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“रोहन! अब ये आदत कहाँ से सीख रहा है! रोमी आंटी को नमस्ते क्यों नही किया?” रमेश गुस्से में बोला!
“थॉरी पापा!” रुआंसा आवाज थी रोहन की!
“ह्वाट सॉरी...गलती फिर सॉरी..कोई सॉरी नही मिलेगी!”
“अरे बेटा! अब जाने भी दो! पाँच साल का भी तो नही है ये....” कमरे में बैठे बुज़ुर्ग बोले ही थे कि रमेश बीच में ही बोल पड़ा, “पिताजी, आपको पता है न, मुझे टोक पसंद नही, फिर भी? शांत रहिए!” बुज़ुर्ग चुप हो गए! रमेश बोलता रहा!
अगले दिन! स्कूल में!
“रोहन! बातें नही, इधर ध्यान दो!” टीचर बोली!
“मैम, आपतो पता है न, मुझे तोक पतंद नही, थांत रहिए!” रोहन एकदम सहजता से बोला!

-पियुष द्विवेदी ‘भारत’

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Comment by पीयूष द्विवेदी भारत on October 4, 2012 at 11:16am

धन्यवाद नीलम जी...!

Comment by Neelam Upadhyaya on October 4, 2012 at 10:15am
अच्छी लघु कथा.  बधाई स्वीकार करें.
बच्चे वही सीखेंगे जो देखेंगे-सुनेंगे.
Comment by पीयूष द्विवेदी भारत on October 3, 2012 at 8:46am

कुमार गौरव अजितेंदु जी......धन्यवाद एवं महीने का सक्रिय सदस्य चुने जाने के लिए बधाई!

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on October 3, 2012 at 8:08am

अच्छी कहानी लिखी है आपने भारत जी.......बधाई.......

Comment by पीयूष द्विवेदी भारत on October 1, 2012 at 10:14am

आदरणीय सौरभ जी... आपकी प्रतिक्रिया से और बेहतर करने को हौसला मिलता है ! सादर आभार !

Comment by पीयूष द्विवेदी भारत on October 1, 2012 at 10:13am

आदरणीय राजेश कुमारी जी....बधाई हेतु धन्यवाद !

Comment by पीयूष द्विवेदी भारत on October 1, 2012 at 10:12am

आदरणीय प्राची जी... सादर आभार !


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 30, 2012 at 5:23pm

बहुत गहरी बात कह डाली आपने. वाह !  इस खूबसूरत और अर्थवान लघुकथा पर बधाई लें, पियुष जी.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 30, 2012 at 5:15pm

सही कहा है मोम को जिस सांचे में ढालोगे उसी में ढल जाएगा बहुत शिक्षाप्रद  कथा 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on September 30, 2012 at 5:10pm

सुन्दर लघु कथा..

बोये बीज बबूल के तो आम कहाँ से पाए..
संदेश्परेक सुन्दर लघु कथा हेतु हार्दिक बधाई पियूष द्विवेदी जी 

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