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यह शादी बे मेल हो गई बाबाजी

कितनी महंगी रेल हो गई बाबाजी
पैसेन्जर भी मेल हो गई बाबाजी

आदर्शों को फांसी  दे दी दिल्ली ने
नैतिकता  को जेल हो गई बाबाजी

सुख के बादल बिखर गये हैं बिन बरसे
दुःख की धक्कमपेल हो गई बाबाजी

नकल हो रही पास आज विद्यालय में
और पढ़ाई फेल हो गई बाबाजी

आई पी एल की हाट में हमने देखा है
खिलाड़ियों  की सेल हो गई बाबाजी

खादी वाले खड़े - खड़े खा जाते हैं
भोली जनता भेल हो गई बाबाजी

लोकराज ने लज्जा का परित्याग किया
यह शादी बे मेल हो गई बाबाजी

'अलबेला' की दोनों आँखों से देखो
राजनीति विषबेल हो गई बाबाजी

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सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 26, 2012 at 10:02am

’उठ-जागो’ की वेला में शुभ स्वागत है
मिलजुल अब हो हाथ-मिलाई बाबाजी.. .

Comment by Albela Khatri on June 26, 2012 at 9:16am

जय हो अम्बरीश जी की
शुभप्रभात प्रभु !

 

Comment by Er. Ambarish Srivastava on June 26, 2012 at 9:13am

बहुत बधाई मेरे भाई लगे रहें,

बाबाजी की सेल हो गयी बाबाजी   :-)

Comment by Albela Khatri on June 26, 2012 at 9:13am

आदरणीय "सूरज" जी
शुभ प्रभात
आपकी सराहना से  बड़ा बल मिलता रहा है..........आज भी मिला
__स्नेह बनाए रखिये

Comment by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on June 26, 2012 at 8:45am

अलबेला जी सादर नमस्कार ! भाई अभी बाबाजी रदीफ़ में अभी तक की सबसे उत्कृष्ट रचना ! मज़ा आ गया पढ़ के। आपको बहुत बहुत मुबारकबाद!

Comment by Albela Khatri on June 26, 2012 at 8:19am

शुभप्रभात  सौरभ जी......
इरादे खतरनाक लगते हैं आपके.......मैं तो  सो गया और आप  रात भर पिटाई का षड़यंत्र करते रहे.....हा हा हा ....अच्छा ही हुआ  जो मैं सो गया .....

___आपका दिन शुभ हो प्रभु !

 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 26, 2012 at 12:49am

भाई, ’ऐसे की’ के कारण ऐब हुआ

खीर नहीं अब ’पीठ-पिटाई’ बाबाजी .. .   हा हा हा ... :-))))))))

सादर

(सर, बुरा न मानियेगा.. मैं बहुत कुछ नहीं जानता हूँ..)

Comment by Albela Khatri on June 26, 2012 at 12:32am

कान खिंचाई  प्रभु आपने ऐसे की
जैसे मीठी  खीर खिलाई बाबाजी
___हा हा हा ...हो हो हो हो


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 26, 2012 at 12:15am

तौबा-तौबा साहब, ये भी  बोले क्या
हम क्यों कर दें कान खिंचाई बाबाजी ??

सादर

 

Comment by Albela Khatri on June 26, 2012 at 12:09am

सिहर नहीं, शरमा गये हम तो सौरभ जी
आपने कर दी कान खिंचाई बाबाजी

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