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ग़ज़ल : चोरी घोटाला और काली कमाई

बह्र : मुतकारिब मुसम्मन सालिम

चोरी घोटाला और काली कमाई,

गुनाहों के दरिया में दुनिया डुबाई,

निगाहों में रखने लगे लोग खंजर,

पिशाचों ने मानव की चमड़ी चढ़ाई,

दिनों रात उसका ही छप्पर चुआ है,

गगनचुम्बी जिसने इमारत बनाई,

कपूतों की संख्या बढ़ेगी जमीं पे,

कि माता कुमाता अगर हो न पाई,

हमेशा से सबको ये कानून देता,

हिरासत-मुकदमा-ब-इज्जत रिहाई,

गली मोड़ नुक्कड़ पे लाखों दरिन्दे,

फ़रिश्ता नहीं इक भी देता दिखाई...

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

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Comment by वीनस केसरी on May 14, 2013 at 1:09am

अनंत जी,
बहुत खूब
सुन्दर प्रयास है
दो शेर बहर से भटक रहे हैं उनको सही कर लें

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on May 12, 2013 at 6:04am

हमेशा से सबको ये कानून देता,

हिरासत-मुकदमा-ब-इज्जत रिहाई,

और यही कारण है कि दिन प्रतिदिन अपराध बढते जा रहे हैं!

आखिर हम किसे देगे दुहाई!

Comment by बृजेश नीरज on May 11, 2013 at 12:42pm

बहुत खूब! आपने जो चित्र खींचा है उसका कोई सानी नहीं। बेहतरीन! बधाई आपको!

Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on May 10, 2013 at 7:20pm

सुन्दर प्रयास अरुण जी! मतले के उला में प्रवाह कुछ बाधित प्रतीत हो रहा है! नज़रे सानी फ़रमा लें! सादर.

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on May 10, 2013 at 6:10pm

कपूतों की संख्या बढ़ेगी जमीं पे,

कि माता कुमाता अगर हो न पाई,

बिलकुल सही फरमाया 

सस्नेह बधाई 

Comment by Usha Taneja on May 10, 2013 at 5:23pm

आदरणीय  अरुन शर्मा 'अनन्त' जी. बहुत बढ़िया विषय व अभिव्यक्ति दी है आपने. बधाई हो!

Comment by ram shiromani pathak on May 10, 2013 at 2:33pm
adarney bhai arun sharma g haRDIK BADHAI ,,,,,,,,,BAHUT SUNDAR LIKHA HAI APNE
Comment by अरुन 'अनन्त' on May 10, 2013 at 10:17am

आदरणीय एडमिन महोदय कृपया पिचासों को पिशाचों कर दें.

Comment by Ashok Kumar Raktale on May 9, 2013 at 11:51pm

भाई अरुण जी सादर सुन्दर गजल रची है सादर बधाई स्वीकारें. "पिचासों" शायद टंकन त्रुटी है.

 

कपूतों की संख्या बढ़ेगी जमीं पे,

कि माता कुमाता अगर हो न पाई,...........इसका क्या अर्थ समझें?

Comment by coontee mukerji on May 9, 2013 at 11:20pm

निगाहों में रखने लगे लोग खंजर,

पिचासों ने मानव की चमड़ी चढ़ाई........बहुत अच्छा पकड़ा है  अरून जी .सादर

कृपया ध्यान दे...

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