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वक़्त लगता है गहरा जख्म भरने में |

वक़्त लगता है गहरा जख्म भरने में |
वर्षों लगता है जिन्दगी सँवरने में |
जिन्दगी के मोड़ पर मिलते हैं  राही ,
पर सभी हिचकते हैं मदद  करने  में |
उधार लेते वक़्त  कितनी खुशी होती है ,
पर ग़म होता है ऐन वक़्त पर भरने में |
साथ जीने मरने के वादे तब झूठे हुए ,
जब सभा में मुकरने लगे बात करने में |
आपस की बात का क्या सिला मिला ,
जब सभी बैठे हैं दिन रात धरने में |
दरखत से टूटी डाली अब क्या करे ,
जब साथ देने वाले खुश हैं मरने में |
चेहरा छुपाने लगे दिवार गिराने वाले ,
वर्मा कौन साथ दे हिफाजत करने में |
श्याम नारायण वर्मा 
(मौलिक व अप्रकाशित)

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Comment by वीनस केसरी on June 19, 2013 at 9:46am
साथ जीने मरने के वादे तब झूठे हुए ,
जब सभा में मुकरने लगे बात करने में |



सुन्दर रचना है 
हार्दिक बधाई स्वीकारें 

शिल्प के प्रति मंच आग्रही रहा है इसलिए मुझे भी इस रचना के हवाले, आने वाली रचनाओं से अधिक आशाएं होंगी 

सादर 

Comment by D P Mathur on June 19, 2013 at 7:48am

जिन्दगी के मोड़ पर मिलते हैं राही ,
पर सभी हिचकते हैं मदद करने में !
जिन्दगी की एक बहुत बड़ी सच्चाई को आपने बहुत सादगी से कह दिया,
सुन्दर रचना के लिए आपको बधाई ।

Comment by राजेश 'मृदु' on June 17, 2013 at 1:15pm

इस रचना हेतु आपको बधाई, हकीकत को बयां करती सुंदर रचना

Comment by विजय मिश्र on June 17, 2013 at 12:37pm
" साथ जीने मरने के वादे तब झूठे हुए ,
जब सभा में मुकरने लगे बात करने में |" -- इस वेदना को बाँटनेवाले आज कम से कमतर होते जा रहे हैं . आजके हालात और उनके साथ बदलते रिश्तों पर आपका इजहार बेहतरीन है .साधुवाद .
Comment by coontee mukerji on June 15, 2013 at 7:05pm

क्या खूब लिखा  है. बहुत सुंदर  / सादर /कुंती

Comment by vijayashree on June 15, 2013 at 6:33pm

सुंदर रचना / बधाई

Comment by Meena Pathak on June 15, 2013 at 6:29pm

सुन्दर रचना .. बधाई स्वीकारें 

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on June 15, 2013 at 8:59am

आ0  श्याम नारायण जी,  अतिशय सुन्दर यथार्थ जीवन्त रचना।  हार्दिक बधाई स्वीकारें।  सादर,

Comment by Abid ali mansoori on June 15, 2013 at 8:47am
अच्छी रचना के लिए बधाई!
Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on June 15, 2013 at 7:37am
आदरणीय.. श्याम जी, "वक्त लगता है गहरा जख्म भरने में, वर्षों लगता है जिंदगी संवरने मे ..जिंदगी के मोड़ पर मिलते है राही, पर सभी हिचकते है मदद करने में..!बहुत खूबसूरत रचना..अभिव्यक्ति, आदरणीय..हार्दिक शुभकामनाऐं

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