For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हे मेरे प्रियवर,हे मेरे प्रियतम !
ये अद्भुत सृष्टि और तुम अनुपम।

 
स्वप्न सुन्दर,सुमन सुन्दर,
किन्तु तुम सबसे सुन्दरतम।
गगन सुन्दर,नयन सुन्दर,
किलोलें करते ये हिरन सुन्दर।
नेत्रों की ये प्यास मधुर ,
और तुम सबसे मधुरतम।
हे मेरे प्रियवर,हे मेरे प्रियतम!
ये अद्भुत सृष्टि और तुम अनुपम।

 
रैन प्यारी,बैन प्यारे,
प्यारे ये आकाश के तारे,
प्यारे ये जल के फुब्बारे ,
और तुम सबसे अधिकतम।
हे मेरे प्रियवर,हे मेरे प्रियतम!
ये अद्भुत सृष्टि और तुम अनुपम।

 
आशाओं की ऊँची उड़ान,
स्वप्नों का सुन्दर वितान,
प्रेम का इतिहास महान ,
 इनमें तुम सबसे महानतम।
हे मेरे प्रियवर,हे मेरे प्रियतम!
ये अद्भुत सृष्टि और तुम अनुपम।

 
नेत्रों का ये सुन्दर परिहास,
प्रेम का ये अत्यंत मधुर हास,
विरह का ये कठोर आभास,
पर तुम इन सबसे श्रेष्ठतम।
हे मेरे प्रियवर,हे मेरे प्रियतम!
ये अद्भुत सृष्टि और तुम अनुपम।

 
'सावित्री राठौर'
[मौलिक और अप्रकाशित]

Views: 671

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Savitri Rathore on February 25, 2013 at 8:48am

मेरी रचना पर अपनी अमूल्य प्रतिक्रिया व्यक्त करने के लिए आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद।सौरभ पांडे जी,आपके कथन पर विचार कर अपनी कमी को दूर करने का भरसक प्रयास करूंगी।एक बार पुनः आप सभी का हृदय से आभार।

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on February 24, 2013 at 3:36pm
सुन्दर शब्दों में अपने प्रियतम के प्रति जो भाव व्यक्त किये है, वह अच्छे लगे । इस भावाभिव्यक्ति 
के लिए हार्दिक बधाई सावित्री राठोर जी 
Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on February 23, 2013 at 6:51pm
आदरणीया सावित्री जी! वास्तव में प्रिय सबसे अनन्यतम होता है इसे आपने बहुत सहज ढंग से अभिव्यक्त किया है।सच प्रेम की पराकाष्ठा भी यही है।और आपकी रचना उसी पराकाष्ठा की अनुभूति कराती है।जिसके लिये आप भूरिश: बधाई की पात्र हैं।
सादर

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 23, 2013 at 6:14pm

रचना के भाव तदनुरूप शब्द सम्यक हैं. शिल्प पर थोड़ा और काम करें.

हार्दिक बधाई, सावित्री जी.

शुभेच्छाएँ.

Comment by vijay nikore on February 23, 2013 at 4:35pm

आदरणीया सावित्री जी:

 

नेत्रों का ये सुन्दर परिहास,
प्रेम का ये अत्यंत मधुर हास,
विरह का ये कठोर आभास,
पर तुम इन सबसे श्रेष्ठतम।
हे मेरे प्रियवर,हे मेरे प्रियतम!
ये अद्भुत सृष्टि और तुम अनुपम।

आपकी कविता के भाव और कथ्य अनुपम लगे।

विजय निकोर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on February 23, 2013 at 3:38pm

सुन्दर सुकोमल भाव् और मधुर कथ्य , और अभिव्यक्ति के लिए शब्द चयन भी बहुत सुन्दर है प्रिय सावित्री राठौर जी,

हार्दिक बधाई 

Comment by श्रीराम on February 23, 2013 at 8:31am

वह।।सुन्दर .....

Comment by Savitri Rathore on February 22, 2013 at 10:11pm

वंदना जी!बहुत-बहुत धन्यवाद,मेरी रचना पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करने पर।मैं आपकी इस अमूल्य राय पर अवश्य विचार करूँगी और अपने अन्दर सुधार लाने का प्रयास अवश्य करूंगी।

Comment by Vindu Babu on February 22, 2013 at 2:27pm
सादर अभिनन्दन महोदया!
रचना के भाव बहुत अच्छे हैं.यति और गति के लिए थोड़ा और सुधार करें
कृपया अन्यथा न लें.
सादर
Comment by Vindu Babu on February 22, 2013 at 2:26pm
सादर अभिनन्दन महोदया!
रचना के भाव बहुत अच्छे हैं.यति और गति के लिए थोड़ा और सुधार करें
कृपया अन्यथा न लें.
सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service