For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नर्म से अहसास बन लें

हर तरफ हैं रंग कितने 

आओ चुन लें 

 

भाव के मोती बिछे हैं

शब्द के कालीन पर 

प्रीत की सुर लहरियाँ हैं 

आस्था की बीन पर 

 

आओ ना कुछ

नर्म सेअहसास बुन लें 

 

भागते लम्हों की गीली 

गुनगुनी सी रेत पर

अल्पनायें कुछ उकेरें 

मौज के संकेत पर 

 'कल' की खातिर 'आज' से 

हम कुछ शकुन लें 

Views: 642

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by seema agrawal on January 31, 2013 at 3:58pm

आदरणीय विजय जी  हार्दिक आभार 

प्रिय संदीप,अरुण धन्यवाद अपनी प्रतिक्रया देने के लिए 

शुक्रिया अमितेष जी,तपन जी, गणेश जी एवं प्रदीप जी 

Comment by seema agrawal on January 31, 2013 at 12:48pm

प्रिय प्राची आपके स्नेह का  दिल से अभिनन्दन .....

आभार सौरभजी आपकी उपस्थिति ही ऊर्जा से भर देती है  :)

बहुत बहुत  धन्यवाद अशोक जी 

Comment by Ashok Kumar Raktale on January 25, 2013 at 1:47pm

सुन्दर नवगीत, भावनाओं का सुन्दर सफर. सादर बधाई स्वीकारें आद. सीमा जी.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 16, 2013 at 8:36pm

सीमाजी, सुन्दर और कोमल से इस नवगीत पर आपको हार्दिक बधाई. बहुत ही सुन्दर प्रयास हुआ है.

बार-बार बधाई.. .

Comment by अरुन 'अनन्त' on January 10, 2013 at 4:23pm

आदरणीया दीदी सादर प्रणाम, सुन्दर फूलों की माला सी गुंथीं सुन्दर मनमोहक नवगीत हेतु हार्दिक बधाई.

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on January 10, 2013 at 4:22pm

'कल' की खातिर 'आज' से 

हम कुछ शकुन लें 

 जरूर

सुन्दर 

बधाई 

आदरणीया सीमा जी सादर 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on January 10, 2013 at 4:15pm

भाव के मोती बिछे हैं

शब्द के कालीन पर 

प्रीत की सुर लहरियाँ हैं 

आस्था की बीन पर ...................बहुत सुन्दर शब्दों की जादूगरी 

इस सुन्दर नवगीत के लिए बधाई आदरणीया सीमा जी 

Comment by Tapan Dubey on January 10, 2013 at 3:28pm
Waah waah bahut khub

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 10, 2013 at 3:10pm

भाव के मोती, अच्छे लगें, बहुत ही प्यारी रचना, बधाई हो इस खुबसूरत अभिव्यक्ति पर |

Comment by अमि तेष on January 9, 2013 at 5:30pm

बढिया ......................

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post भादों की बारिश
"यह लघु कविता नहींहै। हाँ, क्षणिका हो सकती थी, जो नहीं हो पाई !"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

भादों की बारिश

भादों की बारिश(लघु कविता)***************लाँघ कर पर्वतमालाएं पार करसागर की सर्पीली लहरेंमैदानों में…See More
Monday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . . विविध

मंजिल हर सोपान की, केवल है  अवसान ।मुश्किल है पहचानना, जीवन के सोपान ।। छोटी-छोटी बात पर, होने लगे…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय चेतन प्रकाश भाई ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक …"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सुशील भाई  गज़ल की सराहना कर उत्साह वर्धन करने के लिए आपका आभार "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"विगत दो माह से डबलिन में हूं जहां समय साढ़े चार घंटा पीछे है। अन्यत्र व्यस्तताओं के कारण अभी अभी…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"प्रयास  अच्छा रहा, और बेहतर हो सकता था, ऐसा आदरणीय श्री तिलक  राज कपूर साहब  बता ही…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"अच्छा  प्रयास रहा आप का किन्तु कपूर साहब के विस्तृत इस्लाह के बाद  कुछ  कहने योग्य…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"सराहनीय प्रयास रहा आपका, मुझे ग़ज़ल अच्छी लगी, स्वाभाविक है, कपूर साहब की इस्लाह के बाद  और…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आपका धन्यवाद,  आदरणीय भाई लक्ष्मण धानी मुसाफिर साहब  !"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"साधुवाद,  आपको सु श्री रिचा यादव जी !"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service