For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अँधेरे में डूबकर
सन्नाटे से बतियाता
वो वीराना
समय से दौड़ में पिछड़ा
वह बेबस, कर्महीन खंड है
जो आजकल
बड़ा घबराया हुआ है उस
विशिष्ट उजाले की आहट सुनकर
जो उसके भाग्य की कालिमा
को धोने नहीं बल्कि उसे दुनिया के
सामने उजागर कर उसका
मजाक उड़ाने आनेवाला है।

Views: 855

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on March 17, 2013 at 10:34am
आदरणीय गुरुदेव, आपको बार-बार धन्यवाद कह रहा हूँ।

जिन भावनाओं के साथ मैंने ये कविता लिखी थी, आपने पूरी तरह उनको समझा और अपनी प्रतिक्रिया में निरूपित किया है। आपके स्नेह से एकबार फिर प्रोत्साहित हुआ हूँ। बहुत-बहुत आभार।

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 16, 2013 at 1:20am

अरे बाप रे.. .   क्या-क्या सोच लेते हो भाई.. .  रीढ़ में बर्फ़ की पिघलन महसूस हुई.

अविश्वास और अन्यमनस्कता की बढिया अभिव्यक्ति के लिए बधाई. 

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on March 14, 2013 at 8:03am

आपका हार्दिक स्वागत है आदरणीया वंदना तिवारी जी। रचना की सराहना हेतु आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on March 14, 2013 at 8:02am

बहुत दिनों बाद आपसे बात करने का मौका मिला आदरणीय योगी जी। आपका स्नेह पाकर मन प्रसन्न हुआ। बहुत-बहुत आभार।

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on March 14, 2013 at 8:00am

आपका स्नेह तो सदा प्रोत्साहित करता है आदरणीय लक्ष्मण सर। हार्दिक आभार।

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on March 14, 2013 at 7:59am

स्वागत है आपका आदरणीय विजय निकोर सर। बहुत-बहुत धन्यवाद। 

Comment by Vindu Babu on March 13, 2013 at 4:37pm
आदरणीय कुमार गौरव जी क्या समंजस्य बनाया है शब्दों और भावों के मध्य!
विशिष्ट उजाला....कालिमा को उजागर करने वाला ही नही बल्कि मजाक भी उड़ाने वाला...
बहुत सुन्दर!
सादर
Comment by Yogi Saraswat on March 13, 2013 at 2:22pm

बहुत सुन्दर भाव और उतने ही सुन्दर शब्द श्री कुमार गौरव जी

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on March 13, 2013 at 1:21pm

अच्छे भाव रचना के लिए बधाई श्री कुमार गौरव अजितेंदु जी, हार्दिक बधाई स्वीकारे 

Comment by vijay nikore on March 13, 2013 at 1:10pm

आदरणीय कुमार गौरव जी:

 

शूरू से अंत तक भाव आपस में बंधे हुए हैं,

रचना अच्छी बनी है।

 

सादर ,

विजय निकोर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" posted a blog post

ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है

1212 1122 1212 22/112मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना हैमगर सँभल के रह-ए-ज़ीस्त से गुज़रना हैमैं…See More
1 hour ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . विविध

दोहा सप्तक. . . . विविधकह दूँ मन की बात या, सुनूँ तुम्हारी बात ।क्या जाने कल वक्त के, कैसे हों…See More
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी posted a blog post

ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)

122 - 122 - 122 - 122 जो उठते धुएँ को ही पहचान लेतेतो क्यूँ हम सरों पे ये ख़लजान लेते*न तिनके जलाते…See More
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on Mayank Kumar Dwivedi's blog post ग़ज़ल
""रोज़ कहता हूँ जिसे मान लूँ मुर्दा कैसे" "
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on Mayank Kumar Dwivedi's blog post ग़ज़ल
"जनाब मयंक जी ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, गुणीजनों की बातों का संज्ञान…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"आदरणीय अशोक भाई , प्रवाहमय सुन्दर छंद रचना के लिए आपको हार्दिक बधाई "
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय बागपतवी  भाई , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक  आभार "
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय गिरिराज भंडारी जी आदाब, ग़ज़ल के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाएँ, गुणीजनों की इस्लाह से ग़ज़ल…"
3 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय शिज्जु "शकूर" साहिब आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से…"
11 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय निलेश शेवगाँवकर जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद, इस्लाह और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से…"
11 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी आदाब,  ग़ज़ल पर आपकी आमद बाइस-ए-शरफ़ है और आपकी तारीफें वो ए'ज़ाज़…"
11 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज भाईजी के प्रधान-सम्पादकत्व में अपेक्षानुरूप विवेकशील दृढ़ता के साथ उक्त जुगुप्साकारी…"
12 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service