For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Anita Maurya's Blog (25)

आँसू


2122 1212 22

उसकी आँखों से जूझते आँसू
मैंने देखे हैं बोलते आँसू

कैसे आँखों में बाँध रक्खोगे,
हिज्र की शब में काँपते आँसू,

राज़ कितने छुपाये हैं मन में,
उस की पलकों से झाँकते आँसू

कैसे तस्लीम कर लिये जायें
बेवफ़ा तेरे वास्ते आँसू,

इब्तिदा इश्क़ की हँसाती थी,
इंतिहा में हैं टूटते आँसू

मौलिक व अप्रकाशित

Added by Anita Maurya on July 15, 2022 at 7:44pm — 3 Comments

ग़ज़ल

212 212 212 212

साथ यादों के उनके ज़माने चले
हम ग़ज़ल कोई जब गुनगुनाने चले

है मुहब्बत का दुश्मन ज़माना तो क्या
हीर राँझा को दरया मिलाने चले

हाथ थामो मेरा और चलो उस तरफ़
जिस तरफ़ दुनिया भर के दिवाने चले

चाह सुहबत की है इसलिए आज हम
चाय पर दोस्तो को बुलाने चले

दाद महफ़िल में जब ख़ूब मिलने लगी
यूँ लगा शेर सारे ठिकाने चले

मौलिक व अप्रकाशित

Added by Anita Maurya on July 11, 2022 at 8:13am — 3 Comments

ग़ज़ल

२२२ २२२ २२
***************

ये मत पूछो क्या-क्या निकला,
आँसू का इक दरया निकला

हम उसके दिल से यूँ निकले
जैसे कोई काँटा निकला

जिसको जितना गहरा समझे
वो उतना ही उथला निकला

हिज्र की शब की बात बताऊँ ?
सदियों जैसा लम्हा निकला

दुनिया का ग़म, आहें, तड़पन
दिल से कितना मलबा निकला ....

मौलिक व अप्रकाशित

Added by Anita Maurya on July 8, 2022 at 6:46pm — 5 Comments

एक साँचे में ढाल रक्खा है

२१२२ १२१२ २२
फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ैलुन

एक साँचे में ढाल रक्खा है
हम ने दिल को सँभाल रक्खा है

तेरी दुनिया की भीड़ में मौला
ख़ुद ही अपना ख़याल रक्खा है

दर्द अब आँख तक नहीं आता
दर्द को दिल में पाल रक्खा है

चल के उल्फ़त की राह में देखा
हर क़दम पर वबाल रक्खा है


मौलिक व अप्रकाशित

Added by Anita Maurya on October 20, 2021 at 7:30pm — 7 Comments

नज़्म - कहाँ जाऊँ के तेरी याद का

कहाँ जाऊँ के तेरी याद का झोंका नहीं आये,

कि तेरे साथ का गुज़रा कोई लम्हा न तड़पाये,

कभी कपड़ों में मिल जाते हैं तेरे रंग के जादू,

मुझे महका के जाती हैं तेरे ही ब्राण्ड की ख़ुश्बू ,

मेरे हाथों की मेहंदी में तेरा ही अक़्स उभरे है,

मेरी साँसों में भी जानां तेरी ही साँस महके है,

पसंदीदा तुम्हारा जब कोई खाना बनाती हूँ,

तुम्हारे नाम की थाली अलग से मैं लगाती हूँ,

मिला कर दर्द में आँसू तेरा चेहरा बनाती हूँ,

मैं…

Continue

Added by Anita Maurya on October 17, 2018 at 9:00am — 4 Comments

बोल देती है बेज़ुबानी भी

2122 1212 22 

बोल देती है बेज़ुबानी भी,

ख़ामशी के कई म'आनी भी,

वो मरासिम बढ़ा के छोड़ गया,

दर्द होता है जाविदानी भी

वक़्त - बेवक़्त ही निकल आये

है अजब आँख का ये पानी भी,

वो सबब है मेरी उदासी का,

उससे है दोस्ती पुरानी भी,

जन्म देकर क़ज़ा तलक लायी,

ज़िन्दगी तेरी मेज़बानी भी,

आज फिर क़ैस को ही मरना पड़ा,

हो गयी ख़त्म ये कहानी भी। .. ...

मौलिक व् अप्रकाशित

Added by Anita Maurya on February 16, 2018 at 4:00pm — 4 Comments

मुहब्बत के सफ़र

1222 1222 122

मुहब्बत के सफ़र की दास्ताँ है,

तू मेरी जान है मेरा जहाँ है,

मेरी मुस्कान होठों पर सजी और,

मेरा ग़म मेरी आँखों में निहां है,

शबे -ग़म हिज्र का तुझको सताये,

वो मेरी ज़िन्दगी में भी रवां है,

सफ़र में साथ मेरे तुम हो जानां,

मेरे कदमों के नीचे आसमां है,

लबों से कुछ नहीं कहता कभी वो,

बस उसके लम्स से सबकुछ अयाँ है..

