For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नक्श ढूँढे वो मेरा हस्ती मिटाने के बाद

वज्न: 2122 1122 1122 22/112 

कोई याद अब करे है मुझको भुलाने के बाद

नक्श ढूँढे वो मेरा हस्ती मिटाने के बाद

हो गया गर्क़ सफीना मेरा इक तूफां में

चुप है अब मौजे-तलातुम यूँ डुबाने के बाद

लगती है बोली परस्तिश को अकीदत की यहाँ

अब यकीं लुटता है बाज़ार में आने के बाद

रोये क्यूं अपनी तबाही पे अब ऐ नादां तू

खुद मुदावे को गया जान से जाने के बाद

ऐ बशर अब न पशेमां हो नई सांस ले यूँ

इक नई शमअ-ए-उम्मीद जलाने के बाद

-मौलिक और अप्रकाशित 

Views: 799

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 12, 2013 at 4:11pm

अपनी ग़ज़लों में उन्हीं शब्दों को स्थान दें जिनके प्रति आप आश्वस्त हों. ऐसा मानना कि ग़ज़ल बिना फ़ारसी या अरबी शब्दों के उचित प्रतीत नहीं होती तो यहभ्रम है, भाईजी. हिन्दी तत्सम शब्दों का सम्यक प्रयोग करते हुए इलाहाबाद से स्वनामधन्य विद्वान और ग़ज़लकार आदरणीय एहतराम इस्लाम जी ने अद्भुत ग़ज़लें कही हैं जो आज स्वयं में मिसाल हैं.

शुभ-शुभ


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on September 12, 2013 at 3:56pm

आदरणीय सौरभ सर आपका बहुत बहुत शुक्रिया, आपकी रचनाओं पर साफ टिप्पणी सतत सुधार को प्रेरित करती है, आपके सुझाव पर अमल करने की कोशिश करूंगा अभी मेरे शब्द ज्ञान में कुछ कमी है इसलिये ऐसा हो रहा है.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 12, 2013 at 11:55am

भाई शिज्जूजी, आपकी गज़ल मेहनत और इत्मिनान से लिखी हुई ग़ज़ल लगी.

सभी पाठकों का अनुमोदन अच्छा लगा.

एक निवेदन, बार-बार मात्राओ का गिराना भी एक दोष की तरह लिया जाता है.

शुभेच्छाएँ


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on September 12, 2013 at 10:15am

भाई रामशिरोमणि जी आपका आभार

Comment by ram shiromani pathak on September 11, 2013 at 8:33pm

कोई याद अब करे है मुझको भुलाने के बाद

नक्श ढूँढे वो मेरा हस्ती मिटाने के बाद

वाह बेहद खूबसूरत ग़ज़ल // आपको हार्दिक बधाई!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on September 10, 2013 at 3:11pm

आदरणीया विजयश्री जी उत्साहवर्द्धक टिप्पणी के लिये आपका  तहे दिल से शुक्रिया

Comment by vijayashree on September 10, 2013 at 11:15am

कोई याद अब करे है मुझको भुलाने के बाद

नक्श ढूँढे वो मेरा हस्ती मिटाने के बाद

वाह ! खुबसूरत ग़ज़ल 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on September 9, 2013 at 8:33pm

आदरणीय बृजेश जी एवं विजय जी आपका तहे दिल से शुक्रिया

Comment by विजय मिश्र on September 9, 2013 at 12:34pm
बेहद खूबसूरत , बधाई सिज्जुजी
Comment by बृजेश नीरज on September 8, 2013 at 10:13pm

वाह! बहुत सुन्दर! आपको हार्दिक बधाई!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आपने, आदरणीय, मेरे उपर्युक्त कहे को देखा तो है, किंतु पूरी तरह से पढ़ा नहीं है। आप उसे धारे-धीरे…"
4 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"बूढ़े न होने दें, बुजुर्ग भले ही हो जाएं। 😂"
4 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आ. सौरभ सर,अजय जी ने उर्दू शब्दों की बात की थी इसीलिए मैंने उर्दू की बात कही.मैं जितना आग्रही उर्दू…"
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आदरणीय, धन्यवाद.  अन्यान्य बिन्दुओं पर फिर कभी. किन्तु निम्नलिखित कथ्य के प्रति अवश्य आपज्का…"
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय नीलेश जी,    ऐसी कोई विवशता उर्दू शब्दों को लेकर हिंदी के साथ ही क्यों है ? उर्दू…"
5 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"मेरा सोचना है कि एक सामान्य शायर साहित्य में शामिल होने के लिए ग़ज़ल नहीं कहता है। जब उसके लिए कुछ…"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"अनुज बृजेश  ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका बहुत शुक्रिया "
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"अनुज ब्रिजेश , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका  हार्दिक  आभार "
7 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आ. अजय जी,ग़ज़ल के जानकार का काम ग़ज़ल की तमाम बारीकियां बताने (रदीफ़ -क़ाफ़िया-बह्र से इतर) यह भी है कि…"
8 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"बहुत ही उम्दा ग़ज़ल कही आदरणीय एक  चुप्पी  सालती है रोज़ मुझको एक चुप्पी है जो अब तक खल रही…"
9 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विविध
"आदरणीय अशोक रक्ताले जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय "
10 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक प्रतिक्रिया से सोच को नव चेतना मिली । प्रयास रहेगा…"
10 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service