For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

उनको ही तकते रह गए

उठता यूँ हिजाब देख के
उनको ही तकते रह गए

काला तिल रुखसार पर
लेता जाँ है जाने जिगर
दिल पे है कैसा ये असर
न रही दुनिया की खबर 

रंगत औ शबाब देख के
उनको ही तकते रह गए

लगती है जैसे गुल बदन
उठती है मीठी सी चुभन
धरती है या है वो गगन
सीने में चाहत की अगन

होंठों में गुलाब देख के
उनको की तकते रह गए

गहरा वो कोई सागर
या कल कल सा कोई निर्झर
भिगोये नैन की गागर
मान बैठा उसे दिलबर

आँखों में शराब देख के
उनको ही तकते रह गए

वो खिलता सा कोई कँवल
बात उसकी लगे ग़ज़ल
हँसे तो दिल में हो हलचल
ये दिल जाए मचल मचल

बातों का हिसाब देख के
उनको ही तकते रह गए

संदीप पटेल "दीप"  

Views: 352

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on July 12, 2012 at 8:49pm

आदरणीया रेखा जी आपको रचना पसंद आई और आपने इसको सराहा इसके लिए आपका बहुत बहुत धनयवाद और सादर आभार

Comment by Rekha Joshi on July 12, 2012 at 8:46pm

संदीप जी ,बहुत ही प्यारी सी रचना ,हार्दिक बधाई 

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on July 12, 2012 at 7:54pm

आदरणीया डॉ साहिबा आपने गीत पढ़ा और मेरा उत्साहवर्धन किया इसके लिए मैं आपका बहुत बहुत आभारी हूँ 

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on July 12, 2012 at 7:53pm

आदरणीय अलबेला सर जी
मेरा उत्साहवर्धन करने के लिए आपका ह्रदय की गहराई से धन्यवाद और सादर आभार
अपना स्नेह मुझ पर बनाये रहिये


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on July 12, 2012 at 6:32pm

बहुत सुन्दर गीत. हार्दिक बधाई  

Comment by Albela Khatri on July 12, 2012 at 3:03pm

बड़ा रंगतदार गीत रचा है प्रभु !
आनंद आया

लगती है जैसे गुल बदन
उठती है मीठी सी चुभन
धरती है या है वो गगन
सीने में चाहत की अगन

होंठों में गुलाब देख के
उनको की तकते रह गए

वाह संदीप पटेल जी.........बहुत खूब !
बधाई !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"धन्यवाद"
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"ऑनलाइन संगोष्ठी एक बढ़िया विचार आदरणीया। "
12 hours ago
KALPANA BHATT ('रौनक़') replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"इस सफ़ल आयोजन हेतु बहुत बहुत बधाई। ओबीओ ज़िंदाबाद!"
19 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"बहुत सुंदर अभी मन में इच्छा जन्मी कि ओबीओ की ऑनलाइन संगोष्ठी भी कर सकते हैं मासिक ईश्वर…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a discussion

ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024

ओबीओ भोपाल इकाई की मासिक साहित्यिक संगोष्ठी, दुष्यन्त कुमार स्मारक पाण्डुलिपि संग्रहालय, शिवाजी…See More
Sunday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय जयनित जी बहुत शुक्रिया आपका ,जी ज़रूर सादर"
Saturday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय संजय जी बहुत शुक्रिया आपका सादर"
Saturday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय दिनेश जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की टिप्पणियों से जानकारी…"
Saturday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"बहुत बहुत शुक्रिया आ सुकून मिला अब जाकर सादर 🙏"
Saturday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"ठीक है "
Saturday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"शुक्रिया आ सादर हम जिसे अपना लहू लख़्त-ए-जिगर कहते थे सबसे पहले तो उसी हाथ में खंज़र निकला …"
Saturday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"लख़्त ए जिगर अपने बच्चे के लिए इस्तेमाल किया जाता है  यहाँ सनम शब्द हटा दें "
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service