For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बाबू मैं बाजारू हूं

ना मैं बेटी ना ही मां हूं

केवल रैन गुजारू हूं

रम्‍य राजपथ, नुक्‍कड़ गलियां

सबकी थकन उतारू हूं

बाबू मैं बाजारू हूं ........बाबू मैं बाजारू हूं

अंधेरे का ओढ़ दुशाला

छक पीती हूं तम की हाला

कट-कट करते हैं दिन मेरे

रिस-रिस रात गुजारूं हूं

बाबू मैं बाजारू हूं ........बाबू मैं बाजारू हूं

जात-पात का भेद ना मानूं

ना अस्ति ना अस्‍तु जानूं

घुंघरू भर अरमान लिए मैं

सबका पंथ बुहारू हूं

बाबू मैं बाजारू हूं ........बाबू मैं बाजारू हूं

पता आपको भी तो होगा

या नारों का पहना चोगा ?

कहो तंत्र के वृहत्‍पाद हे

क्‍यूं मैं बदन-उघाड़ू हूं ?

बाबू मैं बाजारू हूं ........बाबू मैं बाजारू हूं

सूत्रधार ओ युग विषाद के

जख्‍म पूर दो नामुराद के

कहो मौसमी सीरत वाले

क्‍यूं मैं ढोर-गंवारू हूं ?

बाबू मैं बाजारू हूं ........बाबू मैं बाजारू हूं

स्‍वयंदूतिका, अगणवृत्‍त हूं

इस समाज का भित्तिचित्र हूं

स्‍याह कलम वाले ही बोलो

क्‍यूं मैं लाज बिसारूं हूं ?

बाबू मैं बाजारू हूं ........बाबू मैं बाजारू हूं

(पूर्णत: मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 1117

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Priyanka singh on May 4, 2013 at 7:31pm

स्‍वयंदूतिका, अगणवृत्‍त हूं

इस समाज का भित्तिचित्र हूं

स्‍याह कलम वाले ही बोलो

क्‍यूं मैं लाज बिसारूं हूं ? 

बहुत ही सुन्दर रचना.......सोचने पर विवश करते शब्द.....बधाई

Comment by राजेश 'मृदु' on May 2, 2013 at 6:36pm

मेरी रचना को मान देने के लिए हार्दिक आभार कल्‍पना दी, सादर

Comment by कल्पना रामानी on May 2, 2013 at 6:27pm

स्‍वयंदूतिका, अगणवृत्‍त हूं

इस समाज का भित्तिचित्र हूं

स्‍याह कलम वाले ही बोलो

क्‍यूं मैं लाज बिसारूं हूं ?

 

बहुत ही मर्म स्पर्शी रचना...कितनी पीड़ा भरी है....

Comment by राजेश 'मृदु' on April 29, 2013 at 1:32pm

आभार अजय जी

Comment by अजय कुमार on April 28, 2013 at 10:57am
Bahut khoobsoorat rachana. Vishesh aur alag tukbandi ke liye shubhkamnaye.
Comment by राजेश 'मृदु' on April 26, 2013 at 2:45pm

आदरणीय गुरूदेव, आपकी उपस्थिति से जो आश्‍वस्ति का भाव था वह पूर्णता को प्राप्‍त हुआ अन्‍यथा एक अनजाना धड़का सा लगा हुआ था । सादर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 26, 2013 at 1:38am

अद्भुत !

स्वयं की खरीद को उपसंहार-स्वर देती भाव-दशा बेलाग तरीके से शब्दबद्ध हुई है, आदरणीय राजेश झाजी., ढेर सारी बधाइयाँ. .. 

सादर

Comment by राजेश 'मृदु' on April 25, 2013 at 5:37pm

आदरणीय अजय शर्मा जी, भावना जी, ऊषा जी, राणा प्रताप जी, विजय मिश्र जी, अभिनव अरूण जी एवं शालिनी जी आप सबको रचना पसंद आई मेरा उद्देश्‍य सफल हुआ । अपना स्‍नेह बनाए रखें, सादर

Comment by ajay sharma on April 23, 2013 at 11:00pm

wah wah wah wah wah wah ........salute to your feelings ,,,,,many thanks to extent the voice to the section of society we never want to speak about................commendable .......

Comment by भावना तिवारी on April 23, 2013 at 7:15pm

GAZAB ...GAZAB ...GAZAB ..BADEY DINON BAAD ANTAS KO  JHAKJHOR DENEY WAALI RACHNAA PADHI ,,,....LEKHNI KI SHASHKTATAA KO PRANAAM .............BAHUT BAHUT BADHAI ......

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
10 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"राखी     का    त्योहार    है, प्रेम - पर्व …"
13 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"दोहे- ******* अनुपम है जग में बहुत, राखी का त्यौहार कच्चे  धागे  जब  बनें, …"
17 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"रजाई को सौड़ कहाँ, अर्थात, किस क्षेत्र में, बोला जाता है ? "
Thursday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय "
Thursday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय  सौड़ का अर्थ मुख्यतः रजाई लिया जाता है श्रीमान "
Thursday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"हृदयतल से आभार आदरणीय 🙏"
Thursday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , दिल  से से कही ग़ज़ल को आपने उतनी ही गहराई से समझ कर और अपना कर मेरी मेनहत सफल…"
Wednesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , गज़ाल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका ह्रदय से आभार | दो शेरों का आपको…"
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"इस प्रस्तुति के अश’आर हमने बार-बार देखे और पढ़े. जो वाकई इस वक्त सोच के करीब लगे उन्हें रख रह…"
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, बहरे कामिल पर कोई कोशिश कठिन होती है. आपने जो कोशिश की है वह वस्तुतः श्लाघनीय…"
Wednesday
Aazi Tamaam replied to Ajay Tiwari's discussion मिर्ज़ा ग़ालिब द्वारा इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण in the group ग़ज़ल की कक्षा
"बेहद खूबसूरत जानकारी साझा करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय ग़ालिब साहब का लेखन मुझे बहुत पसंद…"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service