मौलिक व् अप्रकाशित

Added by Anita Maurya on February 10, 2018 at 6:41pm — 4 Comments

रंग

२१२२ १२१२ २२

फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ैलुन

******************************

रंग ख़ुशियों के कल बदलते ही,

ग़म ने थामा मुझे फिसलते ही,

मैं जो सूरज के ख़्वाब लिखती थी,

ढल गयी हूँ मैं शाम ढलते ही,

राह सच की बहुत ही मुश्किल है,

पाँव थकने लगे हैं चलते ही

वो मुहब्बत पे ख़ाक डाल गया

बुझ गया इक चराग़ जलते ही,

ख़्वाब नाज़ुक हैं काँच के जैसे,

टूट जाते हैं आँख मलते ही…

Continue

Added by Anita Maurya on October 25, 2017 at 7:27pm — 10 Comments

ग़ज़ल - जो तेरे इश्क़ की खुमारी है,

जो तेरे इश्क़ की खुमारी है,

हमने तो रूह में उतारी है,

दर्द पलकों से टूट बिखरा है,

इन दिनों ग़म से मेरी यारी है,

तू मेरी सांस में उतर आया,

इश्क़ है या कोई बीमारी है ,

तू निगाहों में या कि दिल में रहे,

मेरी मुझसे ही जंग जारी है,

वस्ल के नाम नींद को रख कर,

हमने शब आँख में गुजारी है !!अनुश्री!!

मौलिक व् अप्रकाशित

Added by Anita Maurya on August 18, 2017 at 9:09am — 8 Comments

गीत

ओ मेरे जीवन के सृंगार, मेरे पहले पहले प्यार,

तुम आओ तो हो जाये, मेरा हर सपना साकार

खेतों में सरसों लहराई, चलने लगी बैरन पुरवाई,

तन - मन में है आग लगाये, सुने न मेरी वो हरजाई,

तुम बिन सूना - सूना लागे, मुझको ये संसार।।

तुम आओ तो हो जाये, मेरा हर सपना साकार। ....

फागुन ने है पंख पसारे, रस्ता देखे नैन तिहारे,

चूड़ी, काजल, बिंदिया, पायल,…

Continue

Added by Anita Maurya on February 8, 2017 at 4:48am — 7 Comments

गीत

जब भी गाया तुमको गाया , तुम बिन मेरे गीत अधूरे,

तुमको ही बस ढूंढ रहा मन, तुम बिन मेरे सपने कोरे,

तुमको ही अपने जीवन के नस नस में बहता ज्वार कहा,

मेरे मन की सीपी के तुम ही हो पहला प्यार कहा,

एकाकी मन के आँगन में, बरसो बन कर मेघ घनेरे,

तुमको ही बस ढूंढ रहा मन, तुम बिन मेरे सपने कोरे,

तुम इन्हीं पुरानी राहों के राही हो कैसे भूल गये,

आँखों से आँखों में गढ़ना सपन सुहाने भूल गये,

तुमको ही मन गुनता रहता हर दिन, हर पल, शाम सवेरे,…

Continue

Added by Anita Maurya on January 28, 2017 at 3:23pm — 5 Comments

ग़ज़ल : दिल के पन्नों पर

2122  2122  2122  212
दिल के पन्नों पर तुम्हारी याद उभरी जाय है,
तुम नहीं तो हर ख़ुशी अब ग़म में ढलती जाय है,
 
मैंने मुठ्ठी में कभी बाँधा नहीं पर जिन्दगी,
रेत की मानिंद हाथों से…
Continue

Added by Anita Maurya on December 10, 2016 at 10:00am — 6 Comments

ग़ज़ल - जिन्दगी फिर जिन्दगी लगने लगी

2122 2122 212 

जिन्दगी फिर जिन्दगी लगने लगी,
तुम मिले दुनिया नयी लगने लगी,

तुमने सींचा जब वफ़ा और प्यार से,
फिर जमीं दिल की हरी लगने लगी,

रात के कोसे में चमका चाँद जब,
हर घड़ी तेरी कमी लगने लगी,

तुमने देखा जब नज़र भर प्यार से,
रूह अपनी अज़नबी लगने लगी,

कबसे आँखों ने सहर देखी नहीं,
दीद तेरी लाजिमी लगने लगी..... !!अनुश्री!!

मौलिक और अप्रकाशित...

Added by Anita Maurya on November 23, 2016 at 4:30pm — 9 Comments

ग़ज़ल

ये न सोचों कि खुशियों में बसर होती है,

कई महलों में भी फांके की सहर होती है !

