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===========ग़ज़ल===========

खामोश लब पलकें झुकीं हालात देखिये
इस मौन में सिमटे हुए जज्बात देखिये

हमको मिली जो इश्क की सौगात देखिए
हर सुब्ह रोशन चाँदनी है रात देखिये

इंसानियत से बढ़ के क्या मजहब हुआ कोई
फिर भी वो हमसे पूछते हैं जात देखिये

पंजा कमल हाथी हथोडा सारे हो जमा
समझा रहे हैं आपकी औकात देखिये

पल पल मे बदले रंग वो माहौल देख के
गिरगिट के जैसे हो गयी हर बात देखिए

सब “दीप” मांगे बिन मिला हमको जुगाड़ से
मांगे नहीं मिलती जहां खैरात देखिये

संदीप पटेल “दीप”

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Comment

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Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on March 4, 2013 at 12:38pm

आदरणीय पवन जी , आदरणीय मोहन जी , आदरणीय राजेश कुमारी जी , परम आदरणीय गुरुदेव सौरभ सर जी आपके सभी को सादर प्रणाम सहित कोटि कोटि आभार प्रेषित कर रहा हूँ ........स्नेह अनुज पर यूँ ही बनाए रखिए 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 3, 2013 at 11:37pm

हर शेर पर मेहनत दिख रही है.

मतला तो बस पूछिये मत. सानी को रस ले ले कर पढ़ा संदीपभाई. इश्क़ की सौगात के क्रम में तथ्यों को सानी में कमाल ढंग से पिरोया है. मजा आ गया. पंजा कमलहाथी वाला शेर भी रंग में है लेकिन सबसे जियादाह रंग में है मक्ता.. . इस मक्ते पर विशेष बधाई.. .

मुबारकबाद .. . ..


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 3, 2013 at 10:15pm

इंसानियत से बढ़ के क्या मजहब हुआ कोई
फिर भी वो हमसे पूछते हैं जात देखिये----वाह जबरदस्त शेर ,बहुत अच्छी ग़ज़ल लगी दाद कबूल कीजिये 

Comment by मोहन बेगोवाल on March 3, 2013 at 7:04pm

खामोश लब पलकें झुकीं हालात देखिये
इस मौन में सिमटे हुए जज्बात देखिये- बहुत अच्छा शेर है -दोस्त 

Comment by pawan amba on March 3, 2013 at 12:56pm

फिर भी वो हमसे पूछते हैं जात देखिये...waahhh

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on March 3, 2013 at 9:52am

आदरणीय राम जी , आदरणीय अजय सर जी , आदरणीय सलीम जी .......इस जर्रानवाजी और हौसलाफजाई के लिए आपका तहे दिल से शुक्रगुजार हूँ ...........स्नेह यूँ ही बनाये रखिये सादर आभार

Comment by SALIM RAZA REWA on March 2, 2013 at 7:46pm

इंसानियत से बढ़ के क्या मजहब हुआ कोई !
फिर भी वो हमसे पूछते हैं जात देखिये !! ....khubsurat sher hai sandeep

Comment by Dr.Ajay Khare on March 2, 2013 at 4:22pm

पंजा कमल हाथी हथोडा सारे हो जमा
समझा रहे हैं आपकी औकात देखिये VYANG GAHRA HAI. KINTU NETA BAHRA HAI DO KODI KI OUKAAT HAI JINKI VHI AAJ PANE SEHRA HAI .SANDEEP JI AAPKI GAJAL SARAHNEEY HAI BADHAI

Comment by ram shiromani pathak on March 2, 2013 at 4:03pm

पल पल मे बदले रंग वो माहौल देख के
गिरगिट सी हो रही है उनकी बात देखिए

सब “दीप” मांगे बिन मिला हमको जुगाड़ से
मांगे नहीं मिलती जहां खैरात देखिये!!

आदरणीय पटेल जी  बहोत ही बढ़िया...........

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