For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

साहिबे ईजाद होते जा रहे हैं

बे-अदब आबाद होते जा रहे हैं
इल्म है बरबाद होते जा रहे हैं

देख कर गम इस जमाने का कहें क्या
सब दिले-नाशाद होते जा रहे हैं

गम हमारे देख अपनों को न गम हो
इसलिए हम शाद होते जा रहे हैं

चोर ही जाबित यहाँ पग पग लुटेरे
नाम के आज़ाद होते जा रहे हैं

मुल्क को जो लूट अपनी जेब भरते
अब वही हमदाद होते जा रहे हैं

बे-बहर ग़ज़लें लिखी जिसने यहाँ वो
साहिबे ईजाद होते जा रहे हैं

शारदा ने करम जिस जिस पे किया है
"दीप" वो उस्ताद होते जा रहें हैं

संदीप पटेल "दीप"

Views: 471

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by वीनस केसरी on June 5, 2012 at 3:06pm
बे-बहर ग़ज़लें लिखी जिसने यहाँ वो

भाई संदीप पटेल जी "बे बह्र" का वज्न २२१ होता है इसलिए यह मिसरा बह्र से ख़ारिज है

इस मिसरे को इस तरह या इससे बेहतर कर सकते हैं -

बह्र से ख़ारिज ग़ज़ल कह कर सुखनवर
साहिबे ईजाद होते जा रहे हैं


करम का वज्न १२ होगा न् कि कर्म के अनुसार २१ क्योकि फिर अर्थ बदल जायेगा
इसलिए इस मिसरे पर भी पुनः गौर करें व् सुधारें ...

शारदा ने करम जिस जिस पे किया है
Comment by MAHIMA SHREE on June 3, 2012 at 10:24pm

बे-बहर ग़ज़लें लिखी जिसने यहाँ वो
साहिबे ईजाद होते जा रहे हैं

शारदा ने करम जिस जिस पे किया है
"दीप" वो उस्ताद होते जा रहें हैं

बहुत बढ़िया संदीप जी .. बधाई आपको

Comment by Albela Khatri on June 3, 2012 at 8:52pm

वाह संदीप कुमार पटेल जी,
बहुत अच्छा  लगा

बे-बहर ग़ज़लें लिखी जिसने यहाँ वो
साहिबे ईजाद होते जा रहे हैं

____तीर मार रहे हो.............. जय हो

Comment by UMASHANKER MISHRA on June 3, 2012 at 7:36pm

उर्दू के शब्दों ने गजल में आभूषण का कार्य किया 

बस दीप जलता रहे हम आरती लेते रहें..... 

अच्छी  गजल

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on June 3, 2012 at 7:21pm

शारदा ने करम जिस जिस पे किया है
"दीप" वो उस्ताद होते जा रहें हैं

कृपा बनी रहे. रचना पढ़ने को मिलती रहे. बधाई.

Comment by Rekha Joshi on June 3, 2012 at 5:59pm

Sandip ji 

मुल्क को जो लूट अपनी जेब भरते
अब वही हमदाद होते जा रहे हैं,badhiya rachna ,badhai 

Comment by chandan rai on June 3, 2012 at 3:44pm
मुल्क को जो लूट अपनी जेब भरते
अब वही हमदाद होते जा रहे हैं

वाह मित्र ! कमाल का ग़ज़ल लिखा

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 3, 2012 at 12:17pm

बे-बहर ग़ज़लें लिखी जिसने यहाँ वो
साहिबे ईजाद होते जा रहे हैं:))))

भई संदीप कुमार जी आप भी ग़ज़लों के उस्ताद होते जा रहे हैं 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"ऐसे😁😁"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"अरे, ये तो कमाल  हो गया.. "
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय नीलेश भाई, पहले तो ये बताइए, ओबीओ पर टिप्पणी करने में आपने इमोजी कैसे इंफ्यूज की ? हम कई बार…"
4 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आपके फैन इंतज़ार में बूढे हो गए हुज़ूर  😜"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय लक्ष्मण भाई बहुत  आभार आपका "
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है । आये सुझावों से इसमें और निखार आ गया है। हार्दिक…"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन और अच्छे सुझाव के लिए आभार। पाँचवें…"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय सौरभ भाई  उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार , जी आदरणीय सुझावा मुझे स्वीकार है , कुछ…"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल पर आपकी उपस्थति और उत्साहवर्धक  प्रतिक्रया  के लिए आपका हार्दिक…"
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपकी प्रस्तुति का रदीफ जिस उच्च मस्तिष्क की सोच की परिणति है. यह वेदान्त की…"
9 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, यह तो स्पष्ट है, आप दोहों को लेकर सहज हो चले हैं. अलबत्ता, आपको अब दोहों की…"
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज सर, ओबीओ परिवार हमेशा से सीखने सिखाने की परम्परा को लेकर चला है। मर्यादित आचरण इस…"
10 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service