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ढलकते आँसुओ को सहेजना चाहते है

ढलकते आँसू  (गीत)
लक्ष्मण लडीवाला
आँसू चाहे गम के हो, ख़ुशी के हो कपोलों को भिगोते है 
देखने वाले चाहेजो समझे, ख़ुशी या गम मगर रिझाते है ।
 
आँसू जब ढलकते है, ग़मों को कम करते राहत दिलाते है, 
ढलकते आँसू बेहद ख़ुशी से पड़ते दिल के दौरे से बचाते है।
 
गर बाहर दुनिया में आता बच्चा न रोये, लोग घबराते है,
थपेड थपेड कर किसी तरह बच्चे को आखिर रुलाते है  ।
 
संसार से आखिर में विदा होते भलेही वह हंसता जाता है,
उसकी अर्थी को कन्धा देते सब लोग आँसू बहाते जाते है।
 
मनुज तो क्या अथाह प्रेम में प्रभु भी आँसू  रोक नहीं पाते,
मित्र सुदामा की दीनता पर स्नेह के आँसू हमें यही बताते है। 
 
प्यार में आंसुओ की कीमत सच्चे प्रेम करने वाले ही जानते है,
मोती से ढलकते आँसुओ को वे सहेज कर रखना चाहते है । 
 
- लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला 

 

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Comment

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Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on February 4, 2013 at 9:57am

आंसू दिल के सारे राज खोल देते हैं.- वाह । सच ही है 

लाख छुपाये न छुपे दिल के राज
लाख जातन करे ये न आवे बाज 
रचना पसंद करने हेतु दिल से हर्दिक आभार भाई श्री अशोक रक्तालेजी 

 

Comment by Ashok Kumar Raktale on February 3, 2013 at 11:08pm

आदरणीय लड़ीवाला साहब सादर, बहुत सुन्दर रचना. बधाई स्वीकारें.

आंसू तो चुप ही दिल की बोल देते हैं,

छुपाये चाहे कोई राज भले कितने

आंसू दिल के सारे राज खोल देते हैं.

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on February 3, 2013 at 5:55pm

रचना सराहने के लिए हार्दिक आभार अपक डॉ प्राची सिंह जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on February 3, 2013 at 2:28pm

आंसू गाथा के लिए बधाई आदरणीय लक्ष्मण जी 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on February 3, 2013 at 1:42pm

मन विभोर कर गया गर अरुण निगम भाई यह गीत 

सफल हुआ जिन्दगी के अनुभवों में पगा यह  संगीत ।

सच्चे प्रेम ने जाना आखिर कितना है आसुओ का भार 

स्वीकारे श्रीअरुण कुमार नगम भाई मेरा हार्दिक आभार ।

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on February 3, 2013 at 1:34pm

दिल से आभार आपका आदरनीय श्री सौरभ पाण्डेय जी 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on February 3, 2013 at 1:33pm

लाख टेक की बात कही है आपने राजेश कुमारी जी, आंसुओ के कीमत जाने वाले ही यह बात कह सकते है | रचना पसाद करने के लिए हार्दिक आभार आपका 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on February 3, 2013 at 1:30pm
आपकी टिपण्णी उत्साहवर्धन करती हैहार्दिक आभार भाई श्री संदीप कुमार पटेल जी 
हार्दिक आभार श्री राम शिरोमणि पाठकजी

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by अरुण कुमार निगम on February 3, 2013 at 11:42am

प्यार में आंसुओ की कीमत सच्चे प्रेम करने वाले ही जानते है,
मोती से ढलकते आँसुओ को वे सहेज कर रखना चाहते है ।

ज़िंदगी के अनुभवों में पगा सुंदर गीत, मन को भाव-विभोर कर गया आदरणीय...........वाह !!!!!!!!!!!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 3, 2013 at 7:06am

अच्छी आँसू-गाथा हुई है.  बधाई आदरणीय...

कृपया ध्यान दे...

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