For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जिंदगी रूठ के मुझसे कहीं खोई होगी

जिंदगी रूठ के मुझसे कहीं खोई होगी 

तकिये में मुंह छिपाकर रोई होगी 

जल गई थी जो अरमानों की फसल 

यंकी नहीं कि फिर से बोई होगी 

बढ़ गई होंगी जब दिल की बेताबियाँ 

टूटी मेरी तस्वीर फिर संजोई होगी

मैं जानता हूँ हाल इस वक़्त भी उसका  

शबनम ओढ़ के पलकों पे सोई होगी  

                 ***** 

Views: 631

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on May 19, 2012 at 10:15pm

बढ़ गई होंगी जब दिल की बेताबियाँ 

टूटी मेरी तस्वीर फिर संजोई होगी

मैं जानता हूँ हाल इस वक़्त भी उसका  

शबनम ओढ़ के पलकों पे सोई होगी  

बहुत खूब   सुन्दर जज्बात  ऐसा ही हो प्यार ,,,कोई रूठ न सके रूठे तो मन में समाया रहे उसका दिल बेताब रहे  और सदा उसे इस दिलवर का इन्तजार रहे .आदरणीया राजेश कुमारी जी ...हरी  ओउम  ...भ्रमर  ५ 

Comment by MAHIMA SHREE on May 19, 2012 at 9:05pm

जिंदगी रूठ के मुझसे कहीं खोई होगी 

तकिये में मुंह छिपाकर रोई होगी 

जल गई थी जो अरमानों की फसल 

यंकी नहीं कि फिर से बोई होगी 

बढ़ गई होंगी जब दिल की बेताबियाँ 

टूटी मेरी तस्वीर फिर संजोई होगी

मैं जानता हूँ हाल इस वक़्त भी उसका  

शबनम ओढ़ के पलकों पे सोई होगी  ...

वाह आदरणीया राजेश दी .. बहुत ही सुंदर .. बहुत अच्छी लगी मुझे .. हार्दिक बधाई आपको

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on May 19, 2012 at 8:50pm
आदरणीय राजेश कुमारी जी, सादर
जल गई थी जो अरमानों की फसल
यंकी नहीं कि फिर से बोई होगी
बढ़ गई होंगी जब दिल की बेताबियाँ
टूटी मेरी तस्वीर फिर संजोई होगी

मैं जानता हूँ हाल इस वक़्त भी उसका  

शबनम ओढ़ के पलकों पे सोई होगी  


अब बचा ही क्या सारी की सारी अच्छी , बधाई!

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 19, 2012 at 7:05pm

बहुत बहुत आभार प्रदीप कुमार कुशवाह जी 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on May 19, 2012 at 6:48pm
आदरणीय राजेश कुमारी जी, सादर
जल गई थी जो अरमानों की फसल
यंकी नहीं कि फिर से बोई होगी
बढ़ गई होंगी जब दिल की बेताबियाँ
टूटी मेरी तस्वीर फिर संजोई होगी

अब बचा ही क्या सारी की सारी अच्छी , बधाई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय शिज्जु "शकूर" साहिब आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से…"
3 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय निलेश शेवगाँवकर जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद, इस्लाह और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से…"
3 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी आदाब,  ग़ज़ल पर आपकी आमद बाइस-ए-शरफ़ है और आपकी तारीफें वो ए'ज़ाज़…"
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज भाईजी के प्रधान-सम्पादकत्व में अपेक्षानुरूप विवेकशील दृढ़ता के साथ उक्त जुगुप्साकारी…"
5 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"   आदरणीय सुशील सरना जी सादर, लक्ष्य विषय लेकर सुन्दर दोहावली रची है आपने. हार्दिक बधाई…"
5 hours ago

प्रधान संपादक
योगराज प्रभाकर replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"गत दो दिनों से तरही मुशायरे में उत्पन्न हुई दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति की जानकारी मुझे प्राप्त हो रही…"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"मोहतरम समर कबीर साहब आदाब,चूंकि आपने नाम लेकर कहा इसलिए कमेंट कर रहा हूँ।आपका हमेशा से मैं एहतराम…"
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"सौरभ पाण्डेय, इस गरिमामय मंच का प्रतिरूप / प्रतिनिधि किसी स्वप्न में भी नहीं हो सकता, आदरणीय नीलेश…"
7 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय समर सर,वैसे तो आपने उत्तर आ. सौरब सर की पोस्ट पर दिया है जिस पर मुझ जैसे किसी भी व्यक्ति को…"
7 hours ago
Samar kabeer replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"प्रिय मंच को आदाब, Euphonic अमित जी पिछले तीन साल से मुझसे जुड़े हुए हैं और ग़ज़ल सीख रहे हैं इस बीच…"
11 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, किसी को किसी के प्रति कोई दुराग्रह नहीं है. दुराग्रह छोड़िए, दुराव तक नहीं…"
14 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"अपने आपको विकट परिस्थितियों में ढाल कर आत्म मंथन के लिए सुप्रेरित करती इस गजल के लिए जितनी बार दाद…"
15 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service