For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

वक़्त लगता है गहरा जख्म भरने में |

वक़्त लगता है गहरा जख्म भरने में |
वर्षों लगता है जिन्दगी सँवरने में |
जिन्दगी के मोड़ पर मिलते हैं  राही ,
पर सभी हिचकते हैं मदद  करने  में |
उधार लेते वक़्त  कितनी खुशी होती है ,
पर ग़म होता है ऐन वक़्त पर भरने में |
साथ जीने मरने के वादे तब झूठे हुए ,
जब सभा में मुकरने लगे बात करने में |
आपस की बात का क्या सिला मिला ,
जब सभी बैठे हैं दिन रात धरने में |
दरखत से टूटी डाली अब क्या करे ,
जब साथ देने वाले खुश हैं मरने में |
चेहरा छुपाने लगे दिवार गिराने वाले ,
वर्मा कौन साथ दे हिफाजत करने में |
श्याम नारायण वर्मा 
(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 453

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by वीनस केसरी on June 19, 2013 at 9:46am
साथ जीने मरने के वादे तब झूठे हुए ,
जब सभा में मुकरने लगे बात करने में |



सुन्दर रचना है 
हार्दिक बधाई स्वीकारें 

शिल्प के प्रति मंच आग्रही रहा है इसलिए मुझे भी इस रचना के हवाले, आने वाली रचनाओं से अधिक आशाएं होंगी 

सादर 

Comment by D P Mathur on June 19, 2013 at 7:48am

जिन्दगी के मोड़ पर मिलते हैं राही ,
पर सभी हिचकते हैं मदद करने में !
जिन्दगी की एक बहुत बड़ी सच्चाई को आपने बहुत सादगी से कह दिया,
सुन्दर रचना के लिए आपको बधाई ।

Comment by राजेश 'मृदु' on June 17, 2013 at 1:15pm

इस रचना हेतु आपको बधाई, हकीकत को बयां करती सुंदर रचना

Comment by विजय मिश्र on June 17, 2013 at 12:37pm
" साथ जीने मरने के वादे तब झूठे हुए ,
जब सभा में मुकरने लगे बात करने में |" -- इस वेदना को बाँटनेवाले आज कम से कमतर होते जा रहे हैं . आजके हालात और उनके साथ बदलते रिश्तों पर आपका इजहार बेहतरीन है .साधुवाद .
Comment by coontee mukerji on June 15, 2013 at 7:05pm

क्या खूब लिखा  है. बहुत सुंदर  / सादर /कुंती

Comment by vijayashree on June 15, 2013 at 6:33pm

सुंदर रचना / बधाई

Comment by Meena Pathak on June 15, 2013 at 6:29pm

सुन्दर रचना .. बधाई स्वीकारें 

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on June 15, 2013 at 8:59am

आ0  श्याम नारायण जी,  अतिशय सुन्दर यथार्थ जीवन्त रचना।  हार्दिक बधाई स्वीकारें।  सादर,

Comment by Abid ali mansoori on June 15, 2013 at 8:47am
अच्छी रचना के लिए बधाई!
Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on June 15, 2013 at 7:37am
आदरणीय.. श्याम जी, "वक्त लगता है गहरा जख्म भरने में, वर्षों लगता है जिंदगी संवरने मे ..जिंदगी के मोड़ पर मिलते है राही, पर सभी हिचकते है मदद करने में..!बहुत खूबसूरत रचना..अभिव्यक्ति, आदरणीय..हार्दिक शुभकामनाऐं

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय लक्ष्मण भाई बहुत  आभार आपका "
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है । आये सुझावों से इसमें और निखार आ गया है। हार्दिक…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन और अच्छे सुझाव के लिए आभार। पाँचवें…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय सौरभ भाई  उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार , जी आदरणीय सुझावा मुझे स्वीकार है , कुछ…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल पर आपकी उपस्थति और उत्साहवर्धक  प्रतिक्रया  के लिए आपका हार्दिक…"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपकी प्रस्तुति का रदीफ जिस उच्च मस्तिष्क की सोच की परिणति है. यह वेदान्त की…"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, यह तो स्पष्ट है, आप दोहों को लेकर सहज हो चले हैं. अलबत्ता, आपको अब दोहों की…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज सर, ओबीओ परिवार हमेशा से सीखने सिखाने की परम्परा को लेकर चला है। मर्यादित आचरण इस…"
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"मौजूदा जीवन के यथार्थ को कुण्डलिया छ्ंद में बाँधने के लिए बधाई, आदरणीय सुशील सरना जी. "
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- गाँठ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,  ढीली मन की गाँठ को, कुछ तो रखना सीख।जब  चाहो  तब …"
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"भाई शिज्जू जी, क्या ही कमाल के अश’आर निकाले हैं आपने. वाह वाह ...  किस एक की बात करूँ…"
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपके अभ्यास और इस हेतु लगन चकित करता है.  अच्छी गजल हुई है. इसे…"
6 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service