For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हर मौसम लगे बहार, तुम से मिलकर {नज्म/गीत}

==========नज्म/गीत ==========

हर मौसम लगे बहार, तुम से मिलकर
इस दिल को मिले करार, तुम से मिलकर

पल पल भी मुश्किल से कटता है तुम बिन
इक पल भी इक साल सा लगता है तुम बिन
घडी का काँटा रुक रुक चलता है तुम बिन
सूरज चढ़ के  देर से ढलता है तुम बिन

तुम आये जब मुझसे मिलने न पता चला
कब निकल गया इतबार तुमसे मिलकर
हर मौसम लगे बहार, तुम से मिलकर
इस दिल को मिले करार, तुम से मिलकर

मुझसे मिलने जब सम्हल सम्हल के आती है
खुशबू सी तेरी डगर डगर उड़ जाती है
तुझे देख प्रेम से आँख मेरी भर आती है
दिल के गुलशन की कलि कलि खिल जाती है

बेताब तुम्हे बाहों में भरने , इस दिल की
बढ़ जाती है रफ़्तार , तुमसे मिलकर
हर मौसम लगे बहार, तुम से मिलकर
इस दिल को मिले करार, तुम से मिलकर

दिल भूला है खुद को भी रब को भी भूला
क्या रिश्ते क्या दुनियादारी सब कुछ भूला
क्या चैन सुकूँ क्या है बेचैनी भी भूला
दुनिया में सबको गम है ये सच भी भूला

पाने को तेरा प्यार, रस्म रिवाजों की
मैंने तोड़ी दीवार, तुमसे मिलकर
हर मौसम लगे बहार, तुम से मिलकर
इस दिल को मिले करार, तुम से मिलकर

तुम जानो दिल का हल मगर कुछ न कहते
दोनों ही कुछ न बोलें चुप चुप से रहते
मैं जानूं तुम भी जानो नैना क्या कहते
बस जाते ही तेरे जो निर्झर से बहते

डरता हूँ तेरी न से , पर अक्सर सोचूं
अब करना है इकरार, तुम से मिलकर
हर मौसम लगे बहार, तुम से मिलकर
इस दिल को मिले करार, तुम से मिलकर

तुम तोड़ के ये नाजुक धागा अब न जाना
मजबूरी का कडवा सा गाना न गाना
मैंने तुमको तो रब से भी ज्यादा माना
तुम छोड़ के मेरा साथ न मुझको समझाना

दिल की धड़कन को रोक लूं फिर भी दूजे से
मुझको न होगा प्यार, तुमसे मिलकर
हर मौसम लगे बहार, तुम से मिलकर
इस दिल को मिले करार, तुम से मिलकर


संदीप पटेल "दीप"

Views: 530

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on July 24, 2012 at 10:33am

आप सभी आदरणीय अग्रजों गुरुवरों और मित्रों का ह्रदय की गहराई से बहुत बहुत धन्यवाद और सादर आभार
मेरा साहित्य का दुर्गम पथ आसान करने मुझे सलाह देने मेरा मार्गदर्शन कर उत्साह बढाने के लिए मैं आपका आभारी हूँ
अपना ये स्नेह अनुज पर यूँ ही बनाये रखिये ताकि मैं आपको कविता के रसास्वादन में नित नव व्यंजन देता रहूँ

Comment by Rekha Joshi on July 23, 2012 at 5:59pm

संदीप जी ,

तुम तोड़ के ये नाजुक धागा अब न जाना 
मजबूरी का कडवा सा गाना न गाना 
मैंने तुमको तो रब से भी ज्यादा माना 
तुम छोड़ के मेरा साथ न मुझको समझाना ,अति सुंदर गीत ,बधाई 
Comment by Albela Khatri on July 22, 2012 at 10:55pm

वाह वाह संदीप पटेल दीप जी
बहुत प्यारा गीत

बेताब तुम्हे बाहों में भरने , इस दिल की
बढ़ जाती है रफ़्तार , तुमसे मिलकर
हर मौसम लगे बहार, तुम से मिलकर
इस दिल को मिले करार, तुम से मिलकर

__खूब खूब अभिनन्दन !

__बधाई !

Comment by deepti sharma on July 22, 2012 at 8:00pm

बहुत खूब 

Comment by Er. Ambarish Srivastava on July 22, 2012 at 3:23pm

गीत या नज़्म रचने का अच्छा प्रयास किया है भाई संदीप जी ! अभ्यास करते रहिये सफलता अवश्य मिलेगी ...गीत या नज्म में अधिकतम तीन अंतरे ही उपयुक्त रहते हैं साथ-साथ उचित बंदिश का होना अनिवार्य है ताकि गेयता प्रभावित न हो   ..फिर भी हमारी ओर से आपके प्रति बधाई संप्रेषित है ! सस्नेह ...

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय सौरभ सर, मैं इस क़ाबिल तो नहीं... ये आपकी ज़र्रा नवाज़ी है। सादर। "
1 hour ago
Sushil Sarna commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय जी  इस दिलकश ग़ज़ल के लिए दिल से मुबारकबाद सर"
1 hour ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय गिरिराज जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया और सुझाव  का दिल से आभार । प्रयास रहेगा पालना…"
1 hour ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन के भावों को मान और सुझाव देने का दिल से आभार । भविष्य के लिए  अवगत…"
1 hour ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"आदरणीय  अशोक रक्ताले जी सृजन को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार । बहुत सुन्दर सुझाव…"
1 hour ago
Nilesh Shevgaonkar commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आ. शिज्जू भाई,एक लम्बे अंतराल के बाद आपकी ग़ज़ल पढ़ रहा हूँ..बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है.मैं देखता हूँ तुझे…"
4 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . लक्ष्य

दोहा सप्तक. . . . . लक्ष्यकैसे क्यों को  छोड़  कर, करते रहो  प्रयास । लक्ष्य  भेद  का मंत्र है, मन …See More
6 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज जी, ओबीओ के प्रधान संपादक हैं और हम सब के सम्माननीय और आदरणीय हैं। उन्होंने जो भी…"
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय अमीरुद्दीन साहब, आपने जो सुझाव बताए हैं वे वस्तुतः गजल को लेकर आपकी समृद्ध समझ और आपके…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय सुशील भाई , दोहों के लिए आपको हार्दिक बधाई , आदरणीय सौरभ भाई जी की सलाहों कर ध्यान…"
7 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । "
8 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय शिज्जू शकूर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
8 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service