For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

एक गाना प्यार का ...

सांस  में सुर सनसनाना प्यार का
ज़िन्दगी है  ताना बाना  प्यार का

मौत से कह दूंगा, रुक जा दो घड़ी
आने वाला है  ज़माना  प्यार का

यों तो हर मौसम का अपना रंग है
पर लगे मौसम सुहाना प्यार का

उफ़ जवानी का ये आलम जानेमन
और उस पर उमड़ आना  प्यार का

चीज  है अनमोल, पर बाज़ार में
नहीं मिलेगा चार आना प्यार का

बैठे ठाले यों ही कुछ कुछ लिख दिया
ख़ुद-ब-ख़ुद बन बैठा गाना प्यार का 

है मुकद्दरमन्द जिसको मिल गया
ज़िन्दगी में गुनगुनाना प्यार का

उस घड़ी मत रोकना "अलबेला" को
जब लबों पर हो तराना प्यार का

_______JAI HIND

Views: 934

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Albela Khatri on May 30, 2012 at 11:12pm

आपका लाख लाख शुक्रिया  सौरभ पाण्डेय जी,
आपकी सराहना से  मेरी लेखनी को बल मिला है
जय हो !


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 30, 2012 at 10:59pm

उफ़ जवानी का ये आलम जानेमन
और उस पर उमड़ आना प्यार का

उस घड़ी मत रोकना "अलबेला" को
जब लबों पर हो तराना प्यार का

बहुत सुन्दर .. अलबेला जी.  आपकी ग़ज़ल अच्छी लगी. .. प्यार भरी !

Comment by Albela Khatri on May 30, 2012 at 10:43pm

आदरणीय उमाशंकर मिश्रा जी, आपने प्यार से देखा इस प्यार की  रचना को मेरे लिए इससे प्यारी बात और क्या हो सकती है..........आपका प्यार ज़िन्दाबाद !

सराहना के लिए दिली शुक्रिया

Comment by UMASHANKER MISHRA on May 30, 2012 at 10:23pm

प्यार भरी प्यारी रचना भाई अलबेला खत्री जी

बहुत बढिया रचना है |वाह वाह ही  कर सकते हैं|

इतनी सुन्दर रचना के लिए ..धन्यवाद

Comment by Albela Khatri on May 30, 2012 at 10:04pm

प्यार चीज़ ही ऐसी है  राजेश कुमारी जी,  इस पर सदियों से लिखा जा रहा है और आगे भी लिखा जाएगा  परन्तु  नित्य नये  अन्दाज़ मिलते रहेंगे कहन को..................बहरहाल आपने रचना को सराहा  तो  उतना सुकून और  आनन्द मिला  जितना  पद्मश्री  के अधिकारी को पद्मभूषण प्राप्त होने पर मिलता है
आपकी  सराहना महत्व रखती है . शुक्रिया............. जय हिन्द !


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 30, 2012 at 9:57pm

इस अकेले शेर ने ही सारे नंबर लूट लिए क्या बात है बहुत सुन्दर ग़ज़ल लिखी है 

मौत से कह दूंगा, रुक जा दो घड़ी 
आने वाला है  ज़माना  प्यार का 

Comment by Albela Khatri on May 30, 2012 at 5:02pm

बहुत बहुत शुक्रिया  "बागी" जी
नमन आपको


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on May 30, 2012 at 4:56pm

//यों तो हर मौसम का अपना रंग है
पर लगे मौसम सुहाना प्यार का//

बिलकुल सटीक कहन, बहुत ही खुबसूरत ग़ज़ल, बहुत बहुत बधाई आदरणीय खत्री साहिब |

Comment by Albela Khatri on May 30, 2012 at 3:17pm

आपका  हार्दिक धन्यवाद  प्रदीप कुमार  सिंह कुशवाहा  जी,
हम प्यार का तराना  गायेंगे साथ साथ
मौसम-ए-आशिकाना लाएंगे साथ साथ

जय हो आपकी......बहुत बहुत  शुक्रिया 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on May 30, 2012 at 3:03pm

आदरणीय अलबेला जी, सादर 

उस घड़ी मत रोकना "अलबेला" को 
जब लबों पर हो तराना प्यार का 
कतई नहीं रोकेंगे , हम भी प्यार का तराना साथ साथ गायेंगे. बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service