For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मन सिहरा ,ठहरा तनिक ,देखा अप्रतिम रूप ,

भोर सुहानी ,सहचरी ,पसर गई लो, धूप !

रश्मि-रश्मि मे ऊर्जा और सुनहरा घाम,

बिखर गया है स्वर्ण-सुख लो समेट बिन दाम !

सुन किलकारी भोर की विहंसी निशि की कोख ,

तिमिर गया ,मुखरित हुआ जीवन में आलोक !

उगा भाल पर बिंदु सा लो सूरज अरुणाभ ,

अब निंदिया की गोद में रहा कौन सा लाभ !

_______________प्रो.विश्वम्भर शुक्ल ,लखनऊ 

(मौलिक और अप्रकाशित )

Views: 930

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr Ashutosh Mishra on August 15, 2013 at 10:51am

जीवन से अँधेरा चला जाए और आलोक फ़ैल जाए इससे सुखद क्या हो सकता है  बेहतरीन 

Comment by annapurna bajpai on July 23, 2013 at 10:21pm

आदरणीय शुक्ल जी बहुत ही बढ़िया दोहे , सोना बिखेरते हुए , बहुत बधाई आपको ।

Comment by Ketan Parmar on July 19, 2013 at 11:58am

वाह !! सुन्दर दोहे...

हार्दिक बधाई !!!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 18, 2013 at 1:46pm

आदरणीय विश्वम्भरजी,  आपके छंद प्रयास पर आपको सादर धन्यवाद.

आपकी प्रस्तुति के आलोक में बहुत कुछ स्पष्ट हुआ है. 

डॉ. प्राची के सुझाव पर ध्यान देना उचित होगा. 

छंद प्रयास की हो श्रद्धा और धैर्य की अपेक्षा करता है. 

सादर

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on July 16, 2013 at 1:22pm

bahut hi sundar dohe rache hain aadarneey sir ji .............bahut bahut badhaai ho

Comment by आशीष नैथानी 'सलिल' on July 15, 2013 at 7:09pm

वाह !! सुन्दर दोहे...

हार्दिक बधाई !!!

Comment by राजेश 'मृदु' on July 15, 2013 at 5:03pm

बहुत ही मनोहारी दोहे हैं, सादर

Comment by विजय मिश्र on July 15, 2013 at 4:42pm
सुंदर मित्रवर

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on July 15, 2013 at 9:56am

भोर की सुन्दरता का मनोहारी चित्रण..हार्दिक बधाई आदरणीय विशम्भर शुक्ल जी 

इस दोहे पर आपका ध्यानाकर्षण चाहूंगी :

रश्मि-रश्मि मे ऊर्जा और सुनहरा घाम,................विषम चरण की मात्रा १२ हो रही है और अंत भी २२ से है, यद्यपि विशाम्चरण की मात्रा १३ होनी चाहिये व चरणान्त १२, या १११ से होना चाहिये 

बिखर गया है स्वर्ण-सुख लो समेट बिन दाम !

सादर.

Comment by shashi purwar on July 14, 2013 at 10:50pm

वाह शुक्ल जी सुन्दर दोहे ....हार्दिक बधाई आपको 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service