For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

वज्न- 2122 1212 112

 

कब से बेकल है ये बहार बहुत

रोज़ो-शब तेरा इंतज़ार बहुत

 

इश्क कामिल न हो सका किसी का

आये दुन्या में जाँनिसार बहुत

 

रंग लायेगा आशिकी का जुनूँ   

सुर्ख है अब के रसनो-दार बहुत

 

आदमीयत से है गुरेज़ जिन्हें

अम्न गुज़रे है नागवार बहुत

 

हक़ के बदले में जान का सौदा

इस ज़माने में है ये कार बहुत

 

 

कामिल =पूरा

जाँनिसार =दूसरों के लिये प्राणों की आहूति देने वाला

रसनो-दार =सूली और पाश

गुरेज़= घृणा

कार =पेशा

 

-मौलिक व अप्रकाशित

Views: 684

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on August 3, 2013 at 8:51pm

आदरणीय राणा प्रताप जी

नमस्ते

आपका धन्यवाद जो आपने मेरी रचना को मान दिया, वाकई तीसरे शेर मे मैने बहुत मेहनत की मगर जो मैं कहना चाहता था वो कह नही सका, हो सकता है कि अल्प ज्ञान के कारण ऐसा हो, बहरहाल, इस ग़ज़ल को २१२२ ११२२ २१२२ ११२ इस बह्र में दोबारा लिखूं तो कैसा रहेगा

// दूसरे और तीसरे शेर का मिसरा-ए-ऊला बेबह्र है//

///इश्क21/ कामिल22/ न हो12/ सका12/ किसी11/ का2///

 आपका मार्ग दर्शन चाहूँगा.

सादर

 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Rana Pratap Singh on August 3, 2013 at 8:13pm

शिज्जू जी 

ख़ूबसूरत मतले के बाद सीधे निगाह अंतिम शेर पर ही जाकर ठहरी, दोनों शेर लाजवाब है| मगर जब बाकी के अशआर की बात करता हूँ तो मुझे यह कहने को मज़बूर होना पड़ता है की दूसरे और तीसरे शेर का मिसरा-ए-ऊला बेबह्र है| तीसरे शेर में मुझे ऐसा लगता है कि वह बात सामने नहीं आ रही है जो आप कहना चाह रहे है..कमोबेश दोनों मिसरों में लगभग एक ही बात है|

Comment by बसंत नेमा on August 3, 2013 at 11:21am

आदरणीय shijju S. जी बहुत सुन्दर गजल बधाई 

Comment by annapurna bajpai on August 2, 2013 at 4:34pm

अति सुंदर गज़ल  के लिए  बधाई आपको आदरणीय ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय सौरभ सर, मैं इस क़ाबिल तो नहीं... ये आपकी ज़र्रा नवाज़ी है। सादर। "
8 hours ago
Sushil Sarna commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय जी  इस दिलकश ग़ज़ल के लिए दिल से मुबारकबाद सर"
8 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय गिरिराज जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया और सुझाव  का दिल से आभार । प्रयास रहेगा पालना…"
8 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन के भावों को मान और सुझाव देने का दिल से आभार । भविष्य के लिए  अवगत…"
8 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"आदरणीय  अशोक रक्ताले जी सृजन को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार । बहुत सुन्दर सुझाव…"
9 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आ. शिज्जू भाई,एक लम्बे अंतराल के बाद आपकी ग़ज़ल पढ़ रहा हूँ..बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है.मैं देखता हूँ तुझे…"
11 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . लक्ष्य

दोहा सप्तक. . . . . लक्ष्यकैसे क्यों को  छोड़  कर, करते रहो  प्रयास । लक्ष्य  भेद  का मंत्र है, मन …See More
13 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज जी, ओबीओ के प्रधान संपादक हैं और हम सब के सम्माननीय और आदरणीय हैं। उन्होंने जो भी…"
14 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय अमीरुद्दीन साहब, आपने जो सुझाव बताए हैं वे वस्तुतः गजल को लेकर आपकी समृद्ध समझ और आपके…"
14 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय सुशील भाई , दोहों के लिए आपको हार्दिक बधाई , आदरणीय सौरभ भाई जी की सलाहों कर ध्यान…"
15 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । "
15 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय शिज्जू शकूर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
15 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service