़तर डालो पंखो को

अभी के अभी

ओफ्फ तुम मुस्कुराती हो

अरे तुम तो खिलखिलाती भी हो

बंद करो आँखों में

काजल भरना और

हिरणी सी कुलाचे भर

भवरों संग गुंजन करना

यही तो दोष तुम्हारा  है

शोक गीत गाओ

भूल गयी

तुम स्त्री हो !

किसी भी उम्र की हो

क्या फर्क पड़ता है

आदम की भूख

उम्र नहीं देखती

ना ही  देखती है

देश धर्म औ जात

बस सूंघती है

मादा गंध

 

 मौलिक व अप्रकाशित

Views: 1072

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by annapurna bajpai on August 5, 2013 at 1:15pm

आ० महिमा जी बहुत सही और सटीक काव्य के रूप मे भावों की अभिव्यक्ति बहुत बधाई ।

Comment by अरुन 'अनन्त' on August 5, 2013 at 11:39am

उफ्फ!!! मन को उद्देलित करती पंक्तियाँ, प्रत्येक पंक्ति अपने भीतर बहुत कुछ समाहित किये हुए, ऐसा प्रतीत हो रहा है कि शब्द खुद अपनी व्यथा कह रहे हों. सुन्दर शब्द संयोजन शानदार प्रस्तुति आदरणीया महिमा श्री जी. यह रचना आपके नाम को पूर्णतया परिभाषित करती है. ह्रदय से ढेरों बधाई स्वीकारें.

Comment by Abhinav Arun on August 5, 2013 at 5:54am

आदरणीय महिमा श्री ! 

कुंठाग्रस्त समाज के इस पहलू पर इस ताकतवर अंदाज़ में कलम उठाने केलिए आप साधुवाद की पात्र है ! ऐसी ही रचनाएँ बदलाव ला सकती हैं ... 

क़तर डालो पंखो को

अभी के अभी

ओफ्फ तुम मुस्कुराती हो

अरे तुम तो खिलखिलाती भी हो

बंद करो आँखों में

काजल भरना और

हिरणी सी कुलाचे भर

भवरों संग गुंजन करना

इस कटाक्ष ने भला किसके ह्रदय को न बींधा होगा ...सौ सौ बार नमन है आपके सृजन को बहुत बहुत शुभकामनायें !!

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on August 5, 2013 at 5:19am

कुछ ज्यादा कहने की जरूरत नही है पर मेरी राय में सकारात्मक और जुझारू होना पढ़ेगा हर महिला को, नारी को. स्त्री को! 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by sharadindu mukerji on August 5, 2013 at 1:28am

आदरणीया महिमा जी, क्या कहूँ समझ में नहीं आता....! नारी के प्रति नारी की लेखनी से निकली हुई आह है यह....आह....जो तीक्ष्ण है, तीव्र है. आशा है इसकी गूंज आज के समाज में सोयी हुई मानवता को झिंझोड़ कर जगायेगी. ये तेजोद्दीप्त भावनाएँ और रचना का साहस अम्लान रहे. शुभम.

Comment by MAHIMA SHREE on August 4, 2013 at 11:35pm

आपका हार्दिक आभार आदरणीय जितेन्द्र जी /

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on August 4, 2013 at 11:31pm

आदरणीया महिमा जी, नारी के मन की वेदना को बखूबी बतलाया आपने , अपनी रचना में, हार्दिक बधाई स्वीकार करें

Comment by MAHIMA SHREE on August 4, 2013 at 11:25pm

आदरणीया शुभ्रा जी ..आपकी टिप्पणी ने रचनाकर्म को मान दिया ..और सन्देश को सार्थकता आपका हार्दिक आभार /

Comment by MAHIMA SHREE on August 4, 2013 at 11:22pm

आदरणीया विनीता जी ..आपका हार्दिक आभार स्नेह बनाये रखे /

Comment by MAHIMA SHREE on August 4, 2013 at 11:05pm

आदरणीय माथुर जी  .नमस्कार ..रचना पर आपकी विस्तृत टिप्पणी बताती है की जो  रचना के माध्यम से व्यक्त करना चाहती थी उसमे सफल रही ..लिखना सार्थक रहा आपका हार्दिक आभार / सहयोग बनाये रखे /सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय तस्दीक अहमद खान जी, तरही मिसरे पर बहुत सुंदर प्रयास है। शेर नं. 2 के सानी में गया शब्द दो…"
22 minutes ago
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"इस लकीर के फकीर को क्षमा करें आदरणीय🙏 आगे कभी भी इस प्रकार की गलती नहीं होगी🙏"
36 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय रिचा यादव जी, आपने रचना जो पोस्ट की है। वह तरही मिसरा ऐन वक्त बदला गया था जिसमें आपका कोई…"
1 hour ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय मनजीत कौर जी, मतले के ऊला में खुशबू, उसकी, हवा, आदि शब्द स्त्री लिंग है। इनके साथ आ गया…"
1 hour ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपकी ग़जल इस बार कुछ कमजोर महसूस हो रही है। हो सकता है मैं गलत हूँ पर आप…"
1 hour ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, बुरा मत मानियेगा। मै तो आपके सामने नाचीज हूँ। पर आपकी ग़ज़ल में मुझे बह्र व…"
1 hour ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय महेन्द्र कुमार जी, अति सुंदर सृजन के लिए बधाई स्वीकार करें।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई तस्दीक अहमद जी, सादर अभिवादन। लम्बे समय बाद आपकी उपस्थिति सुखद है। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक…"
1 hour ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"ग़ज़ल 221, 2121, 1221, 212 इस बार रोशनी का मज़ा याद आगया उपहार कीमती का पता याद आगया अब मूर्ति…"
2 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"जनाब, Gajendra shotriya, आ.' 'मुसाफिर ' साहब को प्रेषित मेरा प्रत्युत्तर आप, कृपया,…"
4 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मुसाफिर' साहब मैं आप की टिप्पणी से सहमत  नहीं हूँ। मेरी ग़ज़ल के सभी शे'र …"
4 hours ago
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, सादर अभिवादन। मुशाइरे में सहभागिता के लिए बहुत बधाई। प्रस्तुत ग़ज़ल के लगभग…"
4 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service