For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पुकार 

---------
साहित्य के सिपाहसालारों
धार लेखनी क्यों पडी मंद 
हाहाकार मचा चहुँ ओर 
समर भूमि में छिड़ा है द्वन्द 
यूँ ही अग़र सोते रहे 
लिखेगा कौन इतिहास तुम्हारा 
बेवजह तुमको ढ़ोते रहे
बदनाम होगा नाम हमारा 
इतिहास  तुम्हारा ऐसा न था
रन में वीरों को सींचा था  
लिखते कैसे तुम प्रणय गीत
बैरी हुआ जब अपना मीत
सोने वाले तुम कभी न थे
रोने वाले तुम कभी न थे 
मत रेंगो तुम अब पड़े पड़े   
मौन रहो   अब खड़े खड़े 
दुश्मन का न हो पूरा  सपना 
उठाओ शीघ्र गांडीव अपना 
 
प्रदीप कुमार सिंह कुशवाहा 
२३-१२-२०१२  

Views: 548

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on December 24, 2012 at 12:16pm

आदरणीया प्राची जी 

सादर 

प्रोत्साहन हेतु आभार 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on December 24, 2012 at 12:15pm

आदरणीय विजय सर जीसादर अभिवादन 

प्रोत्साहन हेतु आभार 

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 24, 2012 at 11:33am

लेखनी को लिखने के लिए विवश और लेखक को उत्साहित करती बेहतरीन रचना बधाई सर बधाई


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on December 24, 2012 at 9:45am

साहित्यकारों से सउद्देश्य लेखन का सुन्दर आह्वाहन करती रचना के लिए बधाई आदरणीय प्रदीप जी 

Comment by vijay nikore on December 23, 2012 at 11:01pm

आदरणीय प्रदीप जी,

कई दिलों की आवाज़ आपकी इस रचना में निहित है।

लिखते कैसे तुम प्रणय गीत
बैरी हुआ जब अपना मीत
उद्गारों को आपने इतने अच्छे भाव दिए .. बधाई!
 
सस्नेह और सादर।
विजय निकोर
Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on December 23, 2012 at 8:14pm

स्नेही महिमा जी, सादर 

मेरे भावों को जब मेरी बेटी ने पढ़ लिया तो और लोग भी जानेंगे. 

समर्थन, प्रोत्साहन हेतु आभार जो टूटे हुए तारों में झंकार करी. 

आभार. 

Comment by MAHIMA SHREE on December 23, 2012 at 8:06pm

आदरणीय प्रदीप सर .. आपकी पुकार और दग्द्ध मन का आक्रोश आपकी रचनाओ में खुल के आया है / हम सब आपके पुकार में शामिल है / सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service