For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हाइकु मुक्तिका: जग माटी का... संजीव 'सलिल'

हाइकु मुक्तिका:

संजीव 'सलिल'
*
*
जग माटी का / एक खिलौना, फेंका / बिखरा-खोया.

फल सबने / चाहे पापों को नहीं / किसी ने ढोया.
*
गठरी लादे / संबंधों-अनुबंधों / की, थक-हारा.

मैं ढोता, चुप / रहा- किसी ने नहीं / मुझे क्यों ढोया?
*
करें भरोसा / किस पर कितना, / कौन बताये?

लूटे कलियाँ / बेरहमी से माली / भंवरा रोया..
*
राह किसी की / कहाँ देखता वक्त / नहीं रुकता.

साथ उसी का / देता चलता सदा / नहीं जो सोया.
*
दोष विधाता / को मत देना गर / न जीत पाओ.

मिलता वही / 'सलिल' उसको जो / जिसने बोया.
*
**************
प्रस्तुतकर्ता दिव्य नर्मदा divya narmada पर ७:३७ पूर्वाह्न 0 टिप्पणियाँ
लेबल: acharya sanjiv 'salil', contemporary hindi poetry, haiku, india, jabalpur, muktika, samyik hindi kavita

Views: 531

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by आशीष यादव on October 15, 2010 at 4:44am
Aapne muktika ko achchhe dhang se samjhaya. Dhanyawad.

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 11, 2010 at 7:05pm
बहुत बहुत धन्यवाद आचार्य जी, मुझे यकीन है कि मेरे साथ साथ अन्य साथियों को भी आप के उत्तर से ज्ञान वर्धन होगा |
Comment by sanjiv verma 'salil' on October 11, 2010 at 6:46pm
मुक्तिका क्या है?

- मुक्तिका वह पद्य रचना है जिसका-
१. प्रथम, द्वितीय तथा उसके बाद हर सम या दूसरा पद पदांत तथा तुकांत युक्त होता है.
२. हर पद का पदभार हिंदी मात्रा गणना के अनुसार समान होता है. यह मात्रिक छन्द में निबद्ध पद्य रचना है.
३. मुक्तिका का कोई एक या कुछ निश्चित छंद नहीं हैं. इसे जिस छंद में रचा जाता है उसके शैल्पिक नियमों का पालन किया जाता है.
४. इस हाइकु मुक्तिका में हाइकु के सामान्यतः प्रचलित ५-७-५ मात्राओं के शिल्प का पालन किया गया है. आज ही ओ बी ओ पर एक जनक छंदी मुक्तिका प्रस्तुत की है.
५. मुक्तिका का प्रधान लक्षण यह है कि उसकी हर द्विपदी अलग-भाव-भूमि या विषय से सम्बद्ध होती है अर्थात अपने आपमें मुक्त होती है. एक द्विपदी का अन्य द्विपदीयों से सामान्यतः कोई सम्बन्ध नहीं होता.
६. किसी विषय विशेष पर केन्द्रित मुक्तिका की द्विपदियाँ केन्द्रीय विषय के आस-पास होने पर भी आपस में असम्बद्ध होती हैं.
७. मुक्तिका को अनुगीत, तेवरी, गीतिका, हिन्दी ग़ज़ल आदि भी कहा गया है.
गीतिका हिन्दी का एक छंद विशेष है अतः, गीत के निकट होने पर भी इसे गीतिका कहना उचित नहीं है.
तेवरी शोषण और विद्रूपताओं के विरोध में विद्रोह और परिवर्तन की भाव -भूमि पर रची जाती है. ग़ज़ल का शिल्प होने पर भी तेवरी अपनी स्वतंत्र पहचान स्थापित करती जा रही है.
हिन्दी ग़ज़ल के विविध रूपों में से एक मुक्तिका है किन्तु यह उर्दू ग़ज़ल की तरह चंद लय-खंडों (बहरों) तक सीमित नहीं है.
इसमें मात्रा या शब्द गिराने अथवा लघु को गुरु या गुरु को लघु पढने की छूट नहीं होती.

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 10, 2010 at 8:18pm
आचार्य जी, बहुत ही बढ़िया हाइकु आपने लिखा है, संपादक जी और आप की वार्ता पढ़ एक बात मेरे मन मे कौधा कि ....... आखिर मुक्तिका है क्या ?
अभी तक मै यह समझ रहा था कि .. जो रचना नियमो के बंधन से मुक्त हो वह मुक्तिका,
यदि यह सही है तो ........ जब हाइकु का मात्रा नियम ५-७-५ का पालन किया गया है तो वह मुक्तिका कैसे ?
यदि मैं जो समझता हूँ मुक्तिका के बारे मे वह सही नहीं है तो ..... कृपया बताये कि मुक्तिका क्या है ? मैं यह सवाल केवल अपने जानकारी मे बढ़ोतरी के लिये पूछ रहा हूँ |
Comment by sanjiv verma 'salil' on October 10, 2010 at 8:09pm
प्रभाकर जी!
धन्यवाद.
प्रायः पूछा जाता है कि मैं मुक्तिका को गज़ल क्यों नहीं कहता? इसका उत्तर यह रचना है. यह मुक्तिका तो है, हाइकु के रचना शिल्प पर है इसलिए हाइकु मुक्तिका कहने पर किसी को आपत्ति न होगी किन्तु इसे हाइकु गजल कहा जाना स्वीकार्य होगा क्या? इसी तरह दोहा मुक्तिका, सोरठा मुक्तिका, ककुप मुक्तिका, जनक छंदी मुक्तिका आदि की रचना मेरी कलम से हुई है.

प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on October 10, 2010 at 7:49pm
आचार्य जी, मुक्तिका और वह भी हाईकु की ज़मीन पर ? बेहतरीन प्रयास, बधाई स्वीकार कीजिये !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय लक्ष्मण भाई बहुत  आभार आपका "
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है । आये सुझावों से इसमें और निखार आ गया है। हार्दिक…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन और अच्छे सुझाव के लिए आभार। पाँचवें…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय सौरभ भाई  उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार , जी आदरणीय सुझावा मुझे स्वीकार है , कुछ…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल पर आपकी उपस्थति और उत्साहवर्धक  प्रतिक्रया  के लिए आपका हार्दिक…"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपकी प्रस्तुति का रदीफ जिस उच्च मस्तिष्क की सोच की परिणति है. यह वेदान्त की…"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, यह तो स्पष्ट है, आप दोहों को लेकर सहज हो चले हैं. अलबत्ता, आपको अब दोहों की…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज सर, ओबीओ परिवार हमेशा से सीखने सिखाने की परम्परा को लेकर चला है। मर्यादित आचरण इस…"
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"मौजूदा जीवन के यथार्थ को कुण्डलिया छ्ंद में बाँधने के लिए बधाई, आदरणीय सुशील सरना जी. "
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- गाँठ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,  ढीली मन की गाँठ को, कुछ तो रखना सीख।जब  चाहो  तब …"
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"भाई शिज्जू जी, क्या ही कमाल के अश’आर निकाले हैं आपने. वाह वाह ...  किस एक की बात करूँ…"
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपके अभ्यास और इस हेतु लगन चकित करता है.  अच्छी गजल हुई है. इसे…"
6 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service