उसकी आँखों को छलकते हुए आँसूं ही मिले,

वो तो औरत है, कहाँ उसकी कदर होती है

कहीं मासूम को खाने को निवाला न मिला,

कहीं पकवानों से कुत्तों की गुजर होती है,

वो तो मजलूम था, तारीख पे तारीख मिली,

जहाँ दौलत हो…

Continue

Added by Anita Maurya on April 27, 2014 at 8:37pm — 11 Comments

बसंत

'लो'

फिर आ गया बसन्त,

प्रेम का उन्माद लिए,

प्रियतम की याद लिए,

'बसन्त' तो मेरे

मन का भी था,

रह गया उम्र के

उसी मोड़ पर,

लौटा ही नहीं,

जिंदगी उस

फफोले की मानिंद है,

जो रिसता है

आहिस्ता आहिस्ता,

बेइंतहां दर्द के साथ,

परन्तु सूखता नहीं,

नहीं खिलता

मेरे चेहरे पर,

सरसों के फूल का

पीला रंग,

पलाश के फूल

हर बार की तरह

इस बार भी

मुझे रिझाने में

नाकामयाब…

Continue

Added by Anita Maurya on February 5, 2014 at 9:25am — 10 Comments

प्रेम गीत

प्रीत की चली पवन,

जब मिले धरा गगन,

मेघों के गर्जन,

संगीत बन गए,

बज उठे नूपुर,

प्रेम गीत बन गए।

कान्हा की बंसी ने

प्रेम धुन बजाई

होके दीवानी देखो

राधा चली आई

अजनबी थे जो,

मन के मीत बन गए,

बज उठे नूपुर,

प्रेम गीत बन गए।

चंद्रमा के प्रेम में,

चांदनी पिघल रही,

बिन तुम्हारे नेह की,

रागिनी मचल रही,

प्रीत में यही,

जग की रीत बन गए,

बज उठे नूपुर,

प्रेम गीत बन…

Continue

Added by Anita Maurya on January 12, 2014 at 10:30pm — 12 Comments

सरस्वती वंदना

हे हंसवाहिनी, हे शारदे माँ, 

विद्या का तू उपहार दे माँ,

जीवन पथ पर बढ़ती जाऊँ, 

अपनों का विश्वास बनूँ माँ, 

अंधियारे को दूर भगा दूँ, 

ऐसी तेरी दास बनूँ माँ, 

तेरी महिमा जग में गाउँ , 

अधरों को तू उदगार दे माँ, 

हे हंसवाहिनी, हे शारदे माँ, 

विद्या का तू उपहार दे माँ,

मधु का स्वाद लिए है ज्यो अब, 

विष का भी मैं पान करूँ माँ, 

फूलों पर जैसे चलती हूँ, 

शूलों को भी पार करूँ माँ, 

तूफानों में राह बना…

Continue

Added by Anita Maurya on January 11, 2014 at 3:00pm — 7 Comments

नयन तुम्हारे

कुछ कहते कहते रुक जाते हैं,

चंचल, मदभरे, नयन तुम्हारे...

पल - पल देखो डूब रहे हम,

झील से गहरे नयन तुम्हारे....

 

मूक आमंत्रण तुमने दिया था,

अधरों से कुछ भी कहा नहीं,

मुझको अपने रंग में रंग गए,

हाथों से पर छुआ नहीं,

नैनो से सब बातें हो गयीं,

रह गए लब खामोश तुम्हारे....

 

स्पर्श तुम्हारा याद है मुझको,

सदियों में भी भूली नहीं,

कोई ऐसा दिन नहीं जब,

यादों में तेरी झूली नहीं,

बिन परिचय…

Continue

Added by Anita Maurya on July 13, 2011 at 10:49pm — 2 Comments

मेरी भावनाएं ...

एक दिन ,

भावनाओ  की  पोटली  बांध 

निकल  पड़ी  घर  से ,

सोचा,

समुद्र  की  गहराईयों  में  दफ़न  कर  दूंगी  इन्हें ..

कमबख्तों  की  वजह  से  ..

हमेशा  कमजोर  पड़  जाती हूँ  ..

फेक  भी  आई  उन्हें ..

दूर  , बहुत  दूर

पर  ये  लहरें  भी  'न' .--

कहाँ  मेरा  कहा मानती  हैं ..

हर  लहर ....

उसे  उठा  कर  किनारे  पर  पटक  जाती , 

और  वो  दुष्ट  पोटली ..

दौड़ती  भागती  मेरे  ही …

Continue

Added by Anita Maurya on July 4, 2011 at 3:46pm — 15 Comments

मेरे पापा

'पापा'

आपका जाना

दे गया

इक रिक्तता

जीवन में,

असहनीय पीड़ा

मेरे मन में..

 

'माँ'

आज भी

बातें करती है

लोगों से,

लेकिन उसकी

बातों में

होता है

इक 'खालीपन'

आज भी

उसकी निगाहें

देखती हैं

चहुँ ओर

'पर'

उसकी आँखों में हैं

इक 'सूनापन'...  

 

माँ के, दीदी के

छोटू के, भैया के ..

सबके मन में

आपकी याद बसी है

'वो'…

Continue

Added by Anita Maurya on February 6, 2011 at 4:18pm — 5 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
18 hours ago
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Friday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
Friday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
Thursday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service