For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

=========== माँ ===========

मेरे आते ही तेरा मुश्कुराना याद है
वो रोते रोते तुझसे लिपट जाना याद है

तेरे हाथों में माँ जादू रहा मीठा कोई
वो अपने हाथों से मुझको खिलाना याद है

तेरा दर छोड़ा मैंने जब पढ़ाई के लिये
मैं खुद भी रोया माँ तुझको रुलाना याद है

मेरे गम अपने आँचल में छुपा तुमने रखे
मेरी खुशियों में तेरा खिलखिलाना याद है

मेरे यारों ने मुझको नाम तो नए नए दिए
माँ तेरा वीरा कह मुझको बुलाना याद है

मैं तो रूठा हूँ माँ हर बार गलती में मेरी
वो गोदी में बैठा फिर भी मनाना याद है

मैं रब से ये मांगू सबको मिले माँ इधर पे
उसकी जन्नत में वो गुजरा जमाना याद है

उसकी ममता की छाया दीप किस्मत से मिले
मैं तो सोया हूँ पर उसको जगाना याद है

====संदीप कुमार पटेल "दीप"=====

Views: 3146

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ashok Kumar Raktale on May 18, 2012 at 6:58pm

संदीप जी
       नमस्कार, बहुत सुन्दर कविता, माँ की ममता को भी कभी कोई भूल पाया है भला. बधाई.

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on May 14, 2012 at 8:08pm

आपका बहुत बहुत शुक्रिया और सादर आभार महिमा जी ..................सादर नमन

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on May 14, 2012 at 8:07pm

आपका बहुत बहुत आभारी हुँ अजय जी ...................तहे दिल से शुक्रिया आपका

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on May 14, 2012 at 8:06pm

आपका तहे दिल से शुक्रिया नीलांश जी , आपका आभारी हुँ ॥

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on May 14, 2012 at 8:05pm

आदरणीय प्रदीप सर जी सादर नमन

आपका आशिर्वाद ऐसे ही बनाये रखिये ...................बहुत बहुत आभारी हुँ

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on May 14, 2012 at 8:04pm

आदरणीय गणेश सर जी आपकी इस प्रतिक्रिया को पाके मै कृतकृत्य हो गया ..................मै अथक प्रयास करुंगा के इसकी बहर मे सुधार कर लूँ ॥ आपका बहुत बहुत शुक्रिया सर जी

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on May 14, 2012 at 7:54pm

आदरणीया rajesh kumari जी आपका ह्रदय से धन्यवाद और सादर आभार ......................आपके कहे अनुसार मै इसमे सुधार कर लूंगा .................आपका आभारी हुँ ।

Comment by MAHIMA SHREE on May 14, 2012 at 3:55pm
मैं रब से ये मांगू सबको मिले माँ इधर पे
उसकी जन्नत में वो गुजरा जमाना याद है
वाह संदीप जी .. बहुत ही सुंदर भावों से सजी है आपकी गजल ... आनंद आ गया . बधाई आप
Comment by AjAy Kumar Bohat on May 13, 2012 at 7:08pm

वाह बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल कही है बन्धु...

Comment by Nilansh on May 13, 2012 at 3:15pm

bahut sunder  bhai

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम. . . . रोटी
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। रोटी पर अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
11 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
11 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
11 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
12 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"आदाब।‌ हार्दिक धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' साहिब। आपकी उपस्थिति और…"
14 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं , हार्दिक बधाई।"
14 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया छंद
"आ. भाई सुरेश जी, अभिवादन। प्रेरणादायी छंद हुआ है। हार्दिक बधाई।"
15 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
15 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"आ. भाई शेख सहजाद जी, सादर अभिवादन।सुंदर और प्रेरणादायक कथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
15 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"अहसास (लघुकथा): कन्नू अपनी छोटी बहन कनिका के साथ बालकनी में रखे एक गमले में चल रही गतिविधियों को…"
yesterday
pratibha pande replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"सफल आयोजन की हार्दिक बधाई ओबीओ भोपाल की टीम को। "
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आदरणीय श्याम जी, हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
Thursday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service