For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

परिपक्वता और नादानीयाँ

धर्म-मजहब के नाम पर,

तुम लड़ सकते हो, मैं नहीं

अपने शब्दों की नुमाइश बेहतर,

तुम कर सकते हो, मैं नहीं

.

मैं.............. मैं क्या कर सकता हूँ ???

मैं तो बस....

.

मैं तो आज भी ले सकता हूँ

बारिश का मज़ा

गलतियाँ कर पा सकता हूँ सजा

कल्पनाओ से निखार सकता हूँ धरा

बात दिल की कहता हूँ सदा.......

.

रो कर मना सकता हूँ उन्हें

रूठ के सता सकता हूँ उन्हें

नादानियो से हँसा सकता हूँ उन्हें

क्या तुम कर सकते हो ?

.

कदाचित नहीं

 

क्योंकि परिपक्वता तुम्हारा बन्धन है 

और नादानीयाँ मेरी आज़ाद उड़ान .....

मौलिक एवं अप्रकाशित 

- सुमित नैथानी 

 

Views: 802

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sumit Naithani on June 12, 2013 at 12:39pm

 vandana tiwari ji sukriya .....

Comment by Vindu Babu on June 11, 2013 at 12:41pm
आदरणीय सुमित जी आपकी रचना पढी,अच्छी लगी.
साहित्य में सदैव अध्ययन और सततता से ही निखार आता है। यह मंच तो साहित्य के हर क्षेत्र में अत्यन्त सहयोगी है।
ढेरों शुभकामनाएं..
सादर
Comment by Sumit Naithani on June 10, 2013 at 1:16pm

पांडे जी शुक्रिया ...अपना कीमती वक़्त देने के लिए 

Comment by Sumit Naithani on June 10, 2013 at 1:14pm

बृजेश जी शुक्रिया ...जी बिल्कुल ध्यान दूँगा 

Comment by yatindra pandey on June 10, 2013 at 12:07am

BAHUT SUNDAR RACHNA JO BAAT DIL KO LAGE VO EK RACHNA HAI HO SAKTA HAI VYAKRAN MAI  KAMI HO PAR YE SABHI KA SUDHAR HI JATA HAI DHERE DHERE.

AABHAR SWEKAR KARE

YATINDRA

Comment by बृजेश नीरज on June 9, 2013 at 12:00pm

आदरणीय सुमित जी मैं ही नहीं ओबीओ का प्रत्येक सदस्य आपकी कमियां इंगित करेगा। उन्हें समझना और तदनुरूप अपने लेखन में सुधार करना आपका दायित्व है। फिलहाल इस रचना के लिए आदरणीया राजेश कुमारी जी के इंगितों का संज्ञान लें।
सादर!

Comment by Sumit Naithani on June 9, 2013 at 10:00am

राजेश जी ...जब तक नेगेटिव नही होगा, तब तक पॉज़िटिव तो आ ही नही सकता..... अपना कीमती समय देने के लिए धन्यवाद ....

Comment by Sumit Naithani on June 9, 2013 at 9:58am

जवाहर जी शुक्रिया अपना कीमती वक़्त देने के लिए 

Comment by Sumit Naithani on June 9, 2013 at 9:57am

बृजेश जी शुक्रिया ..आशा करता हूँ कमी दिखती ही आप मेरा ध्यान उस तरफ ले जाएँगे 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 8, 2013 at 11:34pm

क्योंकि परिपक्वता तुम्हारा बन्धन है 

और नादानीयाँ मेरी आज़ाद उड़ान .-----यही तो फर्क है सुमति और कुमति में 

संवादों में कही रचना अच्छी लगी काव्य पर प्रयास रत रहें बहुत बहुत बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"अनुज बृजेश , पूरी ग़ज़ल बहुत खूबसूरत हुई है , हार्दिक बधाई स्वीकार करें मतले के उला में मुझे भी…"
36 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- गाँठ
"आदरणीय भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और विस्तार से सुझाव के लिए आभार। इंगित…"
2 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आ. बृजेश ब्रज जी,अच्छी ग़ज़ल हुई है. बधाई स्वीकार करें.मतले के ऊला में ये सर्द रात, हवाएं…"
3 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' posted a blog post

ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'

बह्र-ए-मुजतस मुसमन मख़बून महज़ूफमुफ़ाइलुन फ़इलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन1212  1122  1212  112/22ये सर्द…See More
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपके सकारात्मक प्रयास के लिए हार्दिक बधाई  आपकी इस प्रस्तुति पर कुछेक…"
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आपने, आदरणीय, मेरे उपर्युक्त कहे को देखा तो है, किंतु पूरी तरह से पढ़ा नहीं है। आप उसे धारे-धीरे…"
19 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"बूढ़े न होने दें, बुजुर्ग भले ही हो जाएं। 😂"
19 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आ. सौरभ सर,अजय जी ने उर्दू शब्दों की बात की थी इसीलिए मैंने उर्दू की बात कही.मैं जितना आग्रही उर्दू…"
20 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आदरणीय, धन्यवाद.  अन्यान्य बिन्दुओं पर फिर कभी. किन्तु निम्नलिखित कथ्य के प्रति अवश्य आपज्का…"
21 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय नीलेश जी,    ऐसी कोई विवशता उर्दू शब्दों को लेकर हिंदी के साथ ही क्यों है ? उर्दू…"
21 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"मेरा सोचना है कि एक सामान्य शायर साहित्य में शामिल होने के लिए ग़ज़ल नहीं कहता है। जब उसके लिए कुछ…"
21 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"अनुज बृजेश  ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका बहुत शुक्रिया "
22 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service