For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

फ़ोकट की तुकबन्दी सारी बाबाजी

हांग कांग  की छटा है प्यारी बाबाजी
पर भारत  की बात ही न्यारी बाबाजी

प्यार मिला, सम्मान मिला इस महफ़िल में
ओ बी ओ पर मैं बलिहारी बाबाजी

रूपया रोक न पाया ख़ुद को गिरने से
डॉलर ने  वो  बाज़ी मारी बाबाजी

ममता,ललिता,सुषमा तीनों गायब हैं
तन्हा रह गये अटल बिहारी बाबाजी

कौन बनेगा सदर हमारे भारत का
ये भी संकट है इक भारी बाबाजी

चाट पकौड़ी खाओ,  किरपा आएगी
कहते  बाबा लीलाधारी  बाबाजी

'अलबेला' की इस रचना पर लानत है 
फ़ोकट की तुकबन्दी सारी बाबाजी

Views: 905

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Rekha Joshi on June 25, 2012 at 3:20pm

अलबेला जी 

चाट पकौड़ी खाओ,  किरपा आएगी 
कहते  बाबा लीलाधारी  बाबाजी 
कमाल की तुकबंदी है बाबाजी ,badhai 
Comment by Albela Khatri on June 25, 2012 at 2:36pm

धन्यवाद  डॉ सूर्या बाली जी......

Comment by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on June 25, 2012 at 1:34pm

बढ़िया रचना अलबेला भाई !! बहुत बहुत बधाई !!

Comment by Albela Khatri on June 25, 2012 at 11:59am

नहीं............ऐसा मत कहो प्लीज़......

चलो मैं हार मान लेता हूँ........
महिलाओं से जीत कर  भला कौन सुखी हुआ है आज तक  ?

___अपनी तो हार ही  जीत है ....हा हा हा


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 25, 2012 at 11:48am

 वाकई बाबा जी के सारे गुण आये हैं पोते में दादी का तो एक भी नहीं  ..........तुमसे कोई जीत नहीं सकता !!!
Comment by Albela Khatri on June 25, 2012 at 11:41am

Comment by Albela Khatri on June 25, 2012 at 11:41am

अरुण श्रीवास्तव जी......आपका सुझाव  पा कर मन  किरपा किरपा हो गया ...हा हा हा ..पर ये बात  उन तक कौन पहुंचाए.....जिहें तलाश है एक भले आदमी की हा हा हा हा

अगर बना दो सदर मुझे तुम भारत का
हर लूँगा मैं विपदा सारी बाबाजी.....

___हा हा हा ...आइडिया अच्छा है,,,,

Comment by Arun Sri on June 25, 2012 at 11:36am

"बहुत खूब" में देखा आपको ! अच्छा लगा !

Comment by Albela Khatri on June 25, 2012 at 11:35am

मान आपको दे कर मैंने अपना मान बढ़ाया है
सौरभ जी, क्या कहूँ  आपसे, मैंने क्या क्या पाया है
ओ बी ओ की  इस महफ़िल में शमा  आप से रौशन है
शब्द में मेरे अर्थ नहीं, बस प्यार उमड़ कर आया है

___कहो कैसी रही जी..........

Comment by Arun Sri on June 25, 2012 at 11:35am

अलबेला' की इस रचना पर लानत है 
फ़ोकट की तुकबन्दी सारी बाबाजी ...................... सच तो नही है लेकिन कमाल का है !

कौन बनेगा सदर हमारे भारत का
ये भी संकट है इक भारी बाबाजी

इस पर बस इतना कहना चहुँगा -

संकट की हालत में नम्र निवेदन है
आपौ कर दें दावेदारी बाबा जी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .इसरार

दोहा पंचक. . . .  इसरारलब से लब का फासला, दिल को नहीं कबूल ।उल्फत में चलते नहीं, अश्कों भरे उसूल…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आयोजन में सहभागिता को प्राथमिकता देते…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरना जी इस भावपूर्ण प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। प्रदत्त विषय को सार्थक करती बहुत…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त विषय अनुरूप इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। गीत के स्थायी…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी भाव-विह्वल करती प्रस्तुति ने नम कर दिया. यह सच है, संततियों की अस्मिता…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आधुनिक जीवन के परिप्रेक्ष्य में माता के दायित्व और उसके ममत्व का बखान प्रस्तुत रचना में ऊभर करा…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश भाई, पटल के आयोजनों में आपकी शारद सहभागिता सदा ही प्रभावी हुआ करती…"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ   .... बताओ नतुम कहाँ होमाँ दीवारों मेंस्याह रातों मेंअकेली बातों मेंआंसूओं…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है  माँ तो माँ है, देवी होती है ! माँ जननी है सब कुछ देती…"
Saturday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय विमलेश वामनकर साहब,  आपके गीत का मुखड़ा या कहूँ, स्थायी मुझे स्पष्ट नहीं हो सका,…"
Saturday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय, दयावान मेठानी , गीत,  आपकी रचना नहीं हो पाई, किन्तु माँ के प्रति आपके सुन्दर भाव जरूर…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service