For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कान्हा कृष्णा मुरली मनोहर आओ प्यारे आओ

कान्हा कृष्णा मुरली मनोहर आओ प्यारे आओ

व्रत ले शुभ सब -नैना तरसें और नहीं तरसाओ

जाल –जंजाल- काल सब काटे बन्दी  गृह में आओ

मातु देवकी पिता श्री को प्रकटे तुम हरषाओ

भादों मास महीना मेघा तड़ित गरज मतवारे

तरु प्राणी ये प्रकृति झूमती भरे सभी नद नाले

कान्हा कृष्णा मुरली मनोहर आओ प्यारे आओ

व्रत ले शुभ सब - नैना तरसें और नहीं तरसाओ

------------------------------------------------------------

 

बारह बजने से पहले ही –सब- बंदी गृह में सोये

प्रकट हुए प्रभु नैना छलके माता गदगद होये

एक लाल की खातिर दुनिया आजीवन बस रोये

जगत के  स्वामी कोख जो आये सुख वो वरनि  न जाये

दैव रूप योगी जोगी सब नटखट रूप दिखाये

बाल रूप माता ने चाहा गोद में आ फिर रोये

सूप में लाल लिए यमुना जल सागर कैसे जाएँ

हहर -हहर कर उफन के यमुना चरण छुएं घट जाएँ

सब के हिय सन्देश गया सब भक्त ख़ुशी से उछले

आरति  वंदन भजन कीर्तन थाली सभी बजाये

आज मथुरा में हाँ आज गोकुला में छाई खुशियाली

श्याम जू पैदा भये ................

मथुरा से गोकुल पावन में प्रभु प्रकटे खुशहाली

ढोल मजीरा छम्मक -छम्मक घर घर बजती थाली

बाल -ग्वाल गोपिन गृह - गृहिणी -गौएँ -सब हरषाये

मोर-पपीहा-दादुर-मेढक-अपनी धुन में-लख चौरासी गाये

बाल -खिलावन को मन उमड़े सब यशोदा गृह आये

नैन मिला रस -प्रीति पिलाये श्याम सखा दिल छाये

अब लीला प्रभु क्या मै वरनूं 'क्षुद्र' भगत हम तेरे

ठुमुक ठुमुक चल पैजनी पहने कजरा माथे लाओ

तुम सोलह सब कला दिखाओ कंस मार सब तारो

माखन खाओ नाग को नाथो गौअन आइ चराओ

प्रेम -ग्रन्थ राधा -कृष्णा के पढ़ा -पढ़ा दिल में बस जाओ

हरे कृष्णा-कृष्णा कृष्णा -कृष्णा कृष्णा हरे हरे !

नैन बंद कर हो चैतन्या जग तुममे खो जाये ......

 

सुरेन्द्र कुमार शुक्ल 'भ्रमर' ५

कुल्लू यच पी

७-७.५५ पूर्वाह्न

१०-.०८.२०१२

Views: 1212

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on August 14, 2012 at 11:19pm
प्रिय अशोक भाई कान्हा की भक्ति में रंगी ये रचना आप को आनंद दे सकी सुन हर्ष हुआ आभार 
सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर ५ 
Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on August 14, 2012 at 11:17pm
आदरणीया सीमा जी प्रभु भक्ति में सराबोर ये रचना आप को अच्छी लगी सुन ख़ुशी हुयी आभार 
सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर ५ 
Comment by Ashok Kumar Raktale on August 14, 2012 at 8:36am

मथुरा से गोकुल पावन में प्रभु प्रकटे खुशहाली

ढोल मजीरा छम्मक -छम्मक घर घर बजती थाली

बाल -ग्वाल गोपिन गृह - गृहिणी -गौएँ -सब हरषाये

मोर-पपीहा-दादुर-मेढक-अपनी धुन में-लख चौरासी गाये

वाह! बहुत ही मनोहारी वर्णन करती रचना पर बधाई स्वीकारे.

Comment by seema agrawal on August 13, 2012 at 8:27pm

सुन्दर और सामयिक प्रस्तुति........

बधाई सुरेन्द्र कुमार जी 

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on August 11, 2012 at 4:06pm
प्रिय संदीप जी ...प्रोत्साहन के लिए आभार ....
जय श्री कृष्ण ,...........कान्हा ने जैसे जन्माष्टमी में मन मोहा अब बड़े होते अपने कारनामे दिखाएँ पाप मिटायें  तो आनंद और आये ....
आप सब को कृष्ण जन्माष्टमी की , और स्वतंत्रता  दिवस (अग्रिम रूप से ) के उपलक्ष्य में ढेर सारी हार्दिक शुभ कामनाएं 
जय श्री राधे कृष्ण 
भ्रमर ५  
Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on August 11, 2012 at 1:56pm

सुन्दर स्तुति ....................बधाई हो आदरणीय आपको

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on August 10, 2012 at 12:39pm

आदरणीया रेखा जी जय श्री कृष्णा - रचना प्रभु के जन्म की आप के मन को छू सकी ख़ुशी हुयी 

जन्माष्टमी की हार्दिक शुभ कामनाये आप सपरिवार और सारी प्यारी मित्र मण्डली को भी 
भ्रमर ५ 
Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on August 10, 2012 at 12:38pm

प्रिय अजीतेंदु  जी जय श्री कृष्णा जन्माष्टमी की हार्दिक शुभ कामनाये आप सपरिवार और सारी प्यारी मित्र मण्डली को भी 

भ्रमर ५ 
Comment by Rekha Joshi on August 10, 2012 at 11:57am

तुम सोलह सब कला दिखाओ कंस मार सब तारो

माखन खाओ नाग को नाथो गौअन आइ चराओ

प्रेम -ग्रन्थ राधा -कृष्णा के पढ़ा -पढ़ा दिल में बस जाओ

हरे कृष्णा-कृष्णा कृष्णा -कृष्णा कृष्णा हरे हरे 

अति सुंदर भाव श्री कृष्ण के प्रति ,कृष्ण जन्माष्टमी पर हार्दिक बधाई आदरणीय सुरेन्द्र जी 

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on August 10, 2012 at 11:18am

जय राधेकृष्ण...........

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
5 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
12 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
12 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
14 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
14 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
15 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
15 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
15 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
16 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
yesterday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
yesterday
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service