For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

1.
उस बिन दुनिया ही धुंधलाए 
नयना दुख-दुख नीर बहाए,
है सौगात, नायाब करिश्मा,
ऐ सखि  साजन ? न सखी चश्मा l

2.
नज़र नज़र में ही बतियाए,
देख उसे मन खिल खिल जाए,
सुबह शाम उसको ही अर्पण,
ऐ सखि साजन? न सखी दर्पण l


3.
साथ बिताएँ रैन दोपहरी ,
बातें करता मीठी गहरी ,
नटखट भी और बुद्धिजीवी ,
ऐ सखि साजन ? न सखी टीवी l
4
आते ही मुस्कान जगाए,
ख़्वाबों को ताबीर दिलाए ,
खुल्ली शौपिंग,कभी ज्वेलरी ,
ऐ सखि साजन ? न सखी सेलरी l

Views: 1044

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 7, 2012 at 9:15am

आदरणीय सौरभ पण्डे जी को नमन | डॉ.प्राची जी के कह मुकरिया में जिस बारीकी से संशोधन के सुझाव दिए है, वह बहुत प्रभावकारी है और सिखाने की उनकी परवर्ती को साधुवाद |-लक्ष्मण लडीवाला

Comment by Er. Ambarish Srivastava on August 7, 2012 at 12:58am

डॉ० प्राची जी,

आप द्वारा रचित उपरोक्त सभी कहकरियाँ अद्वितीय बन पड़ी हैं ! जिनके लिए साधुवाद स्वीकारें !

 

खग कलरव सुर छंद सुनाती,

प्रात खिले विस्मित कर जाती.

भोर उगे भा जाए सांची

क्या प्रभु किरणें ? नहिं प्रभु प्राची !

 

तथापि शिल्प सम्बन्धी गुणवत्ता में अभिवृद्धि के निमित्त कुछ सुझाव उदाहरण स्वरूप दिए जा रहे हैं ...........  

//1.
उस बिन दुनिया ही धुंधलाए 
अखियाँ दुःख-दुःख नीर बहाएं,
है सौगात, नायाब करिश्मा,
ऐ सखी साजन ? न सखी चश्मा l
2.
नज़र नज़र में ही बतियाए,
देख उसे मन खिल खिल जाए,
सुबह शाम उसको ही अर्पण,
ऐ सखी साजन? न सखी दर्पण l
3.
साथ बिताएँ रैन दोपहरी ,
बातें करता मीठी गहरी ,
नटखट भी और बुद्धिजीवी ,
ऐ सखी साजन ? न सखी टीवी l

4
आते ही मुस्कान जगाए,
ख़्वाबों को ताबीर दिलाए ,
खुल्ली शौपिंग,कभी ज्वेलरी ,
ऐ सखी साजन ? न सखी सेलरी l//

____________________________

1.
उस बिन दुनिया ही धुंधलाए 
नयना दुख-दुख नीर बहाए,
है सौगात, सुरम्य करिश्मा,
ऐ सखि साजन ? नहिं सखि चश्मा !

2.
नज़र-नज़र में ही बतियाए,
देख उसे मन खिल-खिल जाए,
सुबह शाम उसको ही अर्पण,
ऐ सखि साजन? नहिं सखि दर्पण !

3.
साथ बिताये रैन दुपहरी ,
बातें उसकी मीठी गहरी ,
मजेदार नटखट मन जीवी ,
ऐ सखि साजन ? नहिं सखि टीवी !

4
आते ही मुस्कान जगाए,
ख़्वाबों को ताबीर दिलाए ,
खुल्ली शौपिंग, मिले ज्वेलरी ,
ऐ सखि साजन ? नहीं सेलरी !     सादर

____________________________

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on August 6, 2012 at 9:49am

बहतु बेहतरीन तरीके से मुकर गयीं हैं आप
बहुत सुन्दर लेखन के लिए आपको बहुत बहुत बधाई आदरणीया

Comment by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on August 6, 2012 at 7:55am

प्राची जी बहुत ही समसामयिक मुकरियाँ है और सुंदर भी...इस मुकरी ने तो चश्मा लगाने वालों की पीड़ा को उकेर दिया...उस बिन दुनिया ही धुंधलाए 
अखियाँ दुःख-दुःख नीर बहाएं,
है सौगात, नायाब करिश्मा,
ऐ सखी साजन ? न सखी चश्मा l

सही कहा है....ये नायाब है॥वर्ण दुनिया फीकी फीकी लगती है...

बहुत बहुत बधाई !!

Comment by Albela Khatri on August 5, 2012 at 10:36pm

achha laga baanch kar

Comment by UMASHANKER MISHRA on August 5, 2012 at 8:49pm

बहुत सुन्दर ..कह मुकरियाँ

सभी मजेदार  लगी

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on August 5, 2012 at 8:29pm

रोचक कह मुकरियाँ.........बधाई स्वीकारें........


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on August 5, 2012 at 5:17pm
इन कह मुकरियों को मान देते हुए , इस विधा पर एक खूबसूरत कह-मुकरी लिखने के लिए आपका आभार आ. अरुण निगम जी

 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by अरुण कुमार निगम on August 5, 2012 at 5:13pm

चश्मा ,दर्पण ,वेतन ,टीवी

नटखट भी और बुद्धिजीवी

मनवा करता है धुक धुक री

ऐ सखी साजन ? ना................ "कहमुकरी"


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on August 5, 2012 at 5:11pm
आदरणीय लक्ष्मण प्रसाद जी, आपका हार्दिक आभार इन कह-मुकरियों को सराहने के लिए, और सखी को प्रेषित सन्देश के लिए भी...

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Apr 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service