For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मै विद्रोह कराऊँगा

आज बनूँगा मै विद्रोही, अब विद्रोह कराऊँगा|
जो सबके ही समझ में आये, ऐसे गीत सुनाऊँगा||
बहुत हो गया अब न रुकूँगा, मै रोके इन चट्टानों के,
बहुत बुझ चुका अब न बुझूँगा मै पड़कर इन तूफानों मे।
कर के हलाहल-पान आज मै होके अमर दिखा दूँगा,
और बुलबुलों को बाजों से लड़ना आज सिखा दूँगा।
रानी राणा और भगत की सबको रीत बताऊँगा।
आज बनूँगा मै विद्रोही, अब विद्रोह कराऊँगा।।

अब दौलत के व्यापारों पर प्राणों का व्यापार न होगा,
और अमीरों मे धनहीनों का रहना दुश्वार न होगा।
चेहरों पर हाथों को रख कर अब ना जवानी रोएगी।
बस भरने को पेट गैर के बिस्तर पर ना सोएगी।
इनके क्या अधिकार बनें हैं, इनको आज बताऊँगा,
आज बनूँगा मै विद्रोही, अब विद्रोह कराऊँगा।।

विकसेगा हर फूल यहाँ कलियाँ ना रौंदी जायेंगी,
और बूझने से पहले हर दिया स्नेह पा जायेगी।
कुत्ते घूमें मर्सिडीज मे, यह बर्दाश्त  नही होगा,
भूखा सोए नन्हा बालक, ऐसा घात नही होगा।
नर्क बन चुके हिन्द देश को अब मै स्वर्ग बनाऊँगा।
आज बनूँगा मै विद्रोही, अब विद्रोह कराऊँगा।।

यहाँ घरों मे अब लक्ष्मी आने पर शोक नही होगा,
तुलसी आँगन मे सुख जाये कू-संयोग नही होगा।
इस दहेज-लोलुप समाज का समूल नाश करना होगा,
हर राधा की डोली को हँस-कर कन्धे चढ़ना होगा |
धनलोभी समाज का सुन लो अब वर्चस्व मिटाऊँगा।
आज बनूँगा मै विद्रोही, अब विद्रोह कराऊँगा।।

कहीं करोड़ो मद्य-पान मे खर्च नही होने दूँगा।
इस गरीब जनता की मेहनत को न व्यर्थ रोने दूँगा|
नही किसानों की मेहनत का गेहूँ सड़ने पायेगा।
और पेट भर बच्चों का कोई भूखा सो जायेगा।
आज भ्रष्ट हो चुके तन्त्र को जड़ से सुनो मिटाऊँगा।
और बनूँगा मै विद्रोही, अब विद्रोह कराऊँगा।।

ध्यान करो हे हिन्द-वासियो! राम-श्याम के वंशज हो,
कीचड़ जैसे भ्रष्ट-तन्त्र मे खिल जाओ तुम पंकज हो।
पृथ्वी, मंगल, नाना, ऊधम के तूफाँ को याद करो,
आओ मेरे साथ स्वयं के सपनों को आबाद करो।
बन शमशीर तुम्हे लड़ना है कैसे आज बताऊँगा।
आज बनूँगा मै विद्रोही, अब विद्रोह कराऊँगा।।

Views: 771

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 5, 2012 at 6:19pm

इस ओजपूर्ण रचना को पढ़कर आशीष ऐसा  लगा जैसे कोई भगत सिंह ,चन्द्र शेखर आजाद या वीर सावरकर जिन्दा हो उठा तुम्हारी लेखनी को तुम्हारे जज्बे को सलाम god bless you.

Comment by Rekha Joshi on June 5, 2012 at 5:55pm

आशीष जी ,

ध्यान करो हे हिन्द-वासियों!  राम-श्याम के वंशज हो,

कीचड़ जैसे भ्रष्ट-तन्त्र मे खिल जाओ तुम पंकज हो।,बधाई ,जय हो 

Comment by SHARIF AHMED QADRI "HASRAT" on June 5, 2012 at 5:05pm

is shaandaar inqalaabi kalam ke liye bahut bahut badhai sweekaar karein

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on June 5, 2012 at 4:50pm

भारत निर्माण हेतु आपका विद्रोह हमें स्वीकार है 

आशीष तुम्हे आशीष मेरा जन जन अब तैयार है 

बधाई 

Comment by chandan rai on June 5, 2012 at 4:33pm
मित्रवर

ध्यान करो हे हिन्द-वासियों! राम-श्याम के वंशज हो,

कीचड़ जैसे भ्रष्ट-तन्त्र मे खिल जाओ तुम पंकज हो।

पृथ्वी, मंगल, नाना, ऊधम के तूफाँ को याद करो,

आओ मेरे साथ स्वयँ के सपनों को आबाद करो।
बहुत खूब उम्दा गीत
Comment by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on June 5, 2012 at 3:06pm

रानी  राणा और  भगत की  सबको रीत बताऊँगा। आज बनूँगा  मै विद्रोही,  अब विद्रोह  कराऊँगा।।॥देश प्रेम एवं वीर रस से ओतप्रोत रचना ने हिला के रख दिया । बहुत सुंदर रचना बन पड़ी है आशीष जी ! बधाई स्वीकार करें !!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on June 5, 2012 at 9:42am
 इस वीर रस से परिपूर्ण काव्य की हर एक पंक्ति में निहित भाव के लिए आपको बहुत बहुत बधाई आशीष यादव जी.

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on June 5, 2012 at 9:26am

//आज बनूँगा  मै विद्रोही,  अब विद्रोह  कराऊँगा//

टिप्पणी बाद में , त्वरित रूप से यह कहना है कि...विद्रोही विद्रोह करता है |

Comment by Albela Khatri on June 5, 2012 at 9:18am

भाई आशीष यादव जी,
अभिभूत कर दिया आपने.  बहुत बहुत बधाई और नानाम आपकी लेखनी व ऊर्जा को.........

ध्यान करो हे हिन्द-वासियों!  राम-श्याम के वंशज हो,

कीचड़ जैसे भ्रष्ट-तन्त्र मे खिल जाओ तुम पंकज हो।

वाह वाह .........अत्यंत ओजस्वी  रचना ...........

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .इसरार

दोहा पंचक. . . .  इसरारलब से लब का फासला, दिल को नहीं कबूल ।उल्फत में चलते नहीं, अश्कों भरे उसूल…See More
23 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आयोजन में सहभागिता को प्राथमिकता देते…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरना जी इस भावपूर्ण प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। प्रदत्त विषय को सार्थक करती बहुत…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त विषय अनुरूप इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। गीत के स्थायी…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी भाव-विह्वल करती प्रस्तुति ने नम कर दिया. यह सच है, संततियों की अस्मिता…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आधुनिक जीवन के परिप्रेक्ष्य में माता के दायित्व और उसके ममत्व का बखान प्रस्तुत रचना में ऊभर करा…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश भाई, पटल के आयोजनों में आपकी शारद सहभागिता सदा ही प्रभावी हुआ करती…"
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ   .... बताओ नतुम कहाँ होमाँ दीवारों मेंस्याह रातों मेंअकेली बातों मेंआंसूओं…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है  माँ तो माँ है, देवी होती है ! माँ जननी है सब कुछ देती…"
Saturday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय विमलेश वामनकर साहब,  आपके गीत का मुखड़ा या कहूँ, स्थायी मुझे स्पष्ट नहीं हो सका,…"
Saturday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय, दयावान मेठानी , गीत,  आपकी रचना नहीं हो पाई, किन्तु माँ के प्रति आपके सुन्दर भाव जरूर…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service