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पर परिवर्तन नहीं सुहाए -

नकारात्मक ग्रोथ से, होवे बेडा गर्क । 

सकल घरेलू मस्तियाँ, इन्हें पड़े नहिं फर्क-

आम जिंदगी नर्क बनाए  । 

पर परिवर्तन नहीं सुहाए ॥ 

रोटी थाली की छिने, चाहे रोजी जाय । 

छद्म धर्म निरपेक्षता, मौला-ना मन भाय -

फिर भी फिर सरकार बनाये । 

पर परिवर्तन नहीं सुहाए ॥ 

पाक बांग्लादेश से, दुश्मन की घुसपैठ । 

सीमा में घुस चाइना, रहा रोज ही ऐंठ -

अन्दर वह सीमा सरकाए । 

पर परिवर्तन नहीं सुहाए ॥   

चला रसातल रूपिया, डालर रहा  डकार । 

बनता युवा अधेड़ सा, बहुरुपिया सरकार-

घूमे दाढ़ी बाल रंगाये । 

पर  परिवर्तन नहीं सुहाए ॥ 

आय आपदा हादसा, दशा सुधर नहिं पाय । 

बाढ़े मौका पाय के, अफसर नेता आय -

सड़ी लाश का कफ़न नुचाये-

पर परिवर्तन नहीं सुहाए ॥ 

चंगुल में जिनके फंसा, वह बिरयानी खाय । 

उसको खाता देख कर, पब्लिक ये पगुराय-

सोच वहीँ गिरवी धर आये । 

पर परिवर्तन नहीं सुहाए ॥ 

मौलिक / अप्रकाशित  

   

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Comment

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Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on August 15, 2013 at 12:22am

आई इतनी शुभ घडी
फिर भी रहे छिपाए
सूरज उग गयो भोर हुआ
क्या उजियारा छिप पाए ??
केक कैंडिल गुब्बारा ले मित्र मण्डली आई
गुंजन करते 'भ्रमर' पुष्प सब कलियाँ भी मुस्काईं
हैप्पी बर्थ डे टू यू
हैप्पी बर्थ डे टू यू
रविकर मेरे भाई ........

भ्रमर ५

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on August 14, 2013 at 9:17pm

चला रसातल रूपिया, डालर रहा  डकार । 

बनता युवा अधेड़ सा, बहुरुपिया सरकार-

घूमे दाढ़ी बाल रंगाये । 

पर  परिवर्तन नहीं सुहाए ॥ 

अद्भुत आदरणीय ...एक से बढ़ एक

आभार
भ्रमर ५


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 18, 2013 at 4:38pm

दोहे से मिल टैग ये,  करते सुन्दर मेल

रविकर भाई खेलते, शब्द-शब्द से खेल

ये व्यापक सुधियाँ जो पाये 

पर परिवर्तन नहीं सुहाये

शुभम्

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on July 16, 2013 at 1:15pm

वाह वाह सर जी लाजवाब रचना क्या बात है
अद्भुत

जाप जुगाडी मन्त्र का, आज करे सब काम
टुकुर टुकुर देखें खड़े, इशू अल्ला राम
 
धर्म की खिचड़ी कन्त पकाए  
पर परिवर्तन नहीं सुहाए

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