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सार/ललित छंद, प्रथम प्रयास ----- वेदिका

सार/ललित छंद १६ + १२ मात्रा पर यति का विधान, पदांत गुरु गुरु अर्थात s s से,, छन्न पकैया पर प्रथम प्रयास / क्रिकेट विषय 

छन्न पकैया छन्न पकैया, टॉस करेगा सिक्का  

कौन चलेगा पहली चाली, हो जायेगा पक्का  ।। १ 

छन्न पकैया छन्न पकैया, कंदुक लाली लाली 

इक निशानची ठोकर मारे, गिल्ली भरे उछाली।। २ 

छन्न पकैया छन्न पकैया, बादल छटते जाये 

आँखों में है धूर झोंकते, धन भर घर ले आये  ।। ३ 

छन्न पकैया छन्न पकैया, गिरा राज का कुंदा 

हाथ हथकड़ी पांव बेड़ियाँ, गले पड़ गया फंदा  ।। ४ 

छन्न पकैया छन्न पकैया, चले काठ का बल्ला 

गेंद गयी सीमा बाहर ते, दीदों में है हल्ला      ।। ५ 

छन्न पकैया छन्न पकैया, तू जीती या हारी 

ठंडा बेचन हारों को तो, प्यारी है रिजगारी      ।। 

छन्न पकैया छन्न पकैया, अब प्रेशर है भारी 

गुट्ट्म गोल दना दन सरपट, दौड़ी जो दे मारी  ।। ७ 

                                      

                                     गीतिका 'वेदिका'  संशोधित* 

                                

मौलिक एवम अप्रकाशित 

  

 

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मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on July 3, 2013 at 5:16pm

//छन्न पकैया छन्न पकैया, टॉस करेगा सिक्का  

कौन चलेगा पहली चाली, हो जायेगा पक्का //

वाह आदरणीया वाह, पहली छन्न से ही आपने एक माहौल बना दिया है, छन्न पकैया पर काम करते देख बहुत ही बढ़िया लगा, बहुत बहुत शुभकामनायें और बधाईया प्रेषित है, स्वीकार करें । 

Comment by वेदिका on July 3, 2013 at 3:27pm

आदरणीय सौरभ जी! आपका हार्दिक धन्यवाद, :)

आशीष बनाये रखिये!!  


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 3, 2013 at 2:55pm

आदरणीय गीतिकाजी,  रचनाकर्म साधना है जो धीरे धीरे संयत होती है.

यदि छंद रचना करें तो उसके विधान को पहले आत्मसात कर लें. उसके बाद उमगे भावों को तदनुरूप शब्द पहनाते चलें. विधानानुसार भाव अभिव्यक्ति शब्द-सामर्थ्य केप्रति आग्रही बनायेगी.  शब्द संचयन और उनका उचित प्रयोग व्याकरण के परिमार्जन के प्रति संवेदनशील बनायेंगे. फिर रचना की कहन अपना समय मांगेंगी. 

इन सब के बाद निखर कर जो संतृप्त हुआ बाहर आयेगा वह पाठकों से वाऽऽह कमा लायेगा.

यही कारण है कि मैं आधे अधूरे प्रयासों की बिना पर अन्य साइटों पर रचनाएँ डालने पर क्षुब्ध हो जाता हूँ.

वर्ना सबको हक़ है कि अपनी बात अपनी भावनाएँ संप्रेषित करे.

शुभम्

Comment by Sumit Naithani on July 3, 2013 at 2:34pm

बस सिक्के की ओट में, प्रथम चाल को वोट  ...मुझे इस विधा का इतना ज्ञान नहीं है..फिर भी पढ़ के अच्छा लगा ,,,,सुंदर प्रस्तुति 

Comment by वेदिका on July 3, 2013 at 1:20pm

आदरणीय सौरभ जी! नमन!

सबसे पहले तो मुझे क्षमा मांगना चाहिए की मैंने यह नियम ध्यान में क्यूँ नही रखा, भले ही यह मेरा पहला प्रयास है ललित छंद को रचना का,लेकिन कुछ भी हो मुझे शिल्प पक्ष को तो सही रखना ही चाहिए था भले ही भाव पक्ष में प्रबलता आते आते ही आती।  मैंने कैसे नही देखा की पदांत में गुरु गुरु होना।

आदरणीय सौरभ जी! मै ये संशोधन जल्द ही कर लुंगी। आपकी पैनी दृष्टी वाली बधाई का बहुत बहुत शुक्रिया। नई तो पता नही हम जैसों 

का क्या हो,!!!

 

Comment by वेदिका on July 3, 2013 at 1:10pm

आपका बहुत बहुत आभार आदरणीय रविकर जी!

आपकी काव्यात्मक बधाई पे आपको भी बधाई हो!!

Comment by वेदिका on July 3, 2013 at 1:09pm

आपका बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय शिज्जू जी!

रचना पर आपने इतना उत्साह दिखाया, सच मुच  ही मुझ जैसे नवोदित के लिए ख़ुशी की बात है :))

  

Comment by वेदिका on July 3, 2013 at 1:07pm

आभार रक्ताले जी! मै आदरणीय सौरभ जी की बात को और आपके कहे को समझ गयी हूँ .. मै सुधार की दिशा में अग्रसर हूँ!  

Comment by रविकर on July 3, 2013 at 10:33am

छन्न पकैया छन्न पकैया, बेमिसाल ये जोड़े |
भाव शब्द का चयन अनोखा, हर जोड़े को मोड़े ||


बधाइयां आदरणीया-


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on July 3, 2013 at 8:28am

वाह क्या बात है वेदिका जी, आपकी ऐसी ही रचनाओं का तो बेसब्री से इंतज़ार रहता है , आपकी अगली "छन्न पकैया" का भी इंतेज़ार रहेगा.

कृपया ध्यान दे...

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