For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

है रुत मन भावन , वर्षा पावन , आयें हैं घन , खुश दिल से |
जब आये फुहार , भिगे दिल तार , गावें मल्हार , सब दिल से | 
हरे भये उपवन , खिले बाग़ वन , खुश हैं हर जन , सब दिल से | 
जब भिगोये पवन , खिले हर तन , नाच उठे मन , जब  दिल से |  
जब जम कर बरसे ,बादल गरजे , बिजली चमके , देख मन डरे | 
भरा जल चहुओर , बहे झकझोर , शोर हरओर ,   बहु लोग मरे |  
जब चले तूफ़ान , तोड़े मकान , होता विरान , का लोग करें | 
फसल बहे जल में , गम है मन में , सभी नयन में , अश्क भरें |  
बही टूटी सड़क , कहीं पुल बहे , गिर पेड़ पड़े , राहों में |  
हैं लोग बेहाल , बह गया माल , सब दुखी हैं , आहों में |
अब सपने टूटे , नसीब फूटे , जब फसल बहे , धारों में | 
सब मिल भजन करें , सो  ना पायें  , बच्चे रोयें , बाँहों में |  
मौसम का तांडव , देख हताश , सब हैं उदास ,  घर घर में | 
कौन पास आये , सभी बहाये , कौन बचाये ,  अब घर में |
सरकार बेहाल , देख रुत चाल , बहे जब माल , पतंग में |
वर्मा ये मौसम ,खुशी  कहीं  गम , बरस रहा है , उमंग में |
श्याम नारायण वर्मा 
(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 699

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 21, 2013 at 5:05pm

सभी रचनाकारों और पाठकों से अनुरोध है कि  भारतीय छंद विधान समूह में शामिल किये गये छंदों का अध्ययन करें और वहाँ से छंदों के विधान को जानें.

प्रयासरत रचनाकार छंदों के मर्म को आत्मसात न कर उसका शाब्दिक रूप ग्रहण करते हैं और रचनाकर्म में तथाकथित रूप से विधान जानने के बावज़ूद गलतियाँ करते हैं. 

सादर

Comment by Shyam Narain Verma on June 21, 2013 at 4:58pm

आदरणीय मिश्र जी ,

त्रिभंगी छंद में ३२ मात्राएँ , १०,८,८, ६ पर यति और अंत में एक गुरु होता है |

Comment by aman kumar on June 21, 2013 at 4:37pm
मौसम का तांडव , देख हताश , सब हैं उदास ,  घर घर में | 
कौन पास आये , सभी बहाये , कौन बचाये ,  अब घर में |

सरकार बेहाल , देख रुत चाल , बहे जब माल , पतंग में |

शान्दार !

Comment by Dr Ashutosh Mishra on June 20, 2013 at 2:09pm

बहते हुए झरने का आनन् लिया ...आदरनीय श्यामजी से शिल्प की भी जानकारी मिली ..त्रिभंगी छंद क्या होता है कृपया बताने का कास्ट करें ....

Comment by Shyam Narain Verma on June 20, 2013 at 1:30pm

आपका हार्दिक आभार , कृपया स्नेह बनाए रखे | सादर 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 20, 2013 at 1:07pm

आदरणी श्यामजी, आपके प्रयास के प्रति हार्दिक बधाइयाँ. प्रयासरत रहें.

एक बात:

ऐसा बार-बार क्यों होता है, आदरणीय, कि आप अपनी रचना में प्रयुक्त छंदों का नाम रचना के साथ नहीं देते ? प्रस्तुत रचना त्रिभंगी छंद में है. लेकिन उस छंद के मर्म को नहीं समझा गया प्रतीत होता है. १०-८-८-६ पर यति का निर्वहन नहीं हो पाया है क्यों कि कई पदों में मात्राएँ भी विधान के अनुसार नियत नहीं हैं. 

छंद-परंपरा यह भी है कि त्रिभंगी छंद या इससे मिलते-जुलते चौपइया छंद के पदों का आरम्भ गुरु से होता है. चरणों का अंत गुरु-लघु से न हो तो ही श्रेयस्कर है.

आदरणीय, विदित हो कि यह मंच सीखने-सिखाने का है.

सादर

Comment by vijay nikore on June 20, 2013 at 11:41am

आदरणीय श्याम जी:

 

आपकी रचना के भाव अच्छे लगे।बधाई।

 

सादर,

विजय निकोर

Comment by बृजेश नीरज on June 20, 2013 at 8:54am

आपके इस प्रयास पर आपको हार्दिक बधाई!

Comment by ram shiromani pathak on June 19, 2013 at 9:45pm

 सुंदर रचना //हार्दिक  बधाई //यदि आप इसे छंद में लिखते तो आनंद आ जाता //

जैसे ***भे प्रगट कृपाला ,दीन दयाला ,कौसिल्या हितकारी ********************

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on June 19, 2013 at 6:22pm

ईश्वर की माया, कही धूप कही छाया ... और क्या कहें! भावप्रधान ...

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Wednesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Tuesday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Jul 27
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Jul 27
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Jul 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Jul 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Jul 27
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Jul 27

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service