For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

१. नहीं किसी से हूँ चिढ़ा, आता खुद पे रोष |
मुझमें ही सारी कमी, मुझमें सारा दोष ||

२. मैं ही पूरा आलसी, सोता हूँ दिन-रात |
नहीं ठहरती जीत तो, कौन अनोखी बात ||

३. मुझमें ही है वासना, मुझमें है आवेश |
मक्कारी की खान मैं, धर साधू का वेश ||

४. मन को कलुषित कर लिया, लाता नहीं सुधार |
हरा दिया हठ ने मुझे, कर डाला लाचार ||

५. करने थे सत्कर्म पर, किये बहुत से पाप |
इतना नीचे हूँ गिरा, सोच न सकते आप ||

६. जीत गई हैं इन्द्रियाँ, मिली मुझे है हार |
खो कर के संसार में, भूला जीवन सार ||

७. मैंने अपनेआप को, रोका न एक बार |
आया जबतक होश में, था सबकुछ बेकार ||

Views: 623

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on August 8, 2012 at 10:47am

आदरणीया रेखा जी, आपका बहुत-बहुत धन्यवाद.........

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on August 8, 2012 at 10:46am

आपका हार्दिक आभार आदरणीय रक्ताले सर......

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on August 8, 2012 at 10:45am

आदरणीय लक्ष्मण सर........आपका बहुत-बहुत धन्यवाद.......

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on August 8, 2012 at 10:44am

सही कहा आपने आदरणीय सुरेन्द्र जी........हार्दिक आभार........

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on August 8, 2012 at 10:43am

आदरणीय कुशवाहा सर....आपका बहुत-बहुत धन्यवाद..........

Comment by Rekha Joshi on August 8, 2012 at 10:25am

जीत गई हैं इन्द्रियाँ, मिली मुझे है हार |
खो कर के संसार में, भूला जीवन सार ||,अति सुंदर दोहे ,बहुत बहुत बधाई गौरव जी 

Comment by Ashok Kumar Raktale on August 7, 2012 at 10:27pm

 जीत गई हैं इन्द्रियाँ, मिली मुझे है हार |
खो कर के संसार में, भूला जीवन सार ||

वाह! गौरव जी बहुत सुन्दर दोहे. सभी एक से बढ़कर एक. बधाई.

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 7, 2012 at 7:36pm

वाह कुमार गौरव अजितेंदु जी, आपके अतमावलोकन ने मुझे ही नहीं 

मेरे चिंतन में हमारे देश के नेताओं के कृत्यों पर उन्हें आत्मावालोक्कन 
करने हेतु सुझाव देने हेतु आपकी कविता पढ़ने को कहने को  निर्देशित 
किया | ऐसी रचना लिखने के लिए बधाई |
Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on August 7, 2012 at 2:38pm

 मन को कलुषित कर लिया, लाता नहीं सुधार |
हरा दिया हठ ने मुझे, कर डाला लाचार ||

प्रिय अजीतेंदु जी बहुत सुन्दर दोहे ..सुन्दर सन्देश देते हुए काश हम अपने अंतर्मन में झांके आंके सुधारें तो सब बात ही बन जाए 


भ्रमर ५ 

 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on August 7, 2012 at 11:27am

अभी मौका है सुधरने का. आत्म विश्लेषण किया अच्छी बात है.

रचना के लिए बधाई.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Wednesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Tuesday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Sunday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service