For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जल बिन सब बेजान हैं ,धरती कहे पुकार
बरखा देखो आ गई ,लेकर सुखद फुहार

घाव धरा के भर गए , ग्रीष्म हो गया लुप्त

जल फैला चहुँ ओर है ,धरा हो गई तृप्त


बरखा लेकर आ गई ,राहत और सुकून
दिल्ली भी अब बन गई ,देख देहरादून

.......मौलिक व अप्रकाशित ........

Views: 482

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 2, 2013 at 7:06pm

आदरणीया सरिता जी, मैं आपकी कोशिशों और सकारात्मकता के आगे नत हूँ. 

आपने कहे का और सुझाए गये विन्दुओं का सार्थक मान रखा है, मैं आभारी हूँ. रचनाकर्म संप्रेषणीयता में शुद्धता की मांग करता है. यह शुद्धता भाव के अनुसार, शब्द चयन के अनुसार, व्याकरण के अनुसार, प्रयुक्त छंद विधान के अनुसार तथा संप्रेषणीयता के अनुसार होनी चाहिये. कोई रचनाकार इसी लिहाज से प्रयास करे तो रचना अवश्य पाठकों के हृदय और मस्तिष्क दोनों को संतुष्ट करेगी. मात्र हृदय को छूने वाली या मात्र मस्तिष्क को संतुष्ट करने वाली एकांगी रचनाएँ संपूर्ण और व्यवस्थित नहीं होतीं. 

आपका पुनः आभार. सतत और दीर्घकालीन प्रयत्न करें

शुभम

Comment by Sarita Bhatia on July 2, 2013 at 6:16pm

 Saurabh Pandey sir maine ismein sudhar kar diya hai kripya janch len 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 2, 2013 at 6:46am

प्रयास पर शुभकामनाएँ आदरणीया

सब के साथ हैं होना था न कि है.  तथा कहित  को आसानी से कहे कहा जा सकता था.

दूसरे, लिंग दोष पर ध्यान दें, आदरणीया. ग्रीष्म की संज्ञा पुल्लिंग है तो दिल्ली सदा रूप बदलती रही है. और.. . जल नहीं घन छाता है.

बहरहाल इस प्रयास और प्रस्तुति पर बधाई.

सादर

Comment by LOON KARAN CHHAJER on July 1, 2013 at 7:44pm

बहुत सुंदर . साधुवाद

Comment by ram shiromani pathak on July 1, 2013 at 7:00pm

आदरणीया सरिता जी,सुंदर//////

Comment by अरुन 'अनन्त' on July 1, 2013 at 12:44pm

दोहों पर प्रयास हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें आदरणीया सरिता जी प्रयास करते रहिये, जब ओ बी ओ पर आ ही गईं हैं तो फिकर नॉट. धीरे धीरे सब सध जायेगा.

Comment by विजय मिश्र on July 1, 2013 at 12:29pm
वाह वाह , बहुत सुंदर . साधुवाद सरिताजी
Comment by रविकर on July 1, 2013 at 10:21am

आभार आदरणीया-

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on July 1, 2013 at 1:10am
आदरणीय...सरिता जी, सच में बारिश के मौसम में सारी धरा खुश होकर, चारों तरफ हरियाली बिखेर देती है! साल भर की प्यासी धरती, अपनी प्यास बुझा लेती है, नदियाँ फिर से कलकल बहने लगती है! शहर हो गांव सभी जगह एक रौनक सी छा जाती है! ......सुंदर रचना प्रस्तुति के लिए शुभकामनाऐ

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय सौरभ सर, मैं इस क़ाबिल तो नहीं... ये आपकी ज़र्रा नवाज़ी है। सादर। "
15 hours ago
Sushil Sarna commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय जी  इस दिलकश ग़ज़ल के लिए दिल से मुबारकबाद सर"
15 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय गिरिराज जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया और सुझाव  का दिल से आभार । प्रयास रहेगा पालना…"
15 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन के भावों को मान और सुझाव देने का दिल से आभार । भविष्य के लिए  अवगत…"
15 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"आदरणीय  अशोक रक्ताले जी सृजन को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार । बहुत सुन्दर सुझाव…"
15 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आ. शिज्जू भाई,एक लम्बे अंतराल के बाद आपकी ग़ज़ल पढ़ रहा हूँ..बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है.मैं देखता हूँ तुझे…"
18 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . लक्ष्य

दोहा सप्तक. . . . . लक्ष्यकैसे क्यों को  छोड़  कर, करते रहो  प्रयास । लक्ष्य  भेद  का मंत्र है, मन …See More
20 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज जी, ओबीओ के प्रधान संपादक हैं और हम सब के सम्माननीय और आदरणीय हैं। उन्होंने जो भी…"
21 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय अमीरुद्दीन साहब, आपने जो सुझाव बताए हैं वे वस्तुतः गजल को लेकर आपकी समृद्ध समझ और आपके…"
21 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय सुशील भाई , दोहों के लिए आपको हार्दिक बधाई , आदरणीय सौरभ भाई जी की सलाहों कर ध्यान…"
22 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । "
22 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय शिज्जू शकूर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
22 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service