For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तुम और तुम्हारी यादें

तुम और तुम्हारी यादें .. दिल से जाती ही नहीं ...
कई बार चाहा तुम चले जाओ..
मेरे दिल से .. मेरे दिमाग से ...

हर मुमकिन कोशिश कर के देख लिया ..
पर नाकाम रहे ...
कभी कभी सोचते हैं ..ऐसा क्या है हमारे बीच ...
जिसने हमें बांध कर रक्खा है ..
हमारा तो कोई रिश्ता भी नहीं ..

फिर क्या है ये ...?
"लेकिन नहीं" हैं न ..हमारे बीच एक सम्बन्ध ..
एहसास का सम्बन्ध ..
ये क्या है ..नहीं बता सकती मैं ..
एहसास को शब्दों में नहीं बाँध सकती मैं ...
उन्हें तो सिर्फ महसूस किया जाता है ...

सालों बीत गए ...
पर लगता है जैसे कल ही की बात है ..
तुम और मैं
मैं और तुम
कभी जुदा हुए ही नहीं ....

Views: 1033

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ajay Singh on November 21, 2010 at 8:20pm
तुम और तुम्हारी यादें .. दिल से जाती ही नहीं ...
कई बार चाहा तुम चले जाओ..
मेरे दिल से .. मेरे दिमाग से ...

हर मुमकिन कोशिश कर के देख लिया ..
पर नाकाम रहे ...
अनीता जी -- बिल्कुल सही "
किसी चीज़ को याद करना तो अपने वस में होता है लेकिन भूलना नही .और जो दिल में बस जाए उसे तो भूलना असंभव सा ही होता है
Comment by Raju on November 21, 2010 at 1:01pm
Anita Jee aapke pahle blog e liye badhayi............

aapne bahut hi badhiya kavita likha hai..

एहसास को शब्दों में नहीं बाँध सकती मैं ...
उन्हें तो सिर्फ महसूस किया जाता है ...

bilkul sahi kaha aapne....eehsaso ko srif mahsus kiya ja sakta hai
mujhe bahut achhi lagi aapki ye kavita ......

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Rana Pratap Singh on November 20, 2010 at 7:51pm
मन को कोमलता से सहलाती हुई बहुत sundar kavita|
Comment by Pankaj Trivedi on November 20, 2010 at 7:14pm
Bahut hi sundar- sarahaniy.... badhai
Comment by DEEP ZIRVI on November 19, 2010 at 9:47pm
swagtm

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on November 19, 2010 at 7:03pm
ओपन बुक्स ऑनलाइन के मंच पर आपके पहले ब्लॉग का बहुत बहुत स्वागत है, अनीता जी मैं पूर्व मे आपकी भोजपुरी रचनायें पढ़ चूका हूँ जो बेहद खुबसूरत और बुलंद ख्यालों से भरी होती है, आज पहली बार मैं आपकी एक बेहतरीन हिंदी कविता पढ़ कर अभिभूत हूँ , बहुत सुंदर , बेहतरीन अभिव्यक्ति हेतु बधाई स्वीकार कीजिये |

प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on November 19, 2010 at 7:02pm
//एहसास को शब्दों में नहीं बाँध सकती मैं ...
उन्हें तो सिर्फ महसूस किया जाता है ...//.
वाह वाह अनीता जी कितने मासूम और कोमल से ख्यालातों को कलमबंद किया है आपने ! ओबीओ पर आपकी पहली कविता बहुत ही सुन्दर और सारगर्भित है, भविष्य में भी आप इसी तरह की स्तरीय रचनायों के साथ इस मंच की शोभा बढाती रहेंगी, मुझे इस बात का पूरा विशवास है ! ओबीओ में आपका बहुत बहुत स्वागत है !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
4 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
4 hours ago
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
7 hours ago
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
7 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी, बहुत धन्यवाद"
7 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी, बहुत धन्यवाद"
7 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी सादर नमस्कार। हौसला बढ़ाने हेतु आपका बहुत बहुत शुक्रियः"
7 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service