For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आठ कह-मुकरियां

दांत भींच कर उसे दबाऊं
फिर भी उसको रोक न पाऊं
निकले बाहर लगती फाँसी
क्या सखि खाँसी? नहिं रे हाँसी

कदम-कदम पर उसका  पहरा
आँख का अंधा कान का बहरा
चरण चांपता रहे निपूता
क्या सखि नेता? नहिं सखि जूता

बड़े बड़े फन्ने खां आये
लेकिन उसको हिला न पाए
उलटे कब्र स्वयं की खोदी
क्या सखि राहुल? नहिं सखि मोदी

सारा जग जिसका दीवाना
सब गाते हैं उसका गाना
ऐसा वैसा जैसा तैसा
क्या सखि सावन? नहिं सखि पैसा

जाड़े का जब मौसम आये
नख-शिख तक मेरे छा जाये
सुखद लगे वह तन लिपटाई
क्या सखि साजन? नहीं रजाई

जब-जब आये प्यास बुझाए
तन-मन में आनन्द जगाये
प्यासी देह खिले मस्तानी
क्या सखि साजन? नहिं सखि पानी

नहिं वह काला, नहिं वह गोरा
लोहे जैसा लगे कठोरा
समय का अपने वह सरदार
क्या सखि साजन? नहीं कलदार

जब-भी उसका सुर चढ़ जाये
अंग अंग सारा दुःख जाए
तोड़ हमेशा देता यार
क्या सखि साजन? नहिं रे बुखार

-अलबेला खत्री


Views: 767

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Albela Khatri on July 22, 2012 at 7:22pm

Comment by Er. Ambarish Srivastava on July 22, 2012 at 7:20pm

जय हो जय हो .......अलबेला जी  ....:-)

Comment by Albela Khatri on July 22, 2012 at 7:19pm

आपका ही वरदहस्त है
बन्दा कहाँ सिद्धहस्त है
_____अलबेला अलमस्त है

Comment by Er. Ambarish Srivastava on July 22, 2012 at 7:13pm

स्वागतम अलबेला जी !   कहमुकरी रचने में आप तो सिद्धहस्त होते जा रहे हैं ! :-)

Comment by Albela Khatri on July 22, 2012 at 6:57pm

आदरणीय अम्बरीश जी,आपके इस स्नेह और करम पर मुझ जैसा खुशनसीब  ख़ुश क्यों न हो
___विनीत हूँ.......आभारी हूँ प्रभु !

वो जब आये रौनक लाये

उसकी आमद सबको भाये

उस पर प्रभु का है आशीष

क्या सखि साजन? नहिं अम्बरी.....हा हा हा हा हा हा हा

___बुरा न मानो सावन है, सावन है मनभावन है

Comment by Er. Ambarish Srivastava on July 22, 2012 at 6:48pm

सुबह-सुबह जो हमें हँसाये

तन-मन ये सारा खिल जाये

ओ बी ओ पर जमा अकेला

ऐ सखि साजन ? नहिं अलबेला ! 

वाह आदरणीय अलबेला जी ! सुंदर कहमुकरियों के माध्यम से अमीर खुसरो की याद ताज़ा करा दी आपने .......हार्दिक बधाई स्वीकारें मित्रवर .....जय ओ बी ओ!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service