For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अंतर्द्वंद्व // गणेश जी "बागी"

ठगती है,
बार बार,

अंतरात्मा,
आश्वासनों से,
ठीक हो जाएगा,
सब ठीक हो जाएगा,
एक अंतर्द्वंद्व,
सत्य असत्य,
दिल दिमाग़ के मध्य,
नही डिगेगा,
कभी नही डिगेगा,
चलते जाना है,
सत्य के मार्ग पर,
जो घटित होना है,
हो जाय,
कौन अमर यहाँ,
कोई नही,
कोई भी तो नही,
फिर डर कैसा,
उस अहंकार से,
जो क्षण भंगुर है,
चल हट !
चलने दे,
कार्य पथ पर बढ़ने दे,
वो सामने देख
डर के आगे,
जीत है |

 

(मौलिक व अप्रकाशित)

पिछला पोस्ट => लघुकथा : ईलाज / गणेश जी बागी

Views: 822

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by vijayashree on April 14, 2013 at 1:17pm

कौन अमर यहाँ,
कोई नही,
कोई भी तो नही,
फिर डर कैसा,
उस अहंकार से,
जो क्षण भंगुर है, 
चल हट ! 
चलने दे,
कार्य पथ पर बढ़ने दे,
वो सामने देख
डर के आगे,

जीत है |

 

ह्रदयस्पर्शी रचना ...सत्य से सभी अवगत है फिर भी ये मन का डर रोकता है

 

बधाई

 

विजयाश्री

 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on April 14, 2013 at 1:04pm

आदरणीया वंदना जी, मेरी पिछली टिप्पणी को देखें, मैंने त्रुटि निराकरण में सहयोग हेतु आभार व्यक्त किया है और रचनाओं के गुण दोष पर चर्चा तो ओ बी ओ की परिपाटी है तथा यही परिपाटी हमें विशेष भी बनाती है, फिर क्षमा मांगने जैसी कोई बात ही नहीं, आप सभी से निवेदन है कि खुल के चर्चा करें, कमियों को बताये ताकि "सीखने सिखाने" में सहयोग हो सके । 

आदरणीया अन्यथा लेने का सवाल ही पैदा नहीं होता । मैं पुनः आभार व्यक्त करता हूँ । 

Comment by Vindu Babu on April 14, 2013 at 12:37pm
आदरणीय क्षमा करें जो मेरी जिज्ञासा त्रुटि को इंगित कर रही है। श्रीमान् जब शब्दकोष में दिया है तो सकता है इसका कोई तर्क हो और आप सही हों मैं तो व्याकरण में शून्य हूं।
आपकी रचना ने हृदयातल को छुआ इसलिए अपनेपन से टिप्पणी की थी कृपया अन्यथा न लें।
सादर नमन्!
-वन्दना
Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 14, 2013 at 11:55am

चल हट !  चलने दे,
कार्य पथ पर बढ़ने दे,
वो सामने देख, डर के आगे जीत है | - अंतर्मन में द्वन्द में अंततः  डर  का भूत भागा और जीत हुई -

आत्म विश्वास के संबल की | आत्म विश्वास से सरोबार आपकी कलम से  सुन्दर सन्देश देती सापेक्ष

रचना के लिए बधाई आदरणीय गणेश जी बागी जी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 14, 2013 at 10:56am

ताउम्र, होने या न होने सही या गलत चाहिए अथवा नहीं का ये अन्तर्द्वन्द मानव के साथ परछाई की तरह चलता है डर  के आगे जीत है जिसने इस मर्म को समझा वो तर  गया  वरना मर गया मन मंथन से निकले प्रेरित करते भाव रचना को बहुमूल्य बना रहे हैं बहुत बहुत बधाई आदरणीय गणेश जी ।   


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on April 14, 2013 at 10:41am

आदरणीया वंदना जी, सादर प्रणाम, मैं शब्दकोष के कारण भ्रमित हो गया, उसमे अंतरात्मा को पुलिंग बता दिया है जबकि आत्मा को स्त्रीलिंग, और इसी भ्रमवश गलती हो गई, आप सही कह रही हैं "ठगती है" ही होना चाहिए, मैं सुधार करता हूँ । 

त्रुटि निराकरण में सहयोग और रचना को सराहने हेतु बहुत बहुत आभार ।  

Comment by coontee mukerji on April 14, 2013 at 10:04am

आदरणीय बागी , आपकी सुंदर रचना हर किसी के मन  का अंतर्द्वंद है जो जीवन के सत्य मार्ग पर चलने के लिये हिचकिचा रहे हों. यह

रचना अच्छा प्रेरणा स्रोत भी है .हार्दिक बधाई स्वीकर करें . सादर कुंती .

Comment by Vindu Babu on April 14, 2013 at 10:02am
आदरणीय बागी जी सादर अभिवादन स्वीकारें।
महोदय आपकी रचना अद्भुद है।
आपने शुआत में लिखा 'ठगता है' यदि आत्मा के लिए है तो 'ठगती है' न प्रयोग करने का कारण जानने की सादर जिज्ञासु हूं अथवा ये 'द्वन्द' के लिए है!
प्रतीक्षा में
सादर

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on April 13, 2013 at 11:28pm

आदरणीय अशोक कत्याल जी, हृदय से आभार स्वीकार करें |


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on April 13, 2013 at 11:26pm

प्रिय बृजेश जी, रचना आपको अच्छी लगी इसके लिए आभार, अन्यथा की बात क्या है मित्र, दो शब्दों मे टंकण त्रुटि थी जिन्हे ठीक कर लिया गया है, आपका बहुत बहुत धन्यवाद | 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आदरणीय नीलेश भाई , खूबसूरत ग़ज़ल के लिए बधाई आपको "
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय बाग़पतवी भाई , बेहतरीन ग़ज़ल कही , हर एक शेर के लिए बधाई स्वीकार करें "
2 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम -. . . . . शाश्वत सत्य
"आदरणीय शिज्जू शकूर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । आपके द्वारा  इंगित…"
5 hours ago
Mayank Kumar Dwivedi commented on Mayank Kumar Dwivedi's blog post ग़ज़ल
"सादर प्रणाम आप सभी सम्मानित श्रेष्ठ मनीषियों को 🙏 धन्यवाद sir जी मै कोशिश करुँगा आगे से ध्यान रखूँ…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम -. . . . . शाश्वत सत्य
"आदरणीय सुशील सरना सर, सर्वप्रथम दोहावली के लिए बधाई, जा वन पर केंद्रित अच्छे दोहे हुए हैं। एक-दो…"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय सुशील सरना जी उत्सावर्धक शब्दों के लिए आपका बहुत शुक्रिया"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय निलेश भाई, ग़ज़ल को समय देने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया। आपके फोन का इंतज़ार है।"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"मोहतरम अमीरुद्दीन अमीर 'बागपतवी' साहिब बहुत शुक्रिया। उस शे'र में 'उतरना'…"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय सौरभ सर,ग़ज़ल पर विस्तृत टिप्पणी एवं सुझावों के लिए हार्दिक आभार। आपकी प्रतिक्रिया हमेशा…"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय गिरिराज भंडारी जी, ग़ज़ल को समय देने एवं उत्साहवर्धक टिप्पणी के लिए आपका हार्दिक आभार"
9 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
9 hours ago
Nilesh Shevgaonkar posted a blog post

ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा

आँखों की बीनाई जैसा वो चेहरा पुरवाई जैसा. . तेरा होना क्यूँ लगता है गर्मी में अमराई जैसा. . तेरे…See More
10 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service