For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

वो मै था .कि......

..वो मै था .कि......
जो सबके साथ चलना चाहता था ,
पर ये वो थे , अपने को मेरा सहारा समझ बेठे ,
वो मै था , जो प्यार को खुदा मानता रहा ,
पर ये वो थे की मेरे प्यार मे , लालच को तलाशते रहे,
वो मै था, सबसे छोटा बना हुआ था ,
पर ये वो थे सब अपने को बड़े बना बेठे ,
एक मै था कि घर अपना न बना पाया अभी तक
पर ये वो थे सब महल सजा बेठे ,
वो मै था कि बेठा रहा इंतजार मे मौत तक ,
पर ये वो थे कि मुड़ कर भी न देखा रहे गुजर मे ,

मौलिक एवं अप्रकाशित ,

Views: 548

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by aman kumar on June 12, 2013 at 10:36am

आपका सादर स्वागत है श्रीमान. .....सहयोग बनाये रखे !

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on June 11, 2013 at 11:02pm

एक मै था कि घर अपना न बना पाया अभी तक 

पर ये वो थे सब महल सजा बेठे ,

वो मै था कि बेठा रहा इंतजार मे मौत तक ,

पर ये वो थे कि मुड़ कर भी न देखा रहे गुजर मे…

प्रिय अमन जी ..सच को उकेरती हुयी सुन्दर पंक्तियाँ ...समाज काफी बदल जा रहा है ...अच्छी रचना 

जय श्री राधे 
भ्रमर ५ 
Comment by Ashok Kumar Raktale on June 6, 2013 at 8:57am

सुन्दर अभिव्यक्ति आदरणीय अमन कुमार जी.

Comment by aman kumar on June 2, 2013 at 10:31am

आपका समय मिला क्रतार्थ हुआ


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 31, 2013 at 9:36pm

प्रयासरत रहें भाईजी.. .

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on May 31, 2013 at 8:35pm
"आदरणीय...अमन जी, बहुत ही उम्दा पंक्तियां .." जीवन में , रिश्तों में जो स्वार्थ जैसी भावनाऐं भी होती हैं ! ....शुभ-कामनायें
Comment by aman kumar on May 31, 2013 at 9:15am

आपका सादर स्वागत है श्रीमान. .....सहयोग बनाये रखे !

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on May 30, 2013 at 7:23pm

वर्तमान जगत में मानव स्वभाव में स्वार्थ के बीज एक कटु सत्य है, जिन्हें उजागर किया है, बधाई 

Comment by aman kumar on May 30, 2013 at 8:14am

आपका समय मिला क्रतार्थ हुआ |


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on May 29, 2013 at 7:39pm

ज़िंदगी की कटुता को तुलनात्मकता के साथ बाखूबी अभिव्यक्त किया है आ० अमन जी 

शुभकामनाएँ 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"आदरणीय अशोक भाई , प्रवाहमय सुन्दर छंद रचना के लिए आपको हार्दिक बधाई "
19 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय बागपतवी  भाई , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक  आभार "
22 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय गिरिराज भंडारी जी आदाब, ग़ज़ल के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाएँ, गुणीजनों की इस्लाह से ग़ज़ल…"
59 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय शिज्जु "शकूर" साहिब आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से…"
8 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय निलेश शेवगाँवकर जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद, इस्लाह और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से…"
9 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी आदाब,  ग़ज़ल पर आपकी आमद बाइस-ए-शरफ़ है और आपकी तारीफें वो ए'ज़ाज़…"
9 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज भाईजी के प्रधान-सम्पादकत्व में अपेक्षानुरूप विवेकशील दृढ़ता के साथ उक्त जुगुप्साकारी…"
10 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"   आदरणीय सुशील सरना जी सादर, लक्ष्य विषय लेकर सुन्दर दोहावली रची है आपने. हार्दिक बधाई…"
10 hours ago

प्रधान संपादक
योगराज प्रभाकर replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"गत दो दिनों से तरही मुशायरे में उत्पन्न हुई दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति की जानकारी मुझे प्राप्त हो रही…"
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"मोहतरम समर कबीर साहब आदाब,चूंकि आपने नाम लेकर कहा इसलिए कमेंट कर रहा हूँ।आपका हमेशा से मैं एहतराम…"
11 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"सौरभ पाण्डेय, इस गरिमामय मंच का प्रतिरूप / प्रतिनिधि किसी स्वप्न में भी नहीं हो सकता, आदरणीय नीलेश…"
12 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय समर सर,वैसे तो आपने उत्तर आ. सौरब सर की पोस्ट पर दिया है जिस पर मुझ जैसे किसी भी व्यक्ति को…"
13 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service