For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मैं तो बस इक गुरु का शिष्य हूँ

मैं तो बस इक गुरु का शिष्य हूँ


बहुत उकसा के पूछा
बताओ कौन हो तुम
क्या हो तुम ???

तुम दिखावटी हो
या सच में फूल हो
नहीं नहीं
शायद तुम खार हो
कितना ग़ज़ब लगता है
तुम्हारा अलग अलग सा दिखना
किसने पैदा किया है तुम्हे 
कोई जादूगर
बागवान था क्या ??
गेंदे के फूल से 
गुलाब की खुशबू
लाजवाब है ये कारीगरी
खुदाई सी लगती है
पर है हकीकत

चाँद तारा या आफताब
क्या हो तुम
या जर्रा-ए-कायनात
महज इक पत्थर हो तुम
अँधेरे गम हो जाते हैं
तुम्हारी सीरत से
या कोई गोहर हो
जिसे तराशा है
किसी जोहरी ने
जो रात दिन
अपनी चमक बिखेरता है
जादुई हीरा
जिसमे धूल जमती ही नहीं
कौन हो तुम ???

जबाब आया
कुछ पलों के बाद
अनूठा सा अद्भुत सा
चमत्कारी जबाब
सुनो
मैं घड़ा हूँ माटी का
इससे अधिक कुछ भी नहीं
मेरे माँ बाप ने सौंपा है
मुझे इक कुशल कुम्हार के हाथों में 
उस कुम्हार की कारीगरी हूँ
उसकी ही जादूगरी हूँ मैं
मैं तो बस एक अदना सा शिष्य हूँ
अपने पूज्यनीय शिक्षक का
जिसने मुझे तराशा है
इस दुनिया के मुताबिक़
अपने मुनासिब

और हाँ मैंने उसे कुम्हार यूँ ही नहीं कहा
जो गुरु है मेरा
हकीकत आप जानते हैं
वो तो भगवान है
लेकिन फिर भी कुम्हार ही क्यूँ ???
क्यूंकि उसे दुनिया की सबसे कीमती शै
से कोई लेना देना नहीं है
वो मुफ्त में तराशता है माटी को
अपने हिसाब से
और नहीं करता हिसाब किताब
उसकी ख़ुशी
उस माटी के घड़े को सुन्दर बनाने से
बढ़कर कुछ भी नहीं है
वो है ही इक कुम्हार
हर जादूगर
हर कारीगर
उसके बिना अधूरा है
मुझे उसके हाथों सँवरने का अवसर मिला
ये मेरे भाग्य हैं
और मेरा लचीलापन
स्वाभाव में ये उसके हाथों का जादू है
मैं कभी सख्त हो उठता हूँ
ये भी उनका ही कमाल है
मुझे इबरत मिली है
इस दुनिया से  सीखने की
और सिखाने की
मैं तो बस इक गुरु का शिष्य हूँ

संदीप पटेल "दीप"

Views: 395

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on September 6, 2012 at 10:11am

आदरणीया रेखा जी
रचना को सरहाने हेतु आपका बहुत बहुत आभार
स्नेह अनुज पर यूँ ही बनाये रखिये

Comment by Yogi Saraswat on September 6, 2012 at 10:10am

मैं घड़ा हूँ माटी का
इससे अधिक कुछ भी नहीं
मेरे माँ बाप ने सौंपा है
मुझे इक कुशल कुम्हार के हाथों में 
उस कुम्हार की कारीगरी हूँ
उसकी ही जादूगरी हूँ मैं
मैं तो बस एक अदना सा शिष्य हूँ
अपने पूज्यनीय शिक्षक का
जिसने मुझे तराशा है
इस दुनिया के मुताबिक़
अपने मुनासिब

शिक्षक दिवस के अवसर पर सार्थक रचना दी है आपने ! बधाई

Comment by Rekha Joshi on September 5, 2012 at 8:04pm

मैं तो बस एक अदना सा शिष्य हूँ 
अपने पूज्यनीय शिक्षक का 
जिसने मुझे तराशा है 
इस दुनिया के मुताबिक़ 
अपने मुनासिब,शिक्षक के प्रति सुंदर भाव संदीप जी ,शिक्षक दिवस पर बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service