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  • सूनेपन का रंग

सूनेपन का रंग ...
पतझड़ के सूखे पत्तों -सा पीला,
मेले में खो गए भयभीत
बालक की नब्ज़-सा नीला,
या अमावस के गहन
अंधकार-सा गंभीर और काला,
सूनेपन का रंग
कैसा होता है?

घोर आतंक-सा वातावरण,
मौसम पर मौसम बेचैन,
जँगली हाँफ़ती हवाएँ
दानव-सी हँसी हँसती,
हर मास एक और पन्ना पलट
करता है गए मास का
अंतिम संस्कार।

पर सूनापन पड़ा रहता है,
वहीं का वहीं,
पुराने कपड़ों की गठरी-सा।
इस सूनेपन का रंग
सूनेपन में आज कोई पूछे मुझसे।

-----------------------------------------

(मौलिक व अप्रकाशित)

  • विजय निकोर

Views: 640

Comment

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Comment by vijay nikore on March 7, 2013 at 3:57pm

आदरणीय प्रदीप भाई:

 

इस कविता की सराहना के लिए आपका शत-शत आभार।

 

सादर,

विजय निकोर

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 7, 2013 at 3:30pm

बाहर कोलाहल अंदर सूना पन 

व्यथा ह्रदय की जाने कौन 

उसका मन या मेरा मन 

बधाई सर जी 

सादर 

Comment by vijay nikore on March 7, 2013 at 12:12am

आदरणीय अशोक जी:

 

इस कविता की सराहना के लिए आपका शत-शत आभार।

 

सादर और सस्नेह,

विजय निकोर

Comment by Ashok Kumar Raktale on March 6, 2013 at 11:50pm

आदरणीय विजय निकोर साहब सादर, सच है बाहर की खुशियाँ अन्दर के सूनेपन को नहीं पाट सकती. सुन्दर अभिव्यक्ति हार्दिक बधाई स्वीकारें.

Comment by Aarti Sharma on February 16, 2013 at 9:43pm

प्रणाम भाई,...बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति की है आपने सूनेपन की ..बधाई स्वीकारें

Comment by vijay nikore on February 16, 2013 at 9:15pm

आदरणीय बागी जी:

 

आश्रीर्वाद-सी आपकी सराहना सुखकर लगी ।

अतिशय धन्यवाद।

 

विजय निकोर


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on February 16, 2013 at 6:56pm

आदरणीय निकोर साहब, सूनेपन के बदरंग रंग में आपने कुछ और रंग तलाशने का प्रयास किया है जो रचना की गंभीरता को एक उचाई प्रदान करता है, रचना अच्छी बन पड़ी है, बधाई स्वीकार करें ।

Comment by vijay nikore on February 16, 2013 at 2:22pm

आदरणीया प्रवीण जी:

 

सराहना के लिए आपका आभारी हूँ,

आपसे मिली सराहना मेरा संबल है।

 

विजय निकोर

Comment by vijay nikore on February 16, 2013 at 2:19pm

आदरणीय संदीप जी:

 

कविता की सरहाना के लिए आपका हार्दिक आभार।

आशा है, ऐसे ही मनोबल बनाए रखेंगे।

 

विजय निकोर

Comment by Parveen Malik on February 16, 2013 at 12:54pm

पर सूनापन पड़ा रहता है,
वहीं का वहीं,
पुराने कपड़ों की गठरी-सा।
इस सूनेपन का रंग 
सूनेपन में आज कोई पूछे मुझसे।

सूनेपन को सुनदर और सहज रूप में व्यक्त किया आपने बधाई ..

कृपया ध्यान दे...

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