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//गजल//यह बारिशों का मौसम

 

2212122221212

 

यह बारिशों का मौसम, कितना हसीन है!

धरती गगन का संगम, कितना हसीन है!

 

जाती नज़र जहाँ तक, बौछार की बहार,

बूँदों का नृत्य छम-छम, कितना हसीन है!

 

बच्चों के हाथ में हैं, कागज़ की किश्तियाँ,

फिर भीगने का ये क्रम, कितना हसीन है!

 

विहगों की रागिनी है, कोयल की कूक भी,

उपवन का रूप अनुपम, कितना हसीन है!

 

झूलों पे पींग भरतीं, इठलातीं तरुणियाँ,

लय तान का समागम, कितना हसीन है!

 

मित्रों का साथ हो तो, आनंद दो गुना,

नगमें सुनाता आलम, कितना हसीन है!

 

हर मन का मैल मेटे, सुखदाई मानसून,

हर मन का नेक हमदम, कितना हसीन है!

 

मौलिक व अप्रकाशित

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Comment

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Comment by coontee mukerji on June 17, 2013 at 8:32pm

बारीशों का मौसम और आप की गज़लों का आलम / बहुत खूब है . सादर / कुंती.

Comment by aman kumar on June 17, 2013 at 5:08pm

मित्रों का साथ हो तो, आनंद दो गुना,

नगमें सुनाता आलम, कितना हसीन है!

वास्तव मे वर्षा दिल के अबसादो को धो देती है ! 

आभार !

Comment by विजय मिश्र on June 17, 2013 at 4:22pm
"बूँदों का नृत्य छम-छम, कितना हसीन है!"
|
"फिर भीगने का ये क्रम, कितना हसीन है!"

कल्पनाजी , साधुवाद
शब्दों को इतनी खूबसूरती देना ,कितना कठिन है!
Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on June 17, 2013 at 11:15am
आदरणीया..कल्पना जी, उम्दा गजल की प्रस्तुति, बारिष के मौसम की सुंदर अभिव्यक्ति.."मिञों का साथ हो तो, आनंद दोगुना..नगमें सुनाता आलम, कितना हसीन है! ..हर मन का मेल मेटे, सुखदाई मानसून..हर मन का नेक हमदम, कितना हसीन है! ..बहुत खूब आदरणीया...दाद कुबूल कीजीऐ

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