For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

              चल वहीँ पे नीड़ बनायें हम 

जहां सुन्दर परियां रहती हों 

जहां निर्मल नदियाँ बहती हों 

जहां दिलों कि खिड़की खुली-खुली 

जहां सुगंध पवन में घुली- घुली  

जहां खुशियाँ  हंसती हो हरदम 

                      चल वहीँ पे नीड़ बनायें हम 

जहां दरख़्त खड़े हों बड़े-बड़े 

हर शाख पे झूले पड़े -पड़े 

जहां संस्कृतियों का वास हो 

जहां कुटिलता का ह्रास हो 

कोई ऐसा तरु उगाये हम 

                       चल वहीँ पे नीड़ बनायें हम 

जहां भ्रष्टाचार का नाम ना हो 

जहां बेईमानी का काम ना हो 

जहां तन- मन के कपडे उजलें हों 

जहां स्वस्थ अशआर की ग़ज़लें हों

कोई निर्धन हों ना कोई गम 

                        चल वहीँ पे नीड़ बनायें हम 

जहां भाईचारे की  खाद डले

जहां माटी से सोना निकले 

जहां श्रम का फल दिखाई दे 

जहां कर्म संगीत सुनाई दे 

आ ऐसी फसल उगाये हम 

                          चल वहीँ पे नीड़ बनायें हम 

जहां अपराधो का डंक ना हों 

जहां राजा हों कोई रंक ना हों  

जहां पुष्प  खिले कांटें ना खिले 

जहां मीत मिले दुश्मन ना मिले 

ऐसा गुलशन महकाएं  हम 

                            चल वहीँ पे नीड़ बनायें हम 

              **********

Views: 655

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 24, 2012 at 8:28am

बहुत बहुत हार्दिक आभार गणेश बागी जी मेरी लेखनी  को उत्साहित करने पर 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on May 23, 2012 at 7:40pm

वाह वाह, बहुत ही रुचिकर रचना, सरल प्रवाह और उम्दा भावयुक्त अभिव्यक्ति पर बधाई स्वीकार करें आदरणीया |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 19, 2012 at 3:11pm

हार्दिक आभार सरिता जी आपकी प्यारी सकारात्मक सोच से ख़ुशी मिली 

Comment by Sarita Sinha on May 19, 2012 at 3:04pm

आदरणीय राजेश कुमारी जी, नमस्कार, 

बहुत ही सुन्दर मनमोहक कल्पना..आज के युग के लिए अत्यंत आवश्यक.....बधाई...

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 18, 2012 at 9:18pm

अविनाश जी बहुत बहुत आभारी हूँ बहुत ख़ुशी हुई आपकी प्रतिक्रिया पाकर 

Comment by AVINASH S BAGDE on May 18, 2012 at 9:13pm

जहां मीत मिले दुश्मन ना मिले 

ऐसा गुलशन महकाएं  हम 

                            चल वहीँ पे नीड़ बनायें हम shabdo ka aashawan need sajaya hai Rajesh kumari mam aapane


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 18, 2012 at 9:05pm

अशोक कुमार रकतेला जी बहुत बहुत हार्दिक आभार 

Comment by Ashok Kumar Raktale on May 18, 2012 at 8:11pm

राजेश जी
         सादर,
                   जहां अपराधो का डंक ना हों
           जहां राजा हों कोई रंक ना हों 
           जहां पुष्प  खिले कांटें ना खिले
           जहां मीत मिले दुश्मन ना मिले
           ऐसा गुलशन महकाएं  हम
                            चल वहीँ पे नीड़ बनायें हम
बहुत ही कोमल भावनाओं की अभिव्यक्ति. आपकी भावनाओं को बल मिले. शुभकामना.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 17, 2012 at 9:32pm

अजय कुमार बोहत जी बहुत सुखद है आपकी प्रतिक्रिया हार्दिक आभार 

Comment by AjAy Kumar Bohat on May 17, 2012 at 9:16pm

जहां अपराधो का डंक ना हों

जहां राजा हों कोई रंक ना हों

जहां पुष्प खिले कांटें ना खिले

जहां मीत मिले दुश्मन ना मिले

ऐसा गुलशन महकाएं हम

चल वहीँ पे नीड़ बनायें हम

baar baar padhne ko ji chahta hai, bahut bahut badhai Rajesh ji....... 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
yesterday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
yesterday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service