For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")


साथी!
जिस राह पे चलकर तुम जाते
वह राह मनचली
क्यों मुड़ के लौट नही आती ...

ये बैरन संध्या
हो जाये बंध्या
न लगन करे चंदा से
न जन्में शिशु तारे
बस यहीं ठहर जाये

ये शाम मुंहजली
जो मुड़ के लौट नही पाती ...

श्वासों के तार
ताने पल पल
न टूट  जायें
ये अगले पल
ले जाओ दरस  हमारा
दे जाओ दरस तुम्हारा
यह लिखती पत्र पठाती

यह राह मनचली
जो मुड़ के लौट नहीं पाती ...

ये राह दिवानी है
हमारे पिया गये जिस पर
न लौटे अब तक हाय
हमारा पिया हिरानी है
तेरी रज लूँ मै साथे!
मिला दे हमको पाथे
विनय सुने न हाय

हँसे जाती पगली
यह राह मनचली 
जो मुड़ के लौट नही पाती ...

तेरा गाली से श्रंगार करूं
बड़ा निठुर व्यवहार करूं
 खो दूँ तुझको
खुरपी लेकर फरुआ से
 महा प्रहार करूं
न ये न करना भोली
री! राह करे है ठिठोली
देखा तो पिया खड़े सम्मुख
वह भूल गयी सब वियोग दुःख 
ले रही बलैयाँ सैयाँ की
करती राह की कजली

यह राह मनचली
जो मुड़ के लौट यहीं आती ...

                             गीतिका 'वेदिका'   

 "मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 876

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Abid ali mansoori on June 5, 2013 at 9:27pm
आदरणीया गीतिका जी मन को छूती सुन्दर रचना के लिए बधाई आपको!
Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on June 5, 2013 at 9:18pm

वाह वाह आदरणीय बहुत सुन्दर प्रवाह पूर्ण शब्दों की माला पिरोई है आपने 

इस सुन्दर भावभरी प्रस्तुति हेतु बधाई स्वीकारें 

सादर 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on June 5, 2013 at 6:19pm
आदरणीया...गीतिका जी, बहुत ही खूबसूरत रचना," ये राह दिवानी है हमारे पिया गये जिस पर, न लौटे अब तक हाय हमारा पिया हिरानी है,,तेरी रज लूँ साथें! मिला दे हमको पाथे, विनय सुने न हाय...हँसे जाती पगली यह राह मनचली, जो मुड़ के लौट नहीं पाती..."बहुत ही उम्दा पंक्तियां, बहुत खूबसूरत ..."आदरणीया हार्दिक बधाई व शुभकामनायें स्वीकार करें....
Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on June 5, 2013 at 6:09pm

 सुन्दर रचना के लिए बधाई =

यह राह मनचली 

इसके आगे किसकी चली 

जीभ को लगती भली 

तन मन में मचती 

अनायास ही खलबली 

फिर निकाले कौन 

इसकी गली - लक्ष्मण 

Comment by Dr Ashutosh Vajpeyee on June 5, 2013 at 5:49pm

शानदार रचना के लिए मेरी हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिये 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी बहुत शुक्रिया आपका सादर"
1 minute ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर जी  बहुत शुक्रिया आपका हौसला अफ़ज़ाई के लिए और बेहतर सुझाव के लिए सुधार करती हूँ सादर"
1 minute ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय चेतन जी बहुत शुक्रिया हौसला अफ़ज़ाई के लिए आपका मक़्त के में सुधार की कोशिश करती हूं सादर"
2 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी बेहतर इस्लाह ऑयर हौसला अफ़ज़ाई के लिए शुक्रिया आपका सुधार करती हूँ सादर"
3 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल हुई आपकी बधाई स्वीकार कीजिये अमित जी और अमीर जी के सुझाव क़ाबिले…"
5 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी नमस्कार बहुत ही लाज़वाब ग़ज़ल हुई बधाई स्वीकार कीजिये है शेर क़ाबिले तारीफ़ हुआ ,गिरह भी…"
7 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी आदाब, और प्रस्तुति तक पहुँचने के लिए आपका आपका आभारी हूँ। "बेवफ़ा है वो तो…"
17 minutes ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
" आदरणीय मुसाफिर जी नमस्कार । भावपूर्ण ग़ज़ल हेतु बधाई। इस्लाह भी गुणीजनों की ख़ूब हुई है। "
1 hour ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीया ऋचा यादव जी नमस्कार । ग़ज़ल के अच्छे प्रयास हेतु बधाई।"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय संजय शुक्ला जी आदाब, अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ। तेरे चेहरे पे शर्म सा क्या…"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय Prem Chand Gupta जी आदाब  ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है। कृपया नुक़्तों का विशेष ध्यान रखें…"
1 hour ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"कू-ब-कू है ख़बर, हुआ क्या हैपर ये अख़बार ने लिखा क्या है । 1 जो परिंदे क़फ़स में जीते हैंउनको मालूम है…"
1 hour ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service