For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बेंच बेंच दूल्हा किया, शादीघर बदहाल-

मौलिक / अप्रकाशित

बड़ा बटोरा आज तक, लोलुपता ने माल |

बेंच बेंच दूल्हा किया, शादीघर बदहाल |

शादीघर बदहाल, सुता चैतन्य आज है ।

बढ़ा चढ़ा विश्वास, स्वयं पर उसे नाज है ।

रविकर चाल सुधार, नहीं तो क्वांरा छोरा ।

नहीं सकेगा भोग, माल जो बड़ा बटोरा ॥

Views: 469

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by pawan amba on March 3, 2013 at 12:52pm

 रचना के लिए  बधाई!.....

Comment by रविकर on March 3, 2013 at 12:39pm

आभार आदरणीय अग्रज -

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on March 3, 2013 at 12:20pm

सामाजिक बुराई और उसे सुधारने का युवाओ का जज्बा हो यह आवश्यक है रविकर जी - आपकी झटपट गढ़ी रचनाए दिनप्रति दिन नखर कर आ रही है, हार्दिक बधाई -

झट प्रसाद देने लगे, चट मँगनी पट ब्याह

समझ संकेत आज के, वर्ना फिर पछाताह| - लक्ष्मण   

Comment by रविकर on March 3, 2013 at 11:06am

आदरणीय आप का हमेशा स्वागत है-
मैं स्वयं भी सचेत रहा करूंगा इस उत्कृष्ट प्लेटफोर्म पर -
सादर-

Comment by बृजेश नीरज on March 3, 2013 at 11:03am

आपका आभार रविकर जी!

अभी सीखने की प्रक्रिया में हूं। क्षमा इसलिए कि असावधानी बरतते हुए मैंने यह टिप्पणी कर दी। इस प्रक्रिया से एक लाभ मुझे हुआ कि यह बात अब नहीं भूलूंगा।

Comment by रविकर on March 3, 2013 at 10:56am

असमंजस में पड़ गया था मैं तो-
आभार आदरणीय सौरभ जी-
बहुत बहुत आभार आदरणीय बृजेश जी -
आप निश्चिन्त होकर यहाँ इंगित कर सकते हैं-
हमेशा स्वागत है मान्यवर-
क्षमा मांग कर शर्मिन्दा न करें मान्यवर ||

Comment by बृजेश नीरज on March 3, 2013 at 10:53am

मार्गदर्शन के लिए धन्यवाद आदरणीय सौरभ जी! मुझे अपनी त्रुटि का एहसास हो गया। ‘क्वांरा’ में मात्रा गणना में मैंने गलती की। रविकर जी से क्षमा चाहूंगा।

उनकी रचना के लिए उन्हें बधाई!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 3, 2013 at 10:46am

भाई बृजेश जी,

न(१)हीं(२) तो(२) क्वां(२)रा(२) छो(२)रा(२) = कुल योग १३

उक्त चरण की मात्रा नियमानुसार है.. . 

बहुत अच्छा लगा आप इतने आग्रही हो रहे हैं और जानने की इतनी लगन लगी है. अति उत्तम भाईजी.

शुभेच्छाएँ


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 3, 2013 at 10:42am

बखूबी चेताती हुई पंक्तियों के लिए आदरणीय रविकरजी, सादर बधाइयाँ .. . 

आज की प्रखर सुताओं की चेतनता ही समाज में मनस-परिवर्तन का कारण है.

वैसे बार-बार स्वयं को बिकने को प्रस्तुत करने और तुलवाने के बाद भी छोरा ’कुआँरा’ ही कहालाता है !.. हा हा हा हा.. बहुत मारक तंज है हुज़ूर.. बधाई-बधाई-बधाई.. . 

Comment by बृजेश नीरज on March 3, 2013 at 10:20am

नहीं तो क्वांरा छोरा

आदरणीय रविकर जी, मुझे ऐसा प्रतीत हो रहा है कि यहां मात्रा अधिक हैं।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"ऐसे😁😁"
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"अरे, ये तो कमाल  हो गया.. "
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय नीलेश भाई, पहले तो ये बताइए, ओबीओ पर टिप्पणी करने में आपने इमोजी कैसे इंफ्यूज की ? हम कई बार…"
8 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आपके फैन इंतज़ार में बूढे हो गए हुज़ूर  😜"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय लक्ष्मण भाई बहुत  आभार आपका "
10 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है । आये सुझावों से इसमें और निखार आ गया है। हार्दिक…"
11 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन और अच्छे सुझाव के लिए आभार। पाँचवें…"
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय सौरभ भाई  उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार , जी आदरणीय सुझावा मुझे स्वीकार है , कुछ…"
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल पर आपकी उपस्थति और उत्साहवर्धक  प्रतिक्रया  के लिए आपका हार्दिक…"
12 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपकी प्रस्तुति का रदीफ जिस उच्च मस्तिष्क की सोच की परिणति है. यह वेदान्त की…"
13 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, यह तो स्पष्ट है, आप दोहों को लेकर सहज हो चले हैं. अलबत्ता, आपको अब दोहों की…"
13 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज सर, ओबीओ परिवार हमेशा से सीखने सिखाने की परम्परा को लेकर चला है। मर्यादित आचरण इस…"
14 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service