For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बहर : २१२ २१२

--------

जो सरल हो गये

वो सफल हो गये

 

जिंदगी द्यूत थी

हम रमल हो गये

 

टालते टालते

वो अटल हो गये

 

देख कमजोर को

सब सबल हो गये

 

भैंस गुस्से में थी

हम अकल हो गये

 

जो गिरे कीच में

वो कमल हो गये

 

अपने दिल से हमीं

बेदखल हो गये

 

देखकर आइना

वो बगल हो गये
---------------

(मौलिक एवम् अप्रकाशित)

Views: 720

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 5, 2013 at 11:31am

सुंदर सहज सरल पर मधुर मधुर गजल के लिए हार्दिक बधाई श्री धर्मेन्द्र कुमार सिंह जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on July 5, 2013 at 9:50am

छोटी बहर पर बहुत सुन्दर गज़ल लिखी है आ० धर्मेन्द्र सिंह जी 

जो गिरे कीच में

वो कमल हो गये..... बहुत सुन्दर 

हार्दिक बधाई स्वीकार करें 

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on July 5, 2013 at 9:47am

आ0 धर्मेंद्र जी,  *देखकर आइना, वो बगल हो गये*  सुन्दर प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई।   सादर,


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on July 4, 2013 at 11:59pm

भाई धर्मेन्द्र सिंह जी, पांचवें शेअर (भैंस वाले) में "अकल" को किस वज्न में बाँधा है ?

Comment by सानी करतारपुरी on July 4, 2013 at 10:59pm

आदरणीय धर्मेंदर जी,  ज़रा सी ज़मीं पे बुलंद ग़ज़ल खड़ी की है .. हर शेअर कमाल लिए हुए है .. बहुत उम्दा ..

Comment by ajay sharma on July 4, 2013 at 10:53pm

wah wah ,,,,,,,,itni small bahr me shandaar prayas ,,,really good

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
52 minutes ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Dec 13
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Dec 13

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service