For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जिंदगी दूर तक !

सम्मानीय सादर नमन !!

 मेरी पहली पोस्ट आप सब के हवाले
 ************************************
जिंदगी दूर तक !
तीरगी दूर तक !!
 
दिखती अब नहीं ,
रौशनी दूर तक !!
 
आँखों में ख्वाब थे ,
है नमी दूर तक !!
 
ले के आयी हमें ,
तिश्नगी दूर तक !!
 
मैं गलत ही सही ,
तू सही दूर तक !!
 
लुत्फ़ देने लगी ,
गुमरही दूर तक !!
 
छोर दिखता नहीं ,
आखरी दूर तक !!
 
लिखते  ''अम्बर'' चले ,
शायरी दूर तक !!
.
**मौलिक एवं अप्रकाशित ***

Views: 423

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 2, 2013 at 3:28pm

पहला ही प्रयास आपके प्रति उम्मीद बँधा रहा है, आदरणीय.

शुभेच्छाएँ.

ग़ज़ल प्रस्तुत करें तो मिसरों के बह्र या उनकी मात्रादि अवश्य दे दिया करें.  जैसे इस ग़ज़ल क् िसरों की मात्रा २१२ २१२  है. 

शुभम्

Comment by CHANDRA SHEKHAR PANDEY on July 30, 2013 at 4:53pm

बधाईयां मित्रवर।

Comment by अरुन 'अनन्त' on July 30, 2013 at 12:02pm

बेहतरीन प्रयास हुआ है आदरणीय बहुत ही सुन्दर लिखा है आपने, दिखती की मात्रा २२ होती है यदि दीखती कर देते तो वज्न ठीक हो जाता, आपने २१२, २१२ वज्न पर लिखी है ये ग़ज़ल, हार्दिक बधाई स्वीकारें. 

Comment by arvind ambar on July 29, 2013 at 10:55pm

sammaniya  Basant Nema ji............pasandgi ke liye shukriya aapka...........aapko nishchit hi door tak sunaane ki koshish karta rahunga ji......naman!!

Comment by arvind ambar on July 29, 2013 at 10:54pm

sammaniya Vijay mishra ji.............is bhavnamay prtikiriya ke liye bahut aabhri hun ji aapka naman!!

Comment by बसंत नेमा on July 29, 2013 at 10:26am
लिखते  ''अम्बर'' चले ,
शायरी दूर तक !!    और हमे यू ही आप की रचना पढने को मिलती रहे दूर तक 

बहुत सुन्दर ... बधाई 

Comment by arvind ambar on July 27, 2013 at 9:31pm

Shyam Narain Verma tah e dil se shukriya aapka

Comment by Shyam Narain Verma on July 27, 2013 at 1:51pm

बहुत सुन्दर...बधाई स्वीकार करें ………………

Comment by विजय मिश्र on July 27, 2013 at 1:35pm
आपकी ये 'दूर तक '-सच तो ये है कि मन के बहुत करीब है , बधाई हो आपको भी बहुत दूर तक .

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
19 hours ago
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
yesterday